By Malvika Kashyap
April 14, 2022
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मौलिक कर्तव्य अर्थात ऐसे बुनियादी कर्तव्य होते हैं जो हर व्यक्ति को अपने विकास एवं देश की उन्नति के लिए आवश्यक होते हैं. इन्हें मूल दायित्व भी कहा जा सकता हैं.
भारतीय संविधान में 1976 में किए गए 42 वें संशोधन द्वारा मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया है. संविधान के भाग 4 में कुल 11 मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं.
मौलिक कर्तव्यों का पालन करना हर नागरिक का दायित्व होता है. हमारे विकास के लिए मौलिक अधिकार के साथ-साथ मौलिक कर्तव्य भी महत्वपूर्ण होते हैं.
कर्तव्य एवं अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं. इनका एक दूसरे के साथ सदैव घनिष्ठ संबंध होता है.
हर नागरिक का कर्तव्य है कि संविधान का पालन करें और उसके आदर्श, संस्था, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगान का भी आदर करें.
स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्श ह्रदय में संजोए रखें और उनका पालन करें.
हमारे भारत देश की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें. देश की हमेशा रक्षा करें.
भारत के सभी नागरिकों में समरसता और समान बंधुत्व की भावना निर्माण करें. यह धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग जैसे भेदभाव से परे हो.
स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध प्रथाओं का त्याग करें. हमारे सामाजिक-संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परीक्षण करें.
प्राकृतिक पर्यावरण जैसे की झील, नदियां, वन, वन्य जीव आदि की रक्षा करें और उनका संवर्धन करें. साथ ही सभी प्राणियों के प्रति दया भाव रखें.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन के साथ ही सुधार की भावना का मन में विकास जरूर करें.
सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करें एवं किसी भी हिंसा से दूर रहे. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के क्षेत्रों में उत्कर्ष करने का प्रयास करें
अगर माता-पिता या संरक्षक है, तो 6 से 14 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा के अवसर जरूर प्रदान करें.
हमें यकीन है कि बताए गए सभी मौलिक कर्तव्यों का आप जरूर पालन करेंगे एवं भारत देश की अखंडता कायम रखेंगे. क्योंकि इसी से हमारे देश का विकास संभव है.
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