By Ashish Kale
April 16, 2022
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कपालभाति योग का एक षटकर्म विधि होता है. कपाल का अर्थ ललाट एवं भाति का अर्थ तेज होता है. इसके अभ्यास से चेहरे पर तेज उत्पन्न होता है.
सबसे पहले योगा मैट पर रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए बैठ जाए. इसके बाद दोनों हथेलियों को अपने घुटने पर रखते हुए सांस को भीतर खींचे.
पद्मासन में बैठते हुए दोनों हाथों से चित्त मुद्रा बनाएं. अब गहरी सांस लेते हुए झटके से सांस छोड़ें एवं पेट को अंदर की तरफ खींचे. इसे कम से कम 20-30 बार करें.
अपनी नाभि को रीड की हड्डी के तरफ खींचे. उतना ही बल लगाएं जितना सहजता से लगा सकते हैं. हृदय रोग, हाई बीपी आदि समस्याओं में इसे धीरे-धीरे करना चाहिए.
कपालभाति प्राणायाम को सुबह के समय करने से आपके शरीर को ताकत मिलती है. या आप इसे शाम के समय खाली पेट भी कर सकते हैं.
खाना खाने के तुरंत बाद कपालभाति कभी नहीं करना चाहिए. साथ ही धूल, दुर्गंधी, धुआं, बंद या गर्म वातावरण में इसे नहीं करना चाहिए.
अगर आप को दस्त, बुखार या अत्यधिक कमजोरी है तो कपालभाति ना करें. महिलाओं को अपने मासिक चक्र में या गर्भावस्था के दौरान इसे नहीं करना चाहिए.
कपालभाति प्राणायाम के तीन प्रकार होते हैं. इनमें वातक्रम, व्युतक्रम एवं शीतक्रम कपालभाति प्राणायाम शामिल होता है.
कपालभाति करते हुए ताजी हवा वाले स्थान पर बैठे. शोर वाले स्थान पर इसे ना करें. आंखें बंद ही रखें. अपनी मानसिक स्थिति को शांत रखें.
कपालभाति के कारण पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है. रक्त का परिसंचरण सही ढंग से होता है. पाचन तंत्र भी मजबूत होता है.
कपालभाति करने से डायबिटीज पेशेंट को बहुत लाभ मिलता है. इससे मन शांत होता है. साथ ही यौन संबंधी विकार भी ठीक होते हैं.
कपालभाति के बारे में बताई गई बातों को केवल जानकारी के तौर पर ले. इस प्राणायाम का अभ्यास किसी विशेषज्ञ या ट्रेनर के सलाह द्वारा ही करें.
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