युवा करें खुद की पहचान!

आज हम २१ वीं सदी की बात करते है, भारत एक विकासशील राष्ट्र की ओर अग्रेसर हो रहा है. गौरतलब है की युवा पिढी भी अग्रेसर हो रही है. लेकिन जिस गती से आगे जाना चाहिए वह गती में कमी महसूस होती हूई दिखाई दे रही है. ऐसा क्यों? इस सवाल का जवाब देने के लिए हम हि एक जिम्मेदार युवा नागरिक है.

एक सर्वे के अनुसार बढ़ती बेरोजगारी भी जिम्मेदार है. युवाओं को उनके शिक्षा के अनुसार कोई काम नहीं दे रहा है. जहाँ काम मिलता है वहां तनख्वाह कम है. जहाँ तनख्वाह जादा है वहां काम करने के लिए जगह नहीं है. कुल मिलाकर युवाओं का यह हाल है. तो सवाल यह उपस्थित होता है की युवाओं ने क्या करना चाहिए?
ऐसी समस्याओं में क्या करें? परिवारजनों की बातें अक्सर युवाओं को झेलनी पडती है.

तो चलो इसकी भी चर्चा करते है.

युवाओं को सबसे पहले अपने माता-पिता, परिवारजनों के साथ चर्चा करना चाहिए, की वह लडका/लडकी क्या करना चाहते है? क्या आपका मार्ग सही है? क्या आप आपके मार्ग पर सही दिशा की ओर जा सकते है? जो चर्चा आप कर रहे हो वह महत्वपुर्ण हो ओर साथ ही साथ गंभीरता पुर्ण तरीके से हो.

इसके बाद युवाओं को अपने गुरुजन वर्ग के साथ इसी विषय पर चर्चा करना चाहिए. ध्यान रहे की गुरुजन वर्ग, आपके माता-पिता, परिवारजनों के सदस्य इनका अनुभव आपसे जादा एवं बेहतर होता है.

आपके मित्रों की संख्या बहोत बडी होगी इस में कोई आशंका नहीं है. लेकिन इस बडी संख्या में कुछ ही आपके दोस्त होंगे जो शिक्षित हो या बहोत कुछ उन्हें पता हो, या फिर वह आपके क्षेत्र से जुडें हुए हो. उन की सलाह अवश्य लें.

आप जिन्हें सबसे बेहद करीबी मानते है वह है आप की किताबें, आप की समस्या पर आधारित बहोत सारी किताबें मार्केट में उपलब्ध है. आपको सिर्फ वहां तक जाना है. आपके पास पैसों की कमी हो तो आप लायब्ररी लगा सकते है. लेकिन जिस राह पर आपको जाना है उसका सही मार्गदर्शन लें.

जिस मार्ग पर आप चलने के लिए तैय्यार है उसका अनुभव आपके पास होना उतना ही महत्त्वपुर्ण है. जितना आपको जिंदा रहने के लिए सांस.

जो लोग, जो चीजें आपको आपके लक्ष से दुर रखती है, उसे आपका किमती समय ना दे. समय ऐसी चीज है की वह कितना भी प्रयास करों वापस नहीं आती. ध्यान रखें आपका समय बर्बाद ना हो. दौडभरी जिंदगी में आप की मन से सराहना या आप की स्तुती कोई भी व्यक्ती नहीं करेगा. आप कितने भी अच्छे या पढ़े लिखे हो फिरभी. इस लिए खुद की सराहना ओर स्तुती बेहतर है की खुद करें.

आप क्या करना चाहते हो? ओर क्यों करना चाहते हो? इस सवाल का जवाब अगर आपके पास स्पष्ट है. तो फिर कोई फरक नहीं पडता की लोग आपके बारे में क्या सोचते है. याद रखें कि हर एक कदम आपके लिए महत्त्वपुर्ण है. यहीं एक कदम आप की सफलता का एक बड़ा कारण बनेगा.

पराजय का स्वीकार करना बहोत बडी बात है पराजय हुआ इसका मतलब यह नहीं है, की आप कभी बी सफल नहीं हो सकते? पराजय मानों,आपको ओर क्या करना होगा? यह बात साबित करता है.

युवा लोगो को और जिम्मेदारी से जीने की जरुरत है.

कोई ओर युवा अगर सफल हो रहा हो बावजूद इसके की आपको पराजय का सामना करना पड़ रहा हो. तो ऐसे हाल में डरना नहीं. धैर्य रखें की आप भी वह हासिल कर सकते है. उस युवा ने आपसे कौनसा कार्य अलग किया? उसका विचार करें, बेहतर है उसके साथ चर्चा करें.

सभी लोगों को दिन में २४ घंटे ही मिलते है. इस २४ घंटो का सही जगह इस्तमाल करें. ध्यान रहे की आपका समय सिर्फ आपके लिए है.

अगर आप अपने क्षेत्र में सफल होते है, तो वह आपके लिए सन्मान की एवं हर्षो-उल्हास की बात है. लेकिन ध्यान रहे आप की सफलता पर कभी भी घमंड ना करें. यही घमंड आपको निचे भी ला सकता है.

ऐसे लोगों से आप संपर्क बनाए जो आपके लिए बेहद जरुरी हो, कार्य के लिए उपयोगी हो, आपको हर वक्त मदद देते हो. आपका कार्य या आपका क्षेत्र जो आपने चुना है उसे लोगों के सामने सिध्द करें. उन्हे दिखाए की आपका क्षेत्र या आपका कार्य कितना उपयोगी है.

आप कितने भी सफल क्यों ना हो, कितने भी अमीर क्यों ना हो. लेकिन उन लोगों को हमेशा याद रखें जिन लोगों ने आपको यहाँ तक या इस लायक बनाया या पहूँचाया हो. उन सभी युवाओं को आपके साथ लें जो आप की तरह एक सपना देख रहे है. उन को मार्ग दिखाए. बावजूद इसके की उन को अनुभव के साथ वह कार्य सोंप दे जो आपने लिया हो.

आपको सफलता मिलने के बाद जुड़ा रहना बहोत जरुरी है. प्रयास करें की आप कभी या आप की मेहनत कभी ना लड़खडाए. हरपल कुछ बेहतर करने की कोशिश करें. ध्यान रहे आप एक जिम्मेदार नागरिक है, साथ ही साथ एक सफल व्यक्ति भी. युवा को उन की जिम्मेदारी क्या है वह समझांए.

इन सभी गुणों के आधार पर आप आपका बेहतर कल चुन सकते है. इस लिए आपको चलना बेहद जरुरी है. एक सही कदम आपका इंतजार कर रहा है. वह एक कदम सही दिशा में उठाए.

हर युवाओं में बेहतर कल छुपा हुआ है, जरुरत है उसे पहचान ने की, उसे समझने की, और वह सही साबित करने की. कौन कहता है की भारत सर्वश्रेष्ठ नहीं है? सर्वश्रेष्ठ पहले ही है. जरुरत है सिर्फ स्वयं को उस मापदंड पर सिध्द करने की.

– योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया