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कैसे हो दोस्तों, आज हम देखेंगे की गूगल को आपके बारे में क्या-क्या और किस तरह की जानकारी पता है और साथ ही यह जानेंगे कि आप अपनी वेब हिस्ट्री यानि की इतिहास को कैसे मिटा सकते हैं. आप अपना एक आम दिन लीजिए. आप स्कूल, कॉलेज या ऑफिस लगभग कितने बजे जाते हैं, घर से ऑफिस किस मार्ग से जाते है, और कितनी देर ऑफिस में रहते हैं, यह सब जानकारी गूगल आपके स्मार्टफोन से दिन भर इकट्ठा करता रहता है.
जानकारी रखने के माध्यम
आपने इंटरनेट पर कितना समय बिताया, किस तरह की वेबसाइट देखी, न्यूज़, सोशल मीडिया या ऑनलाइन शॉपिंग कहां की, यह सब डेटा आपके सभी डिवाइसेज के जरिए गूगल तक पहुंचता रहता है. शाम को आपने किस रेस्तरां का रास्ता खोजा, कौन सी मूवी की ऑनलाइन टिकट बुक की और कहां गए, यह सब भी गूगल को हमेशा पता होता है.
गूगल का प्रोडक्ट जीमेल आने जाने वाले सभी इमेल्स के सारे कंटेंट पर नजर रखता है, यहाँ तक की ड्राफ्ट में सेव किये हुए इमेल्स पर भी! गूगल का प्रोडक्ट यूट्यूब में आपने जो भी वीडियोज देखें या लाइक किये हैं उन सबकी जानकारी इकठ्ठा करते हुए उसी हिसाब से नए वीडियोज दिखाते ही जाता है. साथ ही उन्हीं वीडियोज पर आधारित ऐड के जरिये पैसे कमाता है.
Google Map पर आपकी लोकेशन के साथ-साथ आपकी निजी जानकारी जैसे की आपका नाम, जेंडर, जन्मतिथि, पता आदि हमेशा सेव रहती है और गूगल आपको बताए बिना ही, समय-समय पर इसका इस्तेमाल करता रहता है. गूगल का कीबोर्ड आपके टाइपिंग पर हमेशा नजर रखता है और आपने कौनसा शब्द या वाक्य ज्यादा इस्तेमाल किया, किसी शब्द को कितनी बार लिखा, आदि तरह का पूरा डेटा गूगल को भेजते रहता है.
साथ ही आपने कौन से सोशल मीडिया अकॉउंट पर कितने दोस्त बनाएं, या गूगल पर उनके बारे में क्या खोजा, यह सब कुछ आपके डिवाइस पर हमेशा ट्रैक होते रहता है. लेकिन असली सवाल यह है कि, यह सब आखिर कैसे होता है?
जानकारी रखने वाली, ब्रॉउजिंग हिस्ट्री कैसे खोजें?
वेब ब्राउज़र तो हम सब इस्तेमाल करते हैं. है ना? क्रोम ब्राउजर यह गूगल या अल्फाबेट कंपनी का प्रोडक्ट है. वह आपकी सारी ऑनलाइन एक्टिविटी जान कर उसीके आधार पर बनाई गई गतिविधि तथा एड को आपकी ब्राउजिंग हिस्ट्री में ‘कुकीज’ (Cookies) के द्वारा सेव कर देता है. अगर आपके फोन में जीपीएस या लोकेशन ट्रैकिंग इनेबल है, तो आपके स्थान की जानकारी गूगल को हमेशा पता रहती है. अगर आपने गूगल नाउ पर अपनी आवाज सर्च की हो और कुछ बोलकर खोजा हो तो वह रिकॉर्डिंग भी रिकॉर्ड के तौर पर हिस्ट्री में रहती है.तो आइये अब हम देखते है कि हमारी एक्टिविटी आखिर कहां और कैसे स्टोर होती है.
हम आपके प्राइवेसी के मामले की कद्र करते हैं, लेकिन फिर भी हम आपको इस पूरे डेटा को डिलीट करने की सलाह नहीं देंगे, क्योंकि जैसे इसके प्राइवेसी के मामले है ठीक उसी प्रकार इसके फायदे भी है. ये तो पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है कि आप अपने डेटा के साथ क्या करना चाहेंगे.
इंटरनेट या मोबाईल एप पर आपकी ऐक्टिविटी देखने के स्टेप्स
1. क्रोम ब्राउज़र में यूआरएल में https://myactivity.google.com इस वेबपेज पर जाकर आप अपने गूगल या फिर जीमेल अकाउंट में लॉगिन कर सकते हैं.
2. यहां पर आपको आपकी सारी एक्टिविटी दिखाई देगी. आप चाहे तो उसे तारीख या फिर प्रोडक्ट से भी फिल्टर कर सकते हैं.
3. आप कोई भी प्रोडक्ट का फिल्टर लगा कर उसकी संपूर्ण सर्चिंग हिस्ट्री को देख सकते हैं. आप इसमें कल या पिछले सात दिन या पिछला महीना इस तरह से तारीख का फिल्टर भी लगा सकते हैं.
4. वैसे तो गूगल यहां कहता है कि यह जो सारी जानकारी आपको दिखा रहा है, वह सिर्फ आप ही देख सकते हैं. लेकिन फिर भी आप एक्टिविटी कंट्रोल्स बटन पर क्लिक करके यह चुन सकते हैं कि कौन सा गूगल प्रोडक्ट आप की हिस्ट्री सेव करें.
5. अगर आप चाहते हैं कि भविष्य में आपकी सर्च हिस्ट्री गूगल सेव ना करें, तो आप इसे पॉज (Pause) या फिर ऑफ भी कर सकते हैं. इसके बाद आप जो भी गूगल पर सर्च करेंगे, वह आपकी सर्च हिस्ट्री में सेव नहीं होगा.
इसी तरह आप location history, device information, voice and audio activity जैसी सभी हिस्ट्री को एक-एक करके पॉज कर सकते हैं. लेकिन इससे आपकी कुछ सर्विसेस ठीक से काम नहीं करेगी.
एक और बात आप को बता दें कि लोकेशन हिस्ट्री (Location History) का एक फायदा यह है कि, अगर आपका फोन गुम जाए तो आप अपने डिवाइस की लास्ट लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं.
…लेकिन हमारी प्राइवेसी का क्या?
अब हम एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करेंगे वह है प्राइवेसी!कुछ लोगों का मानना है कि उन्हें अपनी जानकारी किसी के साथ भी शेयर नहीं करनी है. कोई भी उनकी निजी जानकारी अर्थात Private Information को देखें यह उन्हें मंजूर नहीं है.
गूगल या अल्फाबेट के बहुत से प्रोडक्ट हम रोजाना इस्तेमाल करते हैं. ये सब हमारी निजी जानकारी को हासिल करते हैं और उसी के आधार पर हमें अलग-अलग प्रकार के विज्ञापन अर्थात Advt दिखाकर पैसे कमाते हैं. इसीलिए कुछ लोगों का यह भी मानना है कि वे अपने पर्सनल इंफॉर्मेशन से किसी दूसरे को फायदा क्यों होने दें.
लेकिन यहां सोचने वाली बात तो यह है कि आखिर इतनी सारी सेवाएं हमें मुफ्त में ही तो मिल रही हैं ना? अगर किसी को हमारा डेटा मिल भी गया, तो क्या फर्क पड़ता है. इन दोनों में से आप जो कुछ भी सोचे यह आपकी मर्जी होती है. लेकिन अगर आप नहीं चाहते कि आपकी सारी ऑनलाइन एक्टिविटी रिकॉर्ड हो तो आप उसे आसानी से डिलीट भी कर सकते हैं. इससे आपके प्रोडक्ट या सेवा पर कुछ भी असर नहीं होगा. सिर्फ हिस्ट्री या इतिहास ही मिट जाएगा.
यहां एक बात का जरूर ध्यान रखें कि, यह बात उल्टा नहीं हो सकती. मतलब एक बार डिलीट हुआ डेटा वापस नहीं आ सकता. इसलिए यह कदम सोच समझकर उठाने में ही समझदारी है.
आपके प्राइवेट डाटा को गूगल के एक्टिविटी कंट्रोल से कैसे मिटाएं?
एक्टिविटी कंट्रोल के बाहर आने के बाद बायीं ओर तीन छोटे बार पर क्लिक करें. वहा से ‘Delete activity by’ बटन पर क्लिक करें. जहां आप तारीख के आधार पर या टाइम के आधार पर आपकी एक्टिविटी का चयन करके उसे डिलीट कर सकते हैं. यह जानकारी हमेशा के लिए आपके अकाउंट की हिस्ट्री से मिट जाएगी.
आप जानते हैं कि प्राइवेसी यह एक ऐसा मामला है, जिस पर आजकल ऑनलाइन बहुत बहस चलती रहती है. यूरोपियन यूनियन के लोगों ने तो यह कहा है कि गूगल को एक विकल्प देना चाहिए, जिसका उपयोग करके लोग अपने हिस्ट्री अर्थात इतिहास को हमेशा के लिए मिटा सके, इसे ‘राइट टू बी फरगॉटन’ (Right to Forgotten) भी कह सकते हैं. इसकी मदद से गूगल आपके पूरे के पूरे ऑनलाइन रिकॉर्ड को मिटा सकेगा. लेकिन अभी यह बहस पूरी नहीं हुई है. यह तो आप पर निर्भर है कि आप इस बहस के किस तरफ है.
लेकिन यह बात तो तय है कि अगली बार जब भी आप गूगल पर कुछ सर्च करेंगे या सोशल मीडिया पर दोस्तों से चैटिंग करेंगे तो आप को साफ पता होना चाहिए कि आप पर पूरी तरह से गूगल की नजर रहेगी.
हमारा यह विशेष लेख पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! हम आपके लिए रोज ऐसही अच्छे लेख लेकर आते है. अगर आपको यह लेख पसंद आता है तो फेसबुक और व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों को इसे फॉरवर्ड करना ना भूले. साथ ही हमारी वेबसाइट को रोजाना भेंट दें.
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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया