1. भगवान शिवजी को महादेव, आदिनाथ, भोलेनाथ ऐसे कई नामों से जाना जाता है। महादेव को सृष्टि के संहारक के रूप में माना जाता है। देवताओं के साथ ही यक्ष, गंधर्व, पिशाच आदि सभी उनका पूजन करते हैं।
2. महादेव ने समुद्र मंथन से निकला हुआ विष प्राशन किया था। इसी वजह से उनके गले में हमेशा वासुकि नामक नाग लिपटा रहता है। भगवान नीलकंठ के साथ ही वासुकि और अन्य नागों ने भी विष पी लिया था।
3 शिव जी की पत्नी सती ने ही अगला जन्म लेकर पार्वती के रूप में उनसे विवाह किया। शिव जी के 6 पुत्रों के गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अय्यप्पा और भूमा ऐसे नाम है।
4 देवताओं पर जब भी कोई संकट आता था, तो वे सभी भगवान शिव के पास ही चले जाते थे। दैत्य, राक्षस और देवता सभी शिव जी के सामने झुक जाते थे। इसीलिए शिवजी देवों के देव महादेव के नाम से जाने जाते हैं।
5 भगवान महादेव के पास पिनाक नाम का एक धनुष था। मानते हैं कि उसकी बस एक टंकार से ही सारे बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। इसके एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरिया ध्वस्त हो गई थी।
6 जब राजा दक्ष ने अपने यज्ञ में भगवान शिव जी को बुलाया नहीं, तब सती ने उस यज्ञ में छलांग लगा दी। उस कारण शिवजी बड़े क्रोधित हो गए थे। तब उन्होंने अपने पिनाक धनुष से धरती नष्ट करने की ठान ली थी।
7. इस विशालकाय धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। उसे भगवान श्री राम ने उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाई और फिर उसे एक झटके में तोड़ दिया।
8 भगवान शिव जी के पास कई संहारक शस्त्र अस्त्र थे। उनमें एक घातक अस्त्र त्रिशूल था। इसी के साथ उनके पास भवरेंदु नामक चक्र भी था।
9. भगवान महादेव ने अपनी पत्नी पार्वती को मोक्ष प्राप्ति के लिए अमरनाथ गुफा में कहानी सुनाई थी। माना जाता है कि उनकी वह कहानी दो कबूतरों ने सुन ली थी। इसीलिए वो कबूतर भी अमर हो गए।
10. शिवलिंग के रूप में ही ज्यादातर लोग भगवान शिव का पूजन करते हैं। इसी के साथ ही डमरु, अर्धचंद्र, रुद्राक्ष और त्रिशूल के रूप में भी उनकी पूजा की जाती है।
11. भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि यह सबसे प्रमुख पर्व मनाया जाता है। इसी के साथ ही सोमवार, प्रदोष और सावन मास में भी शंकर जी के व्रत रखे जाते हैं।