By Malvika Kashyap
May 20, 2022
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श्रीराम भक्त हनुमान जी का नाम बचपन से नहीं हनुमान नहीं था. उनके नाम के पीछे भी एक अनोखी पौराणिक कहानी बताई जाती है.
शिवजी का अवतार लेने वाले अंजनी पुत्र बजरंगबली जब छोटे थे, तो उन्हें भारी मात्रा में भूख लगती थी. एक बार भूख लगने पर मां से उन्होंने खाना मांगा.
माता अंजनी किसी काम में लगी हुई थी. तो उन्होंने बजरंगबली से कहा कि बाहर जाकर कोई फल खा लो. जितने भी पके हुए फल है वह तुम खा सकते हो.
तब भूख से व्याकुल बजरंगबली बाहर गए और कुछ मीठे, पके हुए लाल फल खाने लगे. लेकिन तभी अचानक उन्हें आसमान में चमकता लाल सूरज दिखा.
उन्होंने सोचा कि यह भी बड़ा लाल फल होगा. तो उन्होंने सूरज के पास छलांग लगाई एवं उसे मुंह में रख लिया. लेकिन इससे सूरज मानो अचानक से डूब गया.
सूरज को निगलने से धरती पर घनघोर अंधकार छा गया. साथ ही समूचे देवलोक में हाहाकार मच गया. सारे देवो ने इंद्र से कहा कि एक वानर ने सूर्य को निगला है.
यह सुनकर इंद्रदेव को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने अपना वज्र लिया एवं छोटे बजरंगबली की ओर चल पड़े. उन्होंने पहले तो बजरंगबली से सूरज को मुक्त करने के लिए कहा.
लेकिन नटखट बजरंगबली ने उनकी बात नहीं मानी. तब विवश होकर दुनिया में प्रकाश फैलाने वाले सूर्य देव को मुक्त करने के लिए उन्होंने बजरंगबली पर अपना वज्र फेंका.
इंद्रदेव के वज्र का प्रहार बजरंगबली की ठोड़ी पर जाकर लगा. ठोड़ी को हनु भी कहा जाता है. इस प्रहार से उन्हें गहरी चोट आई एवं वो बेहोश हो गए.
लेकिन इस बात से पवन देव बहुत ज्यादा नाराज हो गए. इसके बाद इंद्रदेव ने बजरंगबली को फिर से होश में लाया.
तब से बजरंगबली जी का नाम हनुमान पड़ गया. सारे देवी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद एवं अपने अस्त्र देकर उनकी मदद की.
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बजरंगबली का नाम हनुमान कैसे पड़ा, इस बारे में बताई गई कथा पुराणाअनुसार एवं सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. विज्ञान इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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