By Abdul Qasid
April 6, 2022
Note अगले स्लाइड पर जाने के लिए, या विज्ञापन स्किप करने के लिए स्क्रीन टच करें
रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है. यह पाक महीना सभी मुसलमानों द्वारा बेहद ही खास माना जाता है. इस महीने में ना उन्हें झूठ बोलना चाहिए और ना ही कोई गलत काम करना चाहिए.
अल्लाह की इबादत करने के लिए मुस्लिम समुदाय 30 दिनों तक रोजा रखते हैं. माना जाता है कि रमजान में किसी भी कपल को हम बिस्तर नहीं होना चाहिए.
रोजा का मतलब होता है खुद पर संयम रखते हुए अल्लाह की इबादत करना. अगर आपने जल्दबाजी में या फिर भूल कर कुछ खा लिया हो तो इससे रोजा नहीं टूटता है.
रमजान में रोजाना रात को सोने से पहले या सहरी पर रोजे की नियत करनी होती है. मगर माहवारी से गुजर रही महिलाओं को रोजा रखने की इजाजत नहीं दी जाती.
माहवारी से गुजर रही महिलाओं को रोजा ना रखने के साथ-साथ कुरान ना पढ़ने एवं मस्जिद में ना जाने की भी सलाह दी जाती है.
साथ ही शारीरिक या मानसिक तौर से बीमार होने पर, गर्भावस्था में, ज्यादा उम्र होने पर या कहीं यात्रा पर जाने पर भी रोजा छोड़ा जा सकता है.
पीरियड्स के दौरान मुसलमान लड़की को घरवालों के साथ सेहरी या इफ्तार में शामिल होने की इजाजत दी जा सकती है. लेकिन उन्हें रोजा रखने एवं दुआ मांगने की इजाजत नहीं दी जाती.
रमजान के पाक महीने में मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा यानी कि उपवास करते हैं. दिन भर में ना तो वह कुछ खाते हैं और ना ही कुछ पीते हैं.
कई महिलाओं का मानना है कि वे अपने माहवारी या पीरियड्स के बारे में घरवालों को बता भी नहीं सकती. एक तरह से यह बात उनके लिए कलंकित समझी जाती है.
हालांकि ऐसा माना जाता है कि महामारी के दौरान लड़कियों के जितने भी रोजे छूट गए हैं, उनके लिए वे खुदा से माफी मांग सकती है. और उन्हें बाद में पूरा कर सकती हैं.
कई महिलाओं का मानना है की माहवारी या पैड के बारे में खुलकर बात होनी चाहिए. तभी उन्हें पूरी तरह से समझा जा सकता हैं और उन्हें उनका पूरा हक मिल सकता हैं.
Next Web Story
To visit next Web Story, Swipe Up the following button or Click on it 🙏 Thank You!