विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 18 दिसंबर 2007 को पहली बार मनाया गया था. दुनिया भर में हर 150 बच्चों में से लगभग 1 ऑटिज़्म से प्रभावित होता है. यह तंत्रिका विकास का विकार है जो मौखिक और गैर-मौखिक संचार का उपयोग करने की बाधितों की क्षमताओं को प्रभावित करता है. ऑटिज्म की वजह से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या में 2012 से 30% की वृद्धि देखी गयी है. इसी बढ़ती स्वास्थ्य चिंता के प्रति जागरूकता लाने में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस हम सबकी मदद करता है.
World Autism Day 2020 Theme:
The Transition to Adulthood
ऑटिज्म विकार आम तौर पर बहुत तेजी के बढ़ता है, इसके लक्षण पहले छह महीने के आसपास दिखाई देते हैं और दो या तीन साल की उम्र में इनमे बहोत ज्यादा वृद्धि दिखाई देती हैं. ऑटिज्म तीन अलग-अलग लक्षणों के एक साथ आने से होता है. इन लक्षणों में सामाजिक कठिनाई, संचार में समस्याएं और भावनाओं को व्यक्त न कर पाना ऐसे व्यवहार शामिल हैं. ऑटिस्टिक व्यक्ति में बाकि लोगों से अलग सुनने, देखने और महसूस करने की क्षमता होती हैं. ऑटिस्टिक व्यक्ति को पूरे जीवन भर ऑटिज्म रहता है. यह रोग ठीक नहीं किया जा सकता है.
ऑटिज्म सिंड्रोम के लक्षण एवं कारक
ऑटिज्म सभी सिंड्रोम का मूल है, इसमें रेट सिंड्रोम और बचपन के विघटनकारी विकार या निष्क्रिय, आक्रामक विकार भी शामिल हैं. इस सूची में सबसे आम तौर पर ज्ञात एस्परगर सिंड्रोम को ऑटिज्म लक्षणों की उपस्थिति से संकेत मिलता है जिसमें भाषा के विकास की हानि नहीं होती है.
एस्पर्जर सिंड्रोम अक्सर अपने साथियों सामाजिक संपर्क से ही जा सकता है. बच्चो में पाए जानी वाली आम बॉडी लैंग्वेज की ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम में होने वाली कतारें एस्पर्जर सिंड्रोम में उन्ही लोगों पर खो जाती हैं. उन्हें स्वर, संदर्भ और कटाक्ष जैसी मामूली लगने वाली चीजों को भी बहुत सावधानी से विचार कर के ही बोलन पड़ता है, क्योंकि वे अक्सर एस्पर्जर सिंड्रोम के साथ साथ संचार के लिए भी अक्सर इसी तरह के अन्य सामाजिक कतारों पर निर्भर करते है
हालांकि, ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम में भी कभी कभी कई बच्चे भाषा, संगीत, या स्थानिक कौशल में माहिर होते हैं. अक़्सर वे इस तरह प्रदर्शन दिखाते है की वे उन कौशल में “गिफ्टेड” श्रेणी में आ सकते हैं.
ऑटिज्म जागरूकता दिवस कैसे मनायें
आप ऑटिस्टिक सदस्यों के साथ स्थानीय परिवारों को शामिल कर एक अच्छेसे कार्यक्रम की मेजबानी करके इसकी जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. उन सभी को अपनी कठिनाइयों, चुनौतियों और खुशियों को सांझा करने वाले अन्य लोगों के साथ ला सकते हैं.
आप स्थानीय व्यवसाय धारकों से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें ऑटिस्टिक लोगों के लिए अपने समर्थन देने के लिए अपने घर के साथ साथ उनको भी हल्के नीले रंग से रंगवाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. ऑटिज्म सिंड्रोम के बारे में पढ़े और दूसरों के साथ इस विषय पर चर्चा करें.
इस विशेष समूह और उनके साथ रहने वाले किसी भी व्यक्ति के बारे में थोड़ी ज्यादा समझ हासिल करने की कोशिश करें. तभी इन बच्चों को हम सही तरीके से पहचानेंगे.
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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया