By Santosh Salve
March 8, 2022
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भारत में किसी भी व्रत में या फिर बिना व्रत के भी कई लोग साबूदाने को अपने आहार में शामिल करते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि साबूदाना कैसे बनता है? आइए इसके बारे में जाने!
अगर आप जानते नहीं तो हम आपको बताना चाहते हैं कि साबूदाना अर्थात sago किसी पेड़ पर नहीं उगता. सागो पाम नामक पेड़ के तने में इसका गूदा मौजूद रहता है.
यह ताड़ के पेड़ जैसा बड़ा पेड़ होता है, जो मूल रूप से पूर्व अफ्रीका में पाया जाता है. इसके मोटे तने का हिस्सा काटा जाता है और फिर इसके गूदे का पाउडर बनाया जाता है.
इसके बाद इसकी पाउडर को छानते हुए इसे गर्म करते हैं, ताकि इसके पाउडर के दाने बन सके. साबूदाना के कच्चे माल को 'टैपिओका रूट' कहते है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे 'कसावा' कहते हैं.
भारत में इस सागो पाम के पेड़ प्राय: दक्षिण भारत में पाए जाते हैं, जिससे टेपियोका स्टार्च बनाया जाता है. इससे शकरकंद जैसा कंद निकाला जाता है.
इसके गूदे को बड़े बर्तनों में निकाला जाता है. इसके बाद इसे कई दिनों तक पानी में भिगोकर रखा जाता है. इसमें लगातार पानी डालते रहते हैं. 4 से 6 महीने तक ऐसा बार-बार किया जाता हैं.
इसके बाद इस भीगे हुए गूदे को निकालते हैं और मशीन में डालते हैं. इसके बाद ही इससे साबूदाना मिलता है.
बाद में गूदे के टुकड़े कर उसे सुखाया जाता है. सुखाने के बाद इसे ग्लूकोज और स्टार्च की पाउडर से पॉलिश किया जाता है.
जब इसे पॉलिश की जाती है तो इसके दाने मोतियों जैसे सफेद चमकते हैं. इतनी लंबी प्रोसेस के बाद ही यह साबूदाना बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाता है.
कई लोग कहते हैं कि कई दिनों तक रहने की वजह से इसका पानी खराब हो जाता है. साथ ही इसमें कीड़े भी लग जाते हैं. इसलिए कई लोग इसे खाने से मना करने को कहते हैं.
दोस्तों अब आपको पता चल चुका होगा कि आखिर साबूदाना कैसे बनता है. लेकिन यह तो आप पर निर्भर है कि इसे खाया जाए या नहीं!
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