By Malvika Kashyap
June 25, 2022
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नॉर्मल डिलीवरी या सीजेरियन अपने नन्हे और स्वस्थ बालक को जन्म देने का सपना हर औरत देखती हैं. लेकिन उन्हें यही पता नहीं होता कि उनकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सिजेरियन होगी.
नॉर्मल डिलीवरी क्या होती है कुदरती प्रक्रिया से जब महिला अपनी योनि से गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देती है, तो उसे नॉर्मल डिलीवरी कहते हैं. इसमें कोई ऑपरेशन नहीं होता.
नॉर्मल डिलीवरी कब हो सकती है जब महिला को किसी भी तरह की कोई मेडिकल इमरजेंसी या समस्या नहीं होती, तब उसकी नॉर्मल डिलीवरी आसानी से हो सकती है.
गर्भाशय ग्रीवा नॉर्मल डिलीवरी में लेटेंट की प्रक्रिया ज्यादा लंबी चल सकती है. इसमें महिला के गर्भाशय ग्रीवा 2 से 3 सेंटीमीटर तक खुलती है.
लेटेंट की प्रक्रिया में आराम लेटेंट की प्रक्रिया प्रसव के 1 सप्ताह पहले या कुछ घंटे पहले भी चालू हो सकती है. इसमें महिलाओं को पूरी तरह से आराम करना चाहिए.
पानी का भरपूर सेवन महिलाओं को अपने साथ हर समय किसी को रखना चाहिए. भरपूर मात्रा में पानी सेवन करना चाहिए. साथ ही डॉक्टर से संपर्क भी करना चाहिए.
संकुचन की तेज गति गर्भाशय ग्रीवा पूरी खुलने पर संकुचन की गति तेज हो सकती है. तब बच्चे का सिर नीचे की तरफ आता है. फिर महिला के जोर लगाने पर वह पूरा बाहर निकलता है.
प्लेसेंटा भी निकलता है बच्चे के बाहर आते ही उसकी नाल को डॉक्टर्स काट देते हैं. इसके बाद प्लेसेंटा भी गर्भाशय से बाहर निकलता है. इस प्रक्रिया में आधा घंटा भी लग सकता है.
देखा जाए तो नॉर्मल डिलीवरी होने में लगभग 8 से 20 घंटे तक का भी समय लग सकता है. ऐसे में महिला के पति को उसके साथ होना चाहिए.
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