By Malvika Kashyap
March 15, 2022
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आजकल के ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए हमें अलग-अलग तरीकों से ऊर्जा हासिल करनी पड़ती है. इसी में विंड टरबाइन यानी कि पवन चक्की के उपयोग से भी ऊर्जा हासिल की जा सकती है.
पवन चक्की ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा का स्त्रोत भी कहा जाता है. इससे जीवाश्म ईंधनों की तरह प्रदूषण नहीं फैलता.
विंड टरबाइन में आमतौर पर तीन पंखों वाली मशीन होती है जिसे हवा की मदद से चलाया जा सकता है. इस मशीन में लगी मोटर को कंप्यूटर नियंत्रित करते हैं.
हवा के कारण विंड टरबाइन की गति औसतन प्रति मिनट 10 से 12 चक्कर तक होती है. विंड टरबाइन के घूमने से इसमें जुड़ा हुआ एक शाफ्ट घूमता है, जो जनरेटर को जोड़ा गया होता है.
जनरेटर घूमने से बिजली पैदा होती है. इससे अधिकतम बिजली उत्पादन करने के लिए एयरोडायनेमिक्स तरीके से जोड़ा जाता है.
आए दिन विंड टरबाइन के पंखे कार्बन फाइबर से बने होने के कारण ज्यादा लचीले और हल्के होते हैं. साथ ही इनमें बिना दरारे पड़े यह लंबे समय तक टिक सकते हैं.
अमेरिका, यूरोप जैसे बड़े-बड़े देशों में विंड टरबाइन का उपयोग किया जाता है. साथ ही भारत में भी इस स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ रहा है.
विंड टरबाइन को ज्यादातर समुद्र तट पर लगाया जाना चाहिए. ताकि समुद्र पर चलने वाली खुली हवाओं के कारण यहां पर हवा की गति ज्यादा होती है. इससे ज्यादा बिजली बन सकती है.
पवन ऊर्जा की मदद से स्वच्छ एवं मुफ्त में बिजली प्राप्त होती है; मगर विंड टरबाइन को लगाने की कैपिटल कॉस्ट बहुत ज्यादा होती है. साथ ही इससे बड़ी मात्रा में ध्वनि प्रदूषण हो सकता है.
अगर विंड टरबाइन के क्षेत्र में बड़े चक्रवात या तूफान आ जाते हैं, तो ये पवनचक्की को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
दोस्तों मुफ्त और स्वच्छ ऊर्जा के इस स्त्रोत को बड़ी मात्रा में अपनाना ही भविष्य की मांग है. साथ ही इसकी कॉस्ट को अगर कम किया जाए, तो यह हमारे ऊर्जा क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो सकती है.
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