By Ashish Kale
March 21, 2022
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वैक्यूम बम को एरोसोल बम भी कहा जाता है. यह बड़ा ही एडवांस टाइप का हथियार है, जो इंसान के शरीर को भाप बनाने के साथ-साथ आसपास के इलाके को नष्ट करने की क्षमता रखता है.
कहा जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के युद्ध में हाल ही में इस बम का इस्तेमाल किया गया है. इस वजह से इस बम के बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता बढ़ रही है.
इसे किसी रॉकेट के रूप में विमान से लगाकर गिराया जा सकता है. यह बम जब टारगेट से टकराता है, तो इसका विस्फोटक चार्ज कंटेनर खुल जाता है और इसका मिश्रण बादल जैसा बिखर जाता है.
बाद में इसका इग्निशन सोर्स बहुत बड़ी आग पैदा करता है. इस वजह से आसपास के इलाके में एक बड़ा खतरनाक वैक्यूम बन जाता है. इसकी ताकत से बंकर हो या इमारत, पूरी तरह तबाह हो जाती है.
आमतौर पर किसी पारंपरिक बम की तुलना में इसका विस्फोट लंबी दूरी तक की लहर पैदा करता है. इसके उच्च तापमान के विस्फोट में वातावरण की ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है.
इसके धमाके से अल्ट्रासोनिक शॉकवेव्स निकलती है. और एक तरह से परमाणु बम जैसी गर्मी और तबाही फैलती है. इसलिए इसे 'फादर ऑफ ऑल बम' भी कहा जा सकता है.
इस बम की खतरनाक लहरें पारंपारिक विस्फोटक की तुलना में बहुत ज्यादा समय तक और लंबे दायरे में नुकसान पहुंचाती है.
देखा जाए तो वैक्यूम बम का विकास 1960 के दशक में अमेरिका एवं सोवियत संघ की तरफ से किया गया था. मगर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से इसका इस्तेमाल करने पर बंदी है.
कहा जाता है कि इस बम का इस्तेमाल वियतनाम में एवं अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा किया गया था. साथ ही चेचन्या की 1999 की लड़ाई में रूस पर भी इसके उपयोग करने का आरोप लगाया गया.
कुछ ही क्षणों में आसपास के इलाके में मौजूद इंसानों एवं घरों के चिथड़े उड़ाने वाले इस बम का इस्तेमाल किसी भी देश की तरफ से ना हो, तो ही समूची मानव जाति के लिए बेहतर होगा!
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