By Shaikh Abdulla
March 22, 2022
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हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया कि नमाज मेरी आंखों की ठंडक है. इस नमाज को हर मोमिन मर्द औरत का सीखना फर्ज है.
हर मुसलमान को पांच वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए. जो नमाज को नहीं पढ़ता, वह अल्लाह की नजर में सबसे नीचे होता है.
नमाज शब्द 'सलात' का उर्दू प्रयाय है. कुरान शरीफ में कई बार इस शब्द का प्रयोग हुआ है. जिसने भी कलमा पढ़ा है और जिसकी उम्र 7 साल से ज्यादा है उस पर नमाज का फर्ज है.
नमाज पढ़ने के लिए आपको कुछ शर्तें माननी पड़ेगी, जिनके बिना नमाज सही नहीं मानी जा सकती. इसके लिए सबसे पहले आपके बदन का पाक होना बहुत जरूरी है.
बदन के साथ-साथ पहने हुए कपड़े एवं नमाज पढ़ने की जगह भी पूरी तरह से पाक होनी चाहिए. नाफ के नीचे से लेकर घुटनों तक का हिस्सा सतर कहलाता है. यह छुपा होना चाहिए.
नमाज पढ़ने के लिए वक्त होना बहोत जरूरी होता है. वक्त से पहले या फिर वक्त के बाद पढ़ी गई नमाज कजा नमाज की तरह मानी जाएगी. नमाज पढ़ने के लिए इसका इरादा कर लेना चाहिए.
नमाज पढ़ने से पहले आपको बिस्मिल्लाह कहते हुए वजू जरूर कर लेनी चाहिए. इसमें आपको अपनी कलाइयों तक हाथ धोने चाहिए एवं कुल्ली भी करनी चाहिए.
अगर आप लंबे अरसे से नहाए नहीं है तो वजू करने से पहले आपको गुस्ल भी करना चाहिए. इसके लिए आपको वजू में जैसे करते हैं उसी तरह सारी चीजें करते हुए ज्यादा से ज्यादा 3 बार धो लेना चाहिए.
नमाज पढ़ने के लिए किबला की तरफ रुख होकर अल्लाह हू अकबर कहते हुए हाथ बांध लेने चाहिए. इसके बाद सना पढ़िए. जो भी सना आपको आता है, उसे आप पढ़ सकते हैं.
अगर आप मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हो तो फिक्र करने की कोई बात नहीं. मगर अकेले नमाज पढ़ते हुए आपको किबले की तरफ ही मुंह करना चाहिए.
इसके बाद त'अव्वुज पढ़ें. बाद में सूरह फातिहा पढ़ना चाहिए. इसके बाद कोई एक सुरा और पढ़ें. बाद में अल्लाह हू अकबर कहते हैं रुकू में जाए. रुकू के बाद अल्लाह की तस्बीह को बयान जरूर करें.
इसके बाद खड़े होकर अल्लाहू अकबर कहते हुए सजदे में जाएं. और फिर अल्लाह की तस्बीह बयान करें. दोबारा अल्लाहू अकबर कहते हुए सजदे से उठे एवं फिर से सजदे में जाते हुए तस्बीह करें.
इसके बाद तशहुद में बैठते हुए अत्तहिय्यात पढ़ें. बाद में दरूदे इब्राहिम पढ़ें. इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़िए. अब अपने लिए जो चाहे वह अरबी अल्फाजों में दुआएं आप मांग सकते हैं.
इस तरह से दो रक'अत नमाज़ पढ़ते हुए आप सलाम फेर सकते हैं. 'अस्सलामु अलैकुम' एवं 'रहमतुल्लाह' कहते हुए सीधे एवं उल्टे जानिब सलाम फेर सकते हैं.
किसी भी गलती के लिए हम माफी चाहते हैं! इस तरह सही तरीके से नमाज पढ़ते हुए आप अपनी दुआओं को अल्लाह के दरबार में रख सकते हैं. अल्लाह आपको हमेशा खुशियों से नवाजें! आमीन!
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