By Srishti Tapariya
March 19, 2022
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एंजियोग्राफी अर्थात शरीर में नस या धमनियों की जांच करने का एक चिकित्सकीय अध्ययन होता है. इसमें किडनी संक्रमण जैसे बीमारियों की जांच करने के लिए आर्टरी का एक्स-रे निकाला जाता है.
इसमें डाई या फिर रेडियोधर्मी तत्व का उपयोग किया जाता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को एक्सरे की मदद से साफ देखा जा सकें. इस तकनीक से हृदय की किसी धमनी में रुकावट का पता चलता है.
इस प्रक्रिया को छाती, पैर, हाथ, सिर, पेट की आर्टरी के लिए उपयोग किया जा सकता है. एंजियोग्राफी को एंजियोग्राम भी कहा जाता है.
इस तकनीक के उपयोग द्वारा आर्टरी के विकार की एवं उसके स्थिति की जांच की जा सकती है. साथ ही इससे किसी आर्टरी में ब्लॉकेज की स्थिति को भी जांचा जा सकता है.
अगर डॉक्टर को धमनी में किसी ब्लॉकेज का पता लगता है, तो एंजियोप्लास्टी की मदद से उस ग्रसित धमनी को खोल सकते हैं.
इस पूरी प्रक्रिया के बाद ह्रदय की तरफ जाने वाली आर्टरी में रक्त का प्रवाह अच्छा हो जाता है एवं हार्ट अटैक की संभावना कम हो सकती है.
इस प्रक्रिया में इंसान को एनेस्थीसिया देकर उस भाग को सुन्न करते हैं. बाद में आर्टरी के अवरोध का पता लगाने के लिए उसमें कैथेटर या बाल के साइज वाली तार डाली जाती है.
जब धमनी में यह डाई आगे बढ़ती है तो उस हिस्से के एक्स-रे लिए जाते हैं. इससे शरीर के हिस्से में ब्लड सप्लाई का पता लगता है.
इस टेस्ट में लगभग 1 से 2 घंटे लग सकते हैं. टेस्ट पूरी होने के बाद कम से कम 4 से 5 घंटे तक मरीज को आराम करना चाहिए.
टेस्ट के पुरे होते ही आर्टरी में डाली हुई कैथेटर ट्यूब को बाहर निकाला जाता है. और उस जगह पर थोड़े समय के लिए रुई से दबाकर रखा जाता है.
कई बार डॉक्टर को उस जगह पर ड्रेसिंग करते हुए पट्टी लगानी पड़ती है या फिर टांके भी लगाने पड़ सकते हैं.
एंजियोग्राफी के बाद तबीयत जल्द से जल्द ठीक होने के लिए भरपूर पानी पीते हुए डॉक्टर की सलाह से दवाइयां एवं आहार लेना चाहिए.
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