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किसी भी इंसान को जब अभिव्यक्त होना होता है तब उसके पास दो विकल्प होते हैं. पहला यह है कि किसी के साथ अपनी बात को बोलकर सीधा बयां कर दे. दूसरा विकल्प यह है कि अपनी बात को किसी लेख (Article) में रूपांतरित करके अपने विचारों को लोगों के साथ साझा करें.
जब हम किसी के साथ बात करते हैं, तो हम अपने मन के विचार को, या फिर जो भी हमें लगता है उसे हम बिना किसी झिझक के तुरंत बोल देते हैं. मगर इन्हीं बातों को अगर आपको लिखने के लिए कहां जाए तो बहुत से लोगों को इसमें परेशानी या झिझक का सामना करना पड़ सकता है. यूं तो लेख लिखने के लिए आपको किसी अलग हुनर की जरूरत नहीं होती, लेकिन सही शब्दों के साथ सही विचारों का इस्तेमाल आपने अच्छी तरह सीख लिया, तो आप भी एक अच्छा लेख (Article) लिख सकते हैं. आइए आज हम इसी विषय पर चर्चा करें.
Article कौन लिख सकता है?
हम अक्सर हमारे आस-पास दो प्रकार के लोग देखते हैं:
1. बातूनी लोग:
इस प्रकार के लोगों को अपनी बात बोलने के लिए ज्यादा तकलीफ नहीं होती. ये लोग किसी से भी जल्द ही घुलमिल सकते हैं. बिना किसी परेशानी के वे लोग किसी से भी बात कर सकते हैं.
लेकिन बातों को बोलकर किसी आदमी को समझाना अलग होता है और उसी बात को लेख में लिखकर उस आदमी तक पहुंचाना अलग बात होती है. इसीलिए जब लेख लिखने की बात हो तो बातूनी लोगों को अक्सर ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
2. शांत रहनेवाले लोग:
इस प्रकार के लोग ज्यादा बोलने के बजाय ज्यादा शांत रहने पर भरोसा करते हैं. ये लोग शांत रहकर भी ज्यादा विचार किया करते हैं. ज्यादा और अच्छे विचार करने वालों को अपने विचार लिखने में ज्यादा परेशानी परेशानी भी नहीं होती और ज्यादा समय नही लगता है. क्योंकि ये लोग जानते हैं की सही शब्दों का सही लेख (Article) में कैसे इस्तेमाल करना चाहिए. अब आप खुद विचार करें कि आप किस श्रेणी में आते हैं.
लेख (Article) लिखने के 11 फ़ायदे
दोस्तों आप तो जानते हैं कि मन ही ऐसी एक चीज है, जिसकी गति सबसे तीव्र होती है. हम अक्सर प्रत्येक क्षण बदलने वाले नए विचारों के बीच अत्यावश्यक विचारों को भी भूल जाते हैं. इसके बजाय अगर हम इन सभी विचारों को किसी कागज पर लिखने की आदत डाल लेंं, तो हमें इसके बहुत फायदे हो सकते हैं.
- आपके मन में आने वाले विचारों पर आप काबू पा सकते हैं और इससे मन में अच्छे विचार आने में मदद मिल सकती है.
- किसी विचार को भूलने की संभावना अत्यंत कम हो जाती है और आपकी स्मरणशक्ति तेज हो जाती है.
- समय के साथ-साथ आपके विचार अधिक परिपक्व हो सकते हैं. अधिक परिपक्व विचार ही हमारे व्यक्तित्व विकास में बहुत सहायक होते हैं.
- आपके शब्दकोष में वृद्धि होने के कारण आपके ज्ञान में भी वृद्धि होती है.
- आपके विचार लेख के माध्यम से दूसरों तक सटीक तरीके से पहुंचाना आसान होता है.
- मन पर आया हुआ तनाव दूर होने में मदद मिलती है. इससे मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.
- आप अपने मन को तुरंत ही एकाग्र कर सकते हैं. इससे आपके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है.
- आपके विचार करने की गति बढ़ने के कारण आपकी निर्णय क्षमता भी बढ़ जाती है और महत्वपूर्ण बात पर भी आप शीघ्र मगर उचित निर्णय ले सकते हैं.
- किसी भी प्रकार के भ्रम से मुक्त होकर आपकी सोच में एक स्पष्टता आ जाती है.
- आपकी कल्पना शक्ति और रचनात्मकता यानी क्रिएटिविटी में बढ़ोतरी होती है.
- आखिर में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लेखन करते समय आप खुद को अकेला नहीं समझते. इससे आपके मन का बोझ हल्का होने में बहुत मदद मिलती है.
लेख (Article) लिखने के कुछ तकनीकी सुझाव
लेख लिखने से पहले आपको कुछ तकनीकी बातों का भी ख्याल रखना जरूरी है.
- आप अगर किसी पुराने या फिर कम लोगों से संबंधित विषय पर लेख लिखते है तो जाहिर है कि उसे ज्यादा लोग पढ़ना पसंद नहीं करेंगे.
- निश्चित किए हुए विषय के बारे में गूगल पर जाकर एक बार सर्च करें ताकि उस लेख के बारे में आपको ज्यादा जानकारी हासिल हो. साथ ही वह लेख और भी कितने लोगों ने लिखा है, यह भी आपको मालूम हो जाएगा. आप खुद सोच सकते हैं की किसी पहले से ही लिखे हुए विषय पर लेख लिखने में ज्यादा समझदारी नहीं है.
- आसान शब्दों में कहें तो आपको हमेशा निराले विषय पर या किसी पहले से लिखे विषय पर खुद के निराले या अद्वितीय (Unique) अंदाज में ही लेख लिखने की आवश्यकता है.
- आप अपने लेख के बारे में मन में चल रहे विचारों को सूचीबद्ध करने की कोशिश करें ताकि उसमें कोई असंगत मुद्दा न रहें.
- याद रहे, लेख की शब्द मर्यादा कमसे कम 450 शब्दों से लेकर 1200 शब्दों तक रहें. क्योंकि वाचक उससे ज्यादा शब्द वाले लेख पढ़ना पसंद नहीं करते.
- गूगल सर्च रैंकिंग में आने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ही लेख लिखें ताकि आपका लेख ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकें.
- आप किसी एक भाषा से दूसरी भाषा में अपने लेख का रूपांतरण कर सकते हैं. इसमें आप गूगल ट्रांसलेट की मदद भी ले सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे संपूर्ण तरीके से गूगल ट्रांसलेट किया हुआ लेख नहीं रहना चाहिए क्योंकि उसमें व्याकरण की गलतियां होने की संभावनाएं रहती है.
- संपूर्ण लेख लिखने के बाद आप उसे किसी भी प्लेगेरिज्म (Plagiarism) वेबसाइट पर जाकर चेक करें ताकि उसमें लिखा डेटा कितने प्रतिशत निराला या यूनिक है, इसका आपको अनुमान आयेगा.
- आशा है कि इस लेख को पढ़कर आपके मन में भी कोई निराला लेख लिखने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई हो और अगर ऐसा होता है तो यही हमारी जीत है.
आशा है कि इस लेख को पढ़कर आपके मन में भी कोई निराला लेख लिखने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई हो और अगर ऐसा होता है तो हम इसे सकारात्मक संदेश के रूप में देखेंगे..
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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया