By Malvika Kashyap
April 7, 2022
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आर्थिक संकट का सामना कर रहे भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में बेहद ही खराब स्थिति आन पड़ी है. जनता की बुनियादी जरूरतों को भी वहां की सरकार पूरी नहीं कर पा रही है.
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है.
बीते कुछ दशकों में वहां के लोगों ने शायद इतना बुरा दौर कभी ना देखा हो. लोगों को यहां पर खाने-पीने से लेकर हर चीज के लिए घंटों तक लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है.
ऐसे हालत के लिए कई वजहों में सबसे बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार का कम होना माना जा रहा है. 3 साल पहले तक यहां का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 अरब डालर था. अब यह 1.58 अरब डॉलर रह गया है.
श्रीलंका में दूध, दवा, इंधन का अभाव एवं उनकी कीमतें आसमान को छू रही है. कई सारे बिजली संयंत्र बंद होने के कारण घरों में भी 13 घंटों तक लोड शेडिंग हो रही है.
अस्पतालों में ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं. खाने के लिए तरस रही जनता दंगे करने पर उतर आई है. कहा जा रहा है कि इस स्थिति के लिए चीन की नजदीकी करना भी श्रीलंका को भारी पड़ गया है.
श्रीलंका के पास, अपनी जरूरतों के लिए खरीद पाए इतने तेल की भी रकम बची नहीं है. साथ ही यह देश गैस एवं दूसरी चीजों की भी आयात नहीं कर पा रहा है.
2019 में श्रीलंका में कई बम ब्लास्ट में बहोत सारे लोग मारे गए थे. ऐसे में विदेशी पर्यटन पर 10% से ज्यादा निर्भर इस देश में कोरोना एवं बम ब्लास्ट के बाद बहुत कम पर्यटक आने लगे थे.
सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन कर रहे लोगों को सरकार रोक नहीं पा रही है. ऐसे में श्रीलंका अब भारत से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है.
इसी बीच भारत ने श्रीलंका को लगभग 40,000 टन डीजल वितरित कर दिया है. इसके अलावा भारत की तरफ से चावल और एग्रो फूड्स की मदद भी श्रीलंका भेजी जा रही है.
भारत भी यही चाहता है कि बुरे संकट से गुजर रहा श्रीलंका जल्द से जल्द अपने अच्छे दौर में वापस आ जाए. इसके लिए हमारे देश की तरफ से हर तरह की संभव मदद की जा रही है.
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