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Roza Kyu Rakha Jata Hai

By Abdul Qasid

April 6, 2022

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इस्लाम धर्म के मुताबिक अल्लाह की इबादत और खुद पर आत्म नियंत्रण रखने के लिए रमजान का महीना माना जाता है. रोजा रखकर भूखे रहने से गरीबों का दर्द समझा जा सकता है.

रोजे का महत्व

रमजान सिर्फ भूखे प्यासे रहने एवं उपवास करने के लिए नहीं होता. बल्कि रमजान पवित्रता एवं अल्लाह की इबादत करने का महीना होता है.

सिर्फ उपवास करने तक सीमित नहीं

रमजान का पाक महीना खुद की ताकत को और भी ज्यादा मजबूत करना एवं किसी भी तरह के लालच या बुराई से खुद की रक्षा करना सिखाता है.

रमजान क्या सिखाता है?

माना जाता है कि रमजान के इस पाक महीने में खुदा हमारे लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है. साथ ही शैतान को भी अल्लाह कैद कर देता है.

रमजान की मान्यता

रमजान का महीना बड़ा ही सुकून एवं सब्र का महीना होता है. इस महीने में खुदा की हम पर खास रहमते बरसती है. रमजान में नियमों का पूरा पालन हो, तो खुदा सभी गुनाह माफ कर देता है.

बड़ा ही पाक महीना

माना जाता है कि बीमार या फिर यात्रा पर जाने वाले एवं गर्भवती महिलाओं को छोड़ कर बाकी सारे लोगों पर रोजा फर्ज होता है. उन्हें रोजा जरूर रखना चाहिए.

रोजा किसे माफ होता है?

रमजान के महीने में रोजा रखते हुए कुछ बुरा सुनना नहीं होता है. साथ ही कुछ भी बुरा काम नहीं करना होता है. इसीलिए रोजा रखकर मुसलमान खुद को पाक रख सकता है.

खुद को पाक रखो

रोजे को अरबी भाषा में 'सौम' कहते हैं. इसका अर्थ रुकना या ठहरना होता है. रोजे का मतलब सभी बुराइयों से परहेज करना होता है.

रोजे का सच्चा मतलब

हर मुसलमान को बुनियादी 5 बातों पर अमल करना आवश्यक होता है. इसमें ईमान, नमाज, रोजा, हज एवं जकात शामिल होता है.

मुसलमानों के लिए आवश्यक बातें

610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद इसे बहुत पवित्र माना गया. इसी वजह से इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस 9वें महीने में रोजे रखे जाते हैं.

Summary

Ramzan me Ibadat Kaise karna chahiye?

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