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संविधान की प्रस्तावना में क्या लिखा है?

By Santosh Salve

March 5, 2022

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भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाए गए 'उद्देश्य प्रस्ताव' पर बनाया गया है. संविधान का सार और परिचय अथवा भूमिका को प्रस्तावना कहते हैं.

प्रस्तावना क्या होती है?

विश्व में सबसे पहली बार प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान में शामिल किया गया था. इसके बाद कई देशों द्वारा इसे अपनाया गया.

सबसे पहली प्रस्तावना

भारत प्रजातांत्रिक देश है तथा यहां के लोग ही सर्वोच्च संप्रभु है. इसका मतलब संविधान के आधार पर ही जनता को सभी अधिकार मिले हैं. अर्थात भारतीय संविधान देश की जनता को ही समर्पित है.

हम, भारत के लोग..

संप्रभुता शब्द का मतलब है कि भारत किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं है. अपने आंतरिक और बाहरी मामलों का निस्तारण करने के लिए भारत स्वतंत्र है.

भारत की संप्रभुता

समाजवादी शब्द का अर्थ है कि इसकी जमीन, संपत्ति, मुख्य साधनों आदि पर सार्वजनिक स्वामित्व और नियंत्रण के साथ वितरण में समतुल्य सामंजस्य बना है.

भारत समाजवादी राष्ट्र

भारत की पंथनिरपेक्षता यह बताती है कि देश में सभी धर्मों को समान रूप से माना जाता है. और सरकार का सभी धर्मों को समान रूप में समर्थन प्राप्त है.

भारत की पंथनिरपेक्षता

भारत में लोगों द्वारा निर्वाचित सरकार स्थापित होती है. लोकतंत्र अर्थात सर्वोच्च सत्ता लोगों के ही हाथ में होती है. इसमें राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र शामिल होता है.

लोकतांत्रिक

भारत एक गणतंत्र देश है. अर्थात यहां पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राज्य की सरकार को लोगों द्वारा चुना जाता है. साथ ही गणराज्य में राजनीतिक संप्रभुता राजा के बजाय लोगों के हाथ में होती है.

गणराज्य

भारत में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तरह के तीनों न्यायों का अभिप्राय है. जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार, धन संपदा का न्यायोचित वितरण और राजनीतिक भागीदारी में बराबरी के अधिकार प्राप्त है.

न्याय

भारत के सभी नागरिकों को संविधान में लिखी सीमाओं के भीतर अपने विकास के लिए स्वतंत्रता के अधिकार दिए गए हैं.

स्वतंत्रता का अधिकार

संविधान की प्रस्तावना में हर नागरिक को अपने विकास के अवसर और स्थिति की क्षमता प्रदान की जाती है. अर्थात बिना किसी भेदभाव के हर नागरिक को समान अवसर मिलते हैं.

समता

भारत में राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रस्तावना में बंधुत्व को समाविष्ट किया गया है. अर्थात संपूर्ण देश में भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित किया गया है.

बंधुत्व

भारत के संविधान की प्रस्तावना में देश के प्रति गंभीर संकल्प किए गए हैं. इसी वजह से संविधान की प्रस्तावना को 'संविधान का आत्मा' कहा जाता है. इसे 26 नवंबर, 1949 से अधिनियमित किया गया है.

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