कैसे सोचा जाये? सोचना भी एक कला है

दोस्तों, आपने कभी सोचा है कि सोचना भी किसी बड़े काम या फिर कुछ निर्णय लेने से छोटी बात नहीं होती?  क्या आपने कभी सोचा है कि अक्सर आपको आपके कार्यों में सफलता क्यों नहीं मिलती? इन सारे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए हम आपको बस एक ही रास्ता बता सकते हैं की, किसी भी बात के बारे में दो बार सोचिए और उसी के बाद ही कोई निर्णय लें.

हम अक्सर सभी को यह कहते हुए सुनते हैं कि मैं कोई भी बात बिना सोचे नहीं बोलता या फिर नहीं करता. लेकिन सच तो यह है की ऐसा कहने वाले लोग सिर्फ आमोद-प्रमोद ही करते रहते हैं और बिना कुछ सोचे ही अपने काम करते रहते हैं. इन बातों से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हमारा सोचना कम हो गया है?

किसीके पास सोचने के लिए आज समय ही नहीं है

आप फेसबुक, व्हाट्सएप या टिक टॉक जैसे सोशल मीडिया का उपयोग तो जरुर करते होंगे. इनका उपयोग करते समय आप क्या सोचते हैं? किस नजरिए से इन सब चीजों को देखते हैं? कुछ जरूरत भरी जानकारी लेने के नजरिए से, कुछ नई बातें पढ़ कर उसे अपने दोस्तों तक पहुंचाने या सांझा करने के नजरिए से या फिर इससे अलग यूं ही टाइमपास करने अर्थात समय गंवाने के नजरिए से? आप क्या सोचते हैं या आपके मन में कैसे विचार आयेंगे यह इन्हीं बातों पर निर्भर करता है.

कई बार हम सोशल मीडिया पर आए मैसेज को बिना कुछ सोचे फॉरवर्ड बटन दबाने पर तुले रहते हैं. ऐसा करके आप खुद को एक फॉरवर्डिंग मशीन के रूप में देखते हैं.कुछ शॉर्ट विडिओज देखकर दिन बिताना सभी को बहुत पसंद हैं, लेकिन यह बात वे लोग नही जानते कि विदेशों में चल रही ये कंपनियां ही अक्सर सोशल मीडिया नेटवर्किंग और एडवरटाइजिंग में आगे है.ये कंपनियां बिजनेस जानती हैं.

लेकिन यह बात बहुत हैरान करने वाली है कि, हमारे देश के लोग उन कंपनियों के उत्पादों या सेवाओं का सिर्फ उपयोगकर्ता होने पर ही खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. थोड़ी देर के लिए हम इस सवाल को दूर रखेंगे कि आपको सकारात्मक सोचना है या नकारात्मक, क्योंकि सकारात्मक या नकारात्मक सोच तो दूर की बात है; बहुत से लोगों को तो यह भी नहीं पता होता कि उन्हें किसी भी बात पर कुछ ‘सोचना’ चाहिए.

अगर सोच नहीं तो रचनात्मकता नहीं,
रचनात्मकता नहीं तो उद्यमशीलता नहीं
उद्यमशीलता नहीं तो कार्यशैली नहीं
कार्यशैली नहीं तो उद्योग नहीं 
और उद्योग नहीं तो प्रगति कैसे होगी?

सौ बात की एक बात यह है कि, हमेशा सोच ही इंसान को आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित करती है.

खुद की सोच बढ़ाने के उपाय

अगर आप खुद की सोच बढ़ाना चाहते हैं तो आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा:

  1. कुछ सोचने के लिए कुछ पढ़ना जरूरी है; इसीलिए जितना हो सके आप कुछ किताबें या फिर ऑनलाइन लेख पढ़े.
  2. अपने आप पर किसी दूसरे के विचारों को हावी न होने दें. अपने मन में खुद के विचारों को आने के लिए उपर्युक्त प्रयास करें.
  3. अपने मन में कुछ सोच विचार आए इसके लिए आपके मन को किसी भी चीज को निष्पक्ष नजरिए से देखने की आदत डालनी पड़ेगी
  4. इस बात की शुरुआत करने के लिए आप निजी तौर पर ध्यान धारणा या विपश्यना का भी मार्ग अपना सकते हैं.
  5. आपको अपने मन को एकदम हल्का बनाना होगा. इसमें आप अपने दोस्त की भी सहायता ले सकते हैं. आपके मन में जो भी विचार है वह अपने दोस्त से बेझिझक होकर साझा करें.
  6.  इसके बाद प्रयास करें कि आपके मन में कोई भी विषय विकार ना रहे. अर्थात किसी के लिए भी किसी भी बात की लालसा, क्रोध या मत्सर आपके मन में ना रहें. आपके मन में ऐसी कुछ बात पहले से चल रही है तो आप निष्पक्ष रुप से किसी बात को सोच नहीं पाएंगे.
  7. आपकी सोच को बढ़ाने का एक कारगर तरीका यह है कि कुछ लिखने की आदत डाल लें. अगर आप अपने मन में आए विचार लिखते जाएंगे तो और नए विचार आते रहेंगे. इस कारणवश आपका मन सोच विचार करने पर सुदृढ रहेगा.

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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया