क्या होता है ‘शून्य छाया दिवस’ (Zero Shadow Day)?

दोस्तों, आज हम एक बिल्कुल नए विषय पर बात करेंगे, जो है शून्य छाया दिवस अर्थात Zero Shadow Day. आज हम जानेंगे कि शून्य छाया दिवस आखिर होता क्या है? क्या यह वही है, जिस दिन कहते हैं कि हमारी छाया गायब हो जाती है? उसका कारण क्या है? यह क्यों होता है? आज के इस लेख में इसीके बारे में बात करेंगे.

शून्य छाया दिवस क्या होता है?

दोस्तों आपने बड़े बुजुर्गों से हमेशा सुना होगा कि आपकी परछाई आपका पीछा कभी नहीं छोड़ते लेकिन आज हम परछाई को भी मात देने वाले दिन के बारे में बात करेंगे. हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है और ना ही वह अपने अक्ष पर सीधी घूमती है. वह थोड़ी सी Tilted अर्थात् झुकी हुई घूमती है.

झुकाव की वजह से ही हमारे पृथ्वी पर अलग-अलग मौसम आते रहते हैं. पृथ्वी का झुकाव 23.5 डिग्री का है. इसी वजह से आपको पृथ्वी पर रखी हुई किसी भी चीज की छाया उसके विपरीत दिशा में दिखाई पड़ती है. अर्थात सुबह के समय आपको किसी भी चीज की छाया पश्चिम दिशा में ही पड़ी हुई दिखती है और शाम के समय किसी भी चीज की छाया आपको पूरब की ओर ही दिखाई पड़ती है.

लेकिन पृथ्वी के झुकाव के कारण पृथ्वी की बहुत सी जमीन पर सूरज की किरणें कभी-कभी सीधी दिशा में भी पड़ती है. हमारे भारत पर भी सूरज की किरणें हर साल में दो बार कुछ समय के लिए सीधी दिशा में पड़ती है. लेकिन हर जगह यह समय अलग-अलग होता है.

हालांकि इसे दोपहर के लगभग 12:25 से लेकर 12:35 मिनट तक देखा जा सकता है. हमारी पृथ्वी पर जो काल्पनिक कर्क रेखा और मकर रेखा होती है, उसके बीच में जो भी भाग आता है, वहां पर साल में दो बार शून्य छाया दिवस देखा जा सकता है.

अर्थात अगर हम देखें तो भारत के महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा इन राज्यों में पूरी तरह साथ ही कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कुछ भागों में शून्य छाया दिवस देखा जा सकता है.

उदाहरण के तौर पर देखते हैं अगर किसी मैदान जगह पर एक खंबा है, तो उसकी छाया कुछ समय के लिये नहीं दिखेगी अर्थात सीधी उस खंबे के नीचे ही गिरेगी.

आखिर शून्य छाया दिवस क्यों होता है?

हमारी पृथ्वी पर सूर्य केे पक्ष में होने वाले झुकाव केे कारण ही सभी तरह के मौसम आतेे रहते हैैं. सूरज का दक्षिणायन एवं उत्तरायण भी इसी के कारण होता है. दक्षिणायन अर्थात सूरज का उत्तर दिशा से दक्षिण दिशा की ओर जाना. यह साल में 6 महीने में होता है. जबकि उत्तरायण अर्थात दक्षिण से उत्तर दिशा में जाना, यह बाकी 6 महीने में होता है. उस समय सूरज की किरणें भी झुकाव के कारण सीधी नहीं पडती है, लेकिन जब सूरज उत्तरायण से दक्षिणायन और दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाता है, तो साल मेंं दो बार कुछ समय के लिए उसकी किरणें सीधी दिशा में पृथ्वी पर गिरती है और उसी वक्त पृथ्वी के उस भाग पर शून्य छाया दिवस देखा जा सकता है.

भारत के महाराष्ट्र में 3 मई से लेकर लगभग 9 अगस्त तक हर जगह अलग-अलग दिनपर अलग-अलग समय पर शून्य छाया दिवस देखा जा सकता है.

चलिए अब एक प्रयोग करते हैं:

शून्य छाया दिवस पर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी कुछ नए नए प्रयोग करते हुए इस दिन को अच्छी तरह से मनाते हैं, तो आप क्यों पीछे रहें? अगर आप भी इस दिन कुछ अलग प्रयोग करना चाहते हैं, तो आपके पास चाहिए एक कांच का बड़ा टुकड़ा, दो छोटे स्टील या प्लास्टिक के डिब्बे, एक पाइप का छोटा टुकड़ा, एक चूड़ी, और कुछ सिक्के!

सबसे पहले एक बड़े कांच के टुकड़े को दो छोटे स्टील या प्लास्टिक की डिब्बों पर रखें हल्के से रखें. कांच के टुकड़े पर एक चूड़ी, कुछ सिक्के और एक पाइप का टुकड़ा खड़ा कीजिए. 

दोपहर के तकरीबन 12:20 से लेकर 12:35 तक इन सभी चीजों का ध्यान से निरीक्षण कीजिए. आपको तुरंत फर्क समझ में आ जाएगा की इन चिजों पर पड़ रही सूरज की किरणों की वजह से इनकी छाया धीरे-धीरे बदलते हुये इन सभी चीजों के नीचे ही गिरेगी.

इस सारी प्रक्रिया का अपने मोबाइल के द्वारा चित्रीत अर्थात वीडियो भी शूट कर सकते हैं या फिर कुछ फोटो भी ले सकते हैं, जो आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा कर सकते हैं और उन्हें भी विज्ञान के इस अद्भुत चमत्कार का दर्शन करा सकते हैं.

हमारा ‘क्या आपको शून्य छाया दिवस (Zero Shadow Day) के बारे में पता है?’ यह विज्ञान विशेष लेख पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! हम आपके लिए रोज ऐसेही अच्छे लेख लेकर आते है. अगर आपको यह लेख पसंद आता है तो फेसबुक और व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों को इसे फॉरवर्ड करना ना भूले. साथ ही हमारी वेबसाइट को रोजाना भेंट दे.

© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया

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