हर महीने में शिवरात्रि तो आती है, लेकिन भगवान शिव और शक्ति के मिलन की रात, महाशिवरात्रि साल में एक बार आती है. मान्यता है कि इसी दिन शिव और पार्वती का विवाह हुआ था.
इस दिन पूरे देश भर में कई स्थानों पर महादेव भक्त जागरण करते हैं. साथ ही भगवान शिव की आराधना करते हुए उपवास भी रखा जाता है. वे पूरी तरह महादेव की भक्ति में तल्लीन हो जाते हैं.
बिना मांगे ही मेरी खाली झोली उन्होंने ही भर दी.. मेरे भोले बाबा ने मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दी.. - Santosh
मान्यता है की महाशिवरात्रि को ही भगवान श्री महादेव लिंग के रूप में सबसे पहले प्रकट हुए थे. इस शिवलिंग का ना तो कोई आदि था, और ना ही कोई अंत था.
एक शिव भक्त जंगल में रात के समय भटक जाने के कारण पेड़ पर बैठा रहा. पूरी रात नींद ना आ सके और नीचे ना गिर सके इसलिए वह पेड़ के पत्तों को नीचे गिराता रहा.
वह जिस पेड़ पर चढ़ा था, वह बेल का पेड़ था. रात भर उसने 1000 बेल के पत्तों को नीचे मौजूद शिवलिंग पर गिराया था. इससे महादेव उस पर बड़े प्रसन्न हो गए, और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया.
महादेव के विवाह के उपलक्ष में भक्तजनों द्वारा मंदिरों में शिवलिंग का पूजन करते है. तथा मंदिर से भगवान शिवजी की बारात निकालकर विधिवत माता पार्वती के संग विवाह लगाया जाता है.
मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन करने से महादेव प्रसन्न होते है. महाशिवरात्रि के दिन कई बड़े बड़े अनुष्ठान भी किए जाते हैं.
कहा जाता है की महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले को उसके जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है. कुंवारी लड़कियां इस व्रत के माध्यम से अपने योग्य वर की कामना कर सकती हैं.
सुबह ही स्नानादि करके आप शिव और पार्वती के व्रत का संकल्प करें. तथा शिवलिंग को पंचामृत से अभिषेक करें. साथ ही धूप, दीप और बेलपत्र चढ़ाकर शिव स्त्रोत का पठन करें.
महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ जी को 11, 21 या 51 इस तरह बेलपत्र चढ़ाएं. साथ ही पूरे दिन भर 'ॐ नमः शिवाय' इस मंत्र का जाप करते रहें. इससे भोलेनाथ जी की आप पर कृपा बनी रहेगी.
अगर आप भव्य तरीके से महाशिवरात्रि का जागरण करना चाहते हैं तो ईशा योग केंद्र द्वारा आयोजित महोत्सव में हिस्सा ले सकते हैं. यहां हर साल महाशवरात्रि उत्सव मनाया जाता है.