Constitution of India में हमारी मौलिक अधिकारों की व्याख्या करने वाला यह Article 21 Right to Life and Personal Liberty Hindi आता है.  और देखा जाए तो यह आर्टिकल अमेरिकन संविधान पर आधारित है.

यह कानून एक बात की पूरी तरह से पुष्टि करता है. इसके तहत कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता. 

अर्थात किसी को भी उसके मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता के अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता. और इसमें व्यक्ति के जीवन एवं उसके सभी अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून बने हैं. 

साथ ही किसी भी व्यक्ति को सुरक्षित वातावरण एवं सम्मान के साथ जीने का पूर्ण अधिकार होता है. और यही बात आर्टिकल 21 में कही गई है.

अमेरिकन संविधान में किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों के बारे में कुछ बात अलग हैं. वहां की कोर्ट को legislative और executive को किस तरह के कानून बनाने चाहिए.

और साथ ही वह कानून बनाने की जरूरत और उसके प्रवर्तन की बारे में सवाल पूछ सकते हैं. इस तरह से हम कह सकते हैं कि जिस देश में due process of law इस तरह से कानून बना होता है. 

वहां की कोर्ट को संसद से 2 सवाल करने का हक होता है. वह सबसे पहला सवाल अपने विधायक से कर सकते हैं कि क्या उनके पास ऐसे कानून बनाने का हक होता है? 

और दूसरा सवाल वह यह कह सकते हैं कि क्या वह कानून किसी के स्वाभाविक जीवन को हानि पहुंचा सकता है? अगर इन दोनों सवालों के जवाब नकारात्मक होते हैं. 

तब वहां के कोर्ट उस कानून को अवैध घोषित कर सकते हैं. और इस तरह का हक अमेरिकन कोर्ट के पास है. डॉ बी आर अंबेडकर साहब भी constitution of india में यही हिस्सा डालना चाहते थे. 

ताकि हमारा Article 21 Right to Life and Personal Liberty Hindi और भी ज्यादा मजबूत बन सके. लेकिन सर अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर इन्होंने इस बात को पुष्टि नहीं दी. 

उन्होंने यह कहां की आगे जाकर यह बात हमें दूसरी कानून बनाने में दिक्कत ला सकती है. इसी वजह से हमारे constitution of india में procedure established by law इस तरह का शब्द ही उपयोग में लाया गया.

पर्सनल लिबर्टी को हम किसी भी इंसान के आत्मसम्मान को कह सकते हैं. अर्थात हर व्यक्ति को किसी भी दूसरे व्यक्ति के साथ इंसानियत से ही पेश आना चाहिए. 

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