रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे घमासान युद्ध के कारण अब तक कई जाने जा चुकी है. 1991 से पहले सोवियत संघ का ही भाग रह चुके इन देशों में क्यों छिड़ा है युद्ध? आइए जानने की कोशिश करें.
यूक्रेन के पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस की सीमाएं मौजूद है. यूक्रेन और रूस के बीच उत्पन्न विवाद के कई कारणों में नाटो अर्थात North Atlantic Treaty Organisation को भी माना जाता है.
1949 में 12 देशों द्वारा स्थापित नाटो के संगठन में अमेरिका के साथ-साथ आज के समय में अधिकतर यूरोप के 30 देश शामिल है. एक देश पर हुए हमले में इस संगठन के बाकी देश भी उसे मदद करते हैं.
यूक्रेन भी इन्हीं नाटो देशों का हिस्सा होना चाहता है. मगर रूस ऐसा नहीं चाहता है. रूस का कहना है कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो गया तो नाटो के सैनिक यूक्रेन की सीमा तक आ जाएंगे.
हालाकि अभी तक नाटो के सदस्य के रूप में यूक्रेन को मान्यता नहीं मिली है. रूस यह भी चाहता है कि नाटो उसे लिखित आश्वासन दें की यूक्रेन कभी भी नाटो सदस्य नहीं बनेगा.
यूक्रेन को डर लगता है कि जिस तरह 2014 में रूस ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्रीमिया बंदरगाह पर अपना कब्जा जमा लिया है. उसी प्रकार यूक्रेन पर भी रूस कब्जा कर सकता है.
इसी के साथ दूसरे कारण के अनुसार रूस से यूरोप में जानेवाली नेचुरल गैस पाइपलाइन यूक्रेन से होकर जाती है. इस वजह से रूस को हर साल ट्रांजिट शुल्क भी यूक्रेन को देना पड़ता है.
इसी वजह से रूस अगर यूक्रेन के हिस्से पर अपना कब्जा कर लेता है या खुद चुनी हुई सरकार यूक्रेन में लाता है, तो इसका रूस को बहुत फायदा होगा.
इसी बीच रूस का समर्थन प्राप्त यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच यूक्रेन में हुए विरोध के कारण 2014 में देश छोड़कर भागे थे. तबसे रूस ने अलगाववाद को और समर्थन दिया.
ऐसी ही कई वजहों से नाटो और अमेरिका की पाबंदियों की परवाह किए बिना 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया है.
सारी दुनिया चाहती है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जल्द ही समाप्त हो जाए. क्योंकि अगर ऐसे ही चलता रहा तो शायद तीसरा विश्वयुद्ध शुरू होने में देर नहीं लगेगी.