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गुलामी की आदत (Slavery habit) Hindi Story

गुलामी की आदत कितना भयंकर होती है, हम यह कहानी के माध्यम से देखेंगे..

एक आदमी ने उसके घर तोता पाल कर रखा था. पिंजरे में रखें तोते की खाने पीने की काफी भरमार थी. साथ ही साथ तोता बोलता भी था. घर के सभी लोग तोते के बोलने की सराहना करते थे. लेकिन तोता मन ही मन गुलामी के कारण काफी परेशान था. एक दिन तोते को मौका मिल गया. उस आदमी ने तोते को खाना देने के लिए पिंजरे का दरवाजा खोला.

उस आदमी के हाथों किसी काम के चलते पिंजरे का दरवाजा खुला ही रह गया. इसका फायदा उठाकर वह तोता पिंजरे से बाहर चला गया. वह तोता अब स्वतंत्र था. लेकिन बचपन से ही उस तोते को पिंजरे की आदत हो गई थी.
इसके कारण तोता सही ढंग से उड़ नहीं पाता था.

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एक पेड़ पर जाकर जब वह तोता बैठा, तो बाकी तोतों के साथ उसे बोलता भी नहीं आता था. क्यों की बचपन से ही वह दूसरी भाषा में बोलता था, जो बाकी तोतों की समझ से बाहर था. इसके कारण सभी तोतें उस तोते से दूर रहते थे.

ना उसके साथ कोई तोता बोलता और ना कोई उस के साथ रहता. उसे पिंजरे में बिना मेहनत के खाने की आदत हो गई थी. उस ने अपने जीवन में कभी परेशानी का सामना नहीं किया था. धुप, हवा, बारिश इन बातों की भी उसको कभी आदत नहीं थी. इसके कारण वह तोता बीमार हो गया। और कुछ दिनों के बाद ही वह मर गया.

तात्पर्य:- ज्यादा समय गुलामी में रहने से उस गुलामी की आदत शरीर को हो जाती है. इसके कारण दूसरों कि भाषा, संस्कृती अपनी ही लगने लगती है. और मिली हुई स्वतंत्रता बनाए रखने की जिद नहीं रहती. दूसरों की संस्कृती से कुछ अच्छा लेते हो तो कभी भी अपनी संस्कृती को ना भूलें.

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? अनुवादक
योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया