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Mahatma Phule ke bare mein rochak tathya

By Malvika Kashyap

April 11, 2022

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ज्योतिबा फुले जी को आधुनिक भारत के महात्मा के रूप में जाना जाता है. महिलाओं एवं शूद्रों को उनके अधिकार दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है.

आधुनिक भारत के महात्मा

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 के दिन महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था. उनके वंशज माली समाज से थे, जो बरसों से फूल बेचने का व्यापार एवं बागवानी करते थे.

कब हुआ था जन्म?

ज्योतिबा लगभग 1 साल के थे, तब उनकी माता का निधन हो गया था. उनके पिता एवं सगुनाबाई नामक दाई ने उनका पालन पोषण किया था.

माता का निधन

ज्योतिबा फुले जी थॉमस पाइन के विचारों से बहुत प्रभावित थे. अपनी खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद भी ज्योतिबा ने शूद्रों एवं अछूतों को शिक्षा देने की ठान ली थी.

शुद्र एवं अछूतों के मसीहा

इसके लिए उन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी सावित्रीबाई को पढ़ाया. इस कार्य में समाज के विरोध के कारण उन्होंने पत्नी को लेकर अपना घर तक छोड़ दिया.

अपना घर बार छोड़ दिया था

1848-49 में उन्होंने ब्राह्मणों को सरकार द्वारा दी जाने वाली लगभग ₹4000 राशि के दक्षिणा प्रथा का विरोध किया था. इससे उन पर ब्राह्मण बहुत ज्यादा नाराज थे.

दक्षिणा प्रथा का विरोध

ज्योतिबा फुले जी ने लड़कियों एवं अछूतों की शिक्षा के लिए सबसे पहली स्कूल खोली थी. पुणे के भिडे वाड़ा में उन्होंने भारत की पहली स्कूल 1 जनवरी 1848 को शुरू की थी.

सबसे पहली स्कूल

लोग अछूतों को बहुत ज्यादा अपवित्र मानते थे. लोगों के द्वारा उन्हें पानी भी पिलाया नहीं जाता था. ऐसे में ज्योतिबा ने अपने घर का पानी का कुआं उनके लिए खुलवाया था.

अछूतों के लिए कुआं खुलवाया

1863 में फुले दंपति ने गर्भवती विधवाओं के संरक्षण के लिए पहला अनाथालय शुरू किया था. साथ ही उनके द्वारा भारत का पहला शिशु ह त्या निषेध गृह शुरू किया गया था.

कई महत्वपूर्ण कार्य

ज्योतिबा फुले जी को "मुंबई देशस्थ मराठा ज्ञान धर्म संस्था" की तरफ से 11 मई 1888 के दिन महात्मा यह उपाधि दी गई थी.

महात्मा की उपाधि

महात्मा फुले जी ने गुलामगिरी, ब्राह्मणों का कसब जैसी शुद्र एवं वंचितों की स्थिति का वर्णन करने वाली रचनाएं लिखी थी. इसमें उन्होंने समाज की आंखें खोलने का प्रयास किया.

महात्मा फुले जी की रचनाएं

महात्मा फुले जी के द्वारा ही सत्यशोधक समाज की स्थापना हुई थी. शिक्षा के प्रति उनके योगदान के लिए मेजर कैंडी ने उन्हें सम्मानित किया था.

सत्यशोधक समाज की स्थापना

ऐसे महान समाज सुधारक का 28 नवंबर 1890 के दिन निधन हुआ. डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने उन्हें अपना गुरु माना था. आज उनकी जयंती पर हम भी महात्मा फुले जी को वंदन करते हैं!

Summary

Dr Ambedkar inka jivan parichay

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