By Malvika Kashyap
April 19, 2022
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मुंबई की रहने वाली जसवंती जमुनादास पोपट इन्होंने 1959 में पापड़ तैयार करने का काम शुरू किया था. कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद उनमें कारोबार की अच्छी समझ थी.
श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ ग्रुप कंपनी ₹80 के कर्ज के साथ शुरू की गई थी. आज इसका सालाना टर्नओवर लगभग ₹800 करोड़ इतना है.
जब हम हाई कैलोरी फूड या फिर ज्यादा तला भुना और मसालेदार खाना खाते हैं, तो लिज्जत पापड़ हमें भोजन पचाने में मदद करता है.
उड़द दाल के आटे में काली मिर्च, नमक, थोड़ा सा रिफाइंड तेल डालकर मिला ले. आटा फूलने के बाद इसके पापड़ बेले. इसे धूप में सुखाकर फ्राई कर सकते हैं.
गुजराती परिवार की जसवंती जमुनादास पोपट इन्होंने अपने साथ 6 गरीब महिलाओं को साथ लेकर ₹80 का कर्ज लिया था. उसी से पापड़ बेलने का काम शुरू किया था.
15 मार्च 1959 के दिन इन महिलाओं ने पापड़ बेलने की शुरुआत की. इन्होंने अपने व्यवसाय द्वारा कोई बड़ा उद्योग स्थापन ना करते हुए सिर्फ परिवार चलाने की सोच रखी.
कुछ महीने बाद उन्होंने अपने ₹80 का कर्ज चुका दिया और इस कारोबार की सफलता बढ़ती गई. 1962 में इन्होंने अपने ग्रुप का नाम श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ रख दिया.
आज इस कारोबार की सालाना टर्नओवर लगभग 800 करोड रुपए तक की है. और इसमें लगभग 45000 महिलाएं जुड़ी हुई है. आज इनकी 62 ब्रांच है.
आज के दिन लिज्जत पापड़ को देश और विदेश में भी बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है. कंपनी की गुणवत्ता ने ही उन्हें इस मकाम तक पहुंचाया है.
इस पापड़ की खासियत यह है कि आज भी इन पापड़ों को मशीन से नहीं बल्कि महिलाएं अपने हाथों से बनाती है. इसीलिए इनका स्वाद वैसा ही लगता है, जैसा पहले था.
पापड़ बनाने की प्रोसेस में आटा गूंथना, लोई बनाना, पापड़ बनाना, सुखाना एवं पैकिंग यह मुख्य चरण शामिल है. इस पापड़ की गुणवत्ता का श्रेय सभी महिलाओं को जाता है.
लिज्जत पापड़ ग्रुप को 2003 में देश के सर्वोत्तम कुटीर उद्योग सम्मान के साथ 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ब्रांड इक्विटी अवार्ड भी मिला है.
हमें यकीन है कि जब भी आप लिज्जत पापड़ खाएंगे, तो महिलाओं की एकता एवं आत्मविश्वास की कहानी जरूर याद करेंगे. इससे आपको पापड़ का स्वाद और भी अच्छा लगेगा.
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