By Malvika Kashyap
May 16, 2022
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अल्ट्रासाउंड को ही सोनोग्राफी कहते हैं. इसके उपयोग से हमारे शरीर के अंदर के अंग एवं कई ऊतकों को देखा जा सकता है.
अल्ट्रासाउंड से मुलायम या तरल पदार्थ भरे अंगों की छवि बनाई जा सकती है. लेकिन इससे हवा भरे अंग या हड्डियों की जांच ठीक तरह से नहीं हो पाती.
आमतौर पर अल्ट्रासाउंड परीक्षण लगभग 30 मिनट तक का हो सकता है. इसमें उच्च आवृत्ति ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल होता है, जिन्हें हम कानों से सुन नहीं पाते.
इसके जरिए हमारे शरीर के अंगों से ध्वनि तरंग टकराकर वापिस आती है. उन्हें अल्ट्रासाउंड मशीन माप लेती है और उसकी फोटो कॉपी बनाई जाती है.
अल्ट्रासाउंड परीक्षण में शरीर के ऊपर सोनार डिवाइस का उपयोग होता है. कई बार गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया जाता है.
साथ ही ट्यूमर, कैंसर, थायराइड की जांच, स्तनों में गांठ, जननांग एवं प्रोस्टेट की असामान्यताएं पता करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है.
अल्ट्रासाउंड का ज्यादा इस्तेमाल अच्छा नहीं होता. इसकी रेडियो एक्टिव तरंगे बच्चे के दिमाग पर बुरा असर कर सकती है.
साथ ही अगर ज्यादा बार अल्ट्रासाउंड किया जाए तो इससे हमारे शरीर के डीएनए सेल्स के लिए भी यह बहुत हानिकारक हो सकता है.
अल्ट्रासाउंड का परीक्षण हमारे शरीर में बीमारियों के निदान के लिए आवश्यक होता है. इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह और उचित विशेषज्ञ से ही करना चाहिए.
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