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सहन करने से हम खुदकों परेशानी मे डालते है
एक व्यक्ति के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू “रिश्ता” है!. इसलिए आज हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि जब कोई करीबी या रिश्तेदार हमें चोट पहुँचाता है तब आपको सहन करना है या नहीं. आइए इस बारे में अधिक जानते है.
जब भी आपके निकटतम व्यक्ति आपको चोट पहुँचाता है, आपके पास दो विकल्प होते हैं: “एक यह की सहन करना”, या “सीधा बोल देना”. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम अक्सर इन चीजों को सहते हैं, क्योंकि हमें डर है कि अगर मैं सामने वाले से कुछ कहूंगा या अगर मैं बोलूंगा तो हमारा रिश्ता टूट सकता है. या रिश्ते मे खटास या सकती है. आपको लगता है कि एक दिन सामने वाले को एहसास होगा, और वह बदल जाएगा और एक दिन यह मेरे लिए समझ लेगा.
अच्छे दिन आएंगे, लेकिन अच्छे दिन नहीं आएंगे और उसी धीरज के साथ हमारा दुख बढ़ता जाता है और स्थिति बिगड़ती जाती है. दोस्तों ऐसा करने का कारण यह है कि हर बार जब हम चीजों को सहन करते हैं, तो हम सामने वाले को मौका दे रहे होते है.
‘आपको इस तरह का व्यवहार करते रहो’…. ‘हम इसे सहन करेंगे’…, ‘आप अपना बुरा बर्ताव जारी रखें’. ‘और हम भुगतते रहेंगे’… लेकिन हर किसी की सहन करने की क्षमता होती है.. किसके पास ज्यादा होती है ..! लेकिन एक दिन जब यह धीरज खत्म हो जाता है, तो परिणाम विस्फोटक होते हैं. यदि हम अपने करीबी रिश्तों को खो देते हैं, तो हमारा मानसिक रवैया बिगड़ जाता है. क्योंकि हम विपरीत व्यवहार से पीड़ित होते हैं.
सहन करना एक विकल्प नहीं है
जब हम किसी व्यक्ति के पास अपनी बात रखते है तो हम अपना सन्मान रखते है. हम खुले दिलसे बात करते है.
मान लीजिए कि आप एक कंपनी के मालिक हैं और जब आपका कोई कर्मचारी हर दिन देर से काम करने आता है, तो आप बर्दाश्त नहीं करते हैं. इसलिए आप नियोक्ता को संदेश भेजते हैं कि यदि आपकी कंपनी देर से पहुंचती है, तो आपको देर तक काम करना होगा और फिर सामने वाले कर्मचारी को देर हो जाएगी और फिर अंत में आपको उसे काम से निकालना होगा. लेकिन जब आप उससे बात करते हैं, तो वह हर समय आपकी कंपनी में आता है, जो की आपको भी आना चाहिए …! तब कार्यकर्ता समझ जाता है और वह समय पर पहुंचने लगता है और आपको कोई नुकसान नहीं होता है.
क्या सहे और क्या नहीं
मान लीजिए कि कोई आपके घर के सामने कचरा डालता है और अगर आप इसे जारी रखना चाहते हैं, तो आप लोगों को संदेश भेज रहे हैं कि कचरा आपके घर के सामने डाला जा सकता है …! और फिर लोग आपके घर के सामने कचरा फेंकते हैं और क्योंकि आप शांत हैं. आपके घर के सामने कूड़े का ढेर है, इसलिए यदि आप उनसे समय पर बात करेंगे तो यह समय नहीं आएगा. इसलिए अगर आप अपने दिमाग को चोट पहुंचाने से बचाना चाहते हैं, तो यह चीजों को बर्दाश्त करने के बारे में नहीं है बल्कि चीजों को कहने के बारे में है. लेकिन जैसा कि हमने अभी बताया है, हम पीड़ित हैं … क्योंकि हमें डर है कि हमारा रिश्ता टूट जाएगा … लेकिन इसे सहन करना एक विकल्प नहीं है, बल्कि बात करना समाधान है.
कितना जरूरी है अपनी बात को रखना
जब भी आपको कोई डॉक्टर के ट्रीटमेंट से आराम नहीं मिलता, तो आप डॉक्टर को बताते हैं कि आपको कोई आराम नहीं मिला है. और फिर डॉक्टर तुरंत अपना इलाज बदल देता है. लेकिन अगर हम नहीं बोलते हैं, तो चिकित्सक उसी उपचार को जारी रखेगा ताकि हमारी बीमारी बढ़े और हमें खतरा हो. इसलिए अपनी बात कहना एक समझदारी है. इसलिए यदि आपके जीवन में आप किसी व्यवहार, शब्दों या किसी और चीज़ के कारण पीड़ित हैं, तो आपको इसे सहन करना नहीं चाहिए. लेकिन हर बार जब आप किसी अन्य व्यक्ति से बात करते हैं, तो एक बड़ी शर्त लागू होती है, वह यह है कि आपको अपने शब्दों को उसी सामने वाले व्यक्ति के सामने कहना होगा जो भावना को जानता है.
किसी भी व्यक्ति को, अंदर से जगाने के लिए एकमात्र तरीका है “प्यार और सम्मान”. यदि आप अपने किसी करीबी को यह बताना चाहते हैं, तो आप उसे प्यार से और सम्मानपूर्वक बताएं कि आप उसकी परवाह करते हो. क्योंकि मनुष्य केवल प्रेम और सम्मान की भाषा समझता है. अगर कोई अपवाद न हो!!! जब आप अपने संदेश को प्यार से समझाते हो, तो उनको यह काफी अच्छा लगता है.
© सृष्टि तपारिया
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया