By Ashish Kale
April 13, 2022
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किसी भी देश की पहचान उसकी संस्कृति एवं धरोहर अर्थात Heritage से ही होती है. किसी देश की धरोहर ही उस देश का गौरव बढ़ाने का काम करती है.
किसी देश के इतिहास में कब, क्या हुआ है यह जानने के लिए उस देश के हेरिटेज का महत्व होता है. इसी इतिहास को जीवित रखने के लिए World Heritage Day मनाया जाता है.
विश्व में प्रसिद्ध इमारतों एवं प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए 1968 में एक प्रस्ताव रखा गया. 1972 में स्टॉकहोम के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इसे पारित किया गया.
18 अप्रैल 1978 को पहली बार दुनिया के 12 स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया. तभी से इस दिन को World heritage day के रूप में मनाया जाने लगा.
ट्यूनीशिया में 18 अप्रैल 1982 को 'International Council of Monuments and Sites' द्वारा विश्व विरासत दिवस सबसे पहले मनाया गया था.
दुनिया में लगभग कुल 1052 वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. इनमें 814 ऐतिहासिक, 203 प्राकृतिक एवं 35 मिश्रित स्थल शामिल है. इस दिवस को पूरी दुनिया में मनाया जाता है.
भारत में भी पुरानी धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को World Heritage Sites में शामिल किया गया है. चाहे वह कुतुबमीनार हो, ताजमहल हो या छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस हो.
संपूर्ण देश के लिए विश्व धरोहरों को संरक्षण देना एवं उनके बारे में जागरूकता फैलाना भी आवश्यक होता है. ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी हमारे इतिहास को जान पाए.
भारत में फिलहाल लगभग 27 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक एवं 1 मिश्रित ऐसी लगभग 35 विश्व धरोहर स्थल यानी कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट मौजूद है.
इनमें आगरा का किला, सांची बौद्ध स्मारक, कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान, एलीफेंटा की गुफाएं, अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, नालंदा विश्वविद्यालय जैसे स्थल शामिल है.
हमारे देश के सभी धरोहर स्थलों का सम्मान एवं संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है. इसी वजह से आप जब भी ऐसे किसी भी स्थल को देखने जाए, तो वहां पर किसी भी तरह से कचरा या गंदगी ना फैलाएं.
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