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Dr. B R Ambedkar ka jivan Parichay

By Santosh Salve

March 29, 2022

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भारत के संविधान निर्माता के रूप में पहचाने जाने वाले डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का मूल नाम भीमराव था. उनके पिता रामजी सकपाल महू में मेजर सूबेदार पद पर सैनिक अधिकारी थे.

जीवन परिचय

अंबेडकर का परिवार मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अंबावडे गांव में रहता था. स्कूल के शिक्षक ने उनके गांव के नाम पर ही उनका  उपनाम लिख दिया था.

अंबावडे गांव के मूल रहिवासी

उनके पिता हमेशा बच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे. भीमराव भी पढ़ाई में बहुत होशियार थे. दापोली एवं सातारा में प्राथमिक शिक्षा के बाद मुंबई की एल्फिस्टन स्कूल से 1907 में मैट्रिक पास की.

होशियार भीमराव

1912 में उन्होंने बड़ौदा के राजा सयाजी गायकवाड की फेलोशिप पाकर विश्वविद्यालय मुंबई से डिग्री पास की. 1915 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए डिग्री ली.

अमेरिका से डिग्री ली

इसके बाद उन्होंने इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई पूरी की. साथ ही M.sc एवं  बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की.

लगभग 32 डिग्री या प्राप्त  करने वाले अंबेडकर

निम्न जाति के कारण छुआछूत की प्रथा से उन्हें अपने जीवन में बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ा. इसी संघर्ष के कारण उन्हें अपने जीवन एवं विचारों को बदलने में मदद मिली.

जीवन में बहुत बड़ा संघर्ष किया

बाबा साहब ने दलितों एवं आदिवासियों के हक के लिए मनुस्मृति दहन(1927), महाड सत्याग्रह(1928), नासिक सत्याग्रह(1930) एवं येवला की धर्म बदलने की गर्जना(1935) जैसे कई आंदोलन चलाए.

आंदोलन

स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार में उन्होंने देश के पहले कानून मंत्री के रूप में शपथ ली. साथ ही 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार किया.

देश को संविधान दिया

1951 में महिला सशक्तिकरण के लिए हिंदू कोड बिल को पारित करवाने के प्रयास में उन्हें सफलता नहीं मिली. इस वजह से उन्होंने अपने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

अपने पद से इस्तीफा दे दिया

बाबासाहब ने शिक्षा, श्रम कल्याण, सामाजिक सुरक्षा, मजदूर वर्ग, अपंग सहायता, भविष्य निधि, जल आपूर्ति आदि सुविधाओं को लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

बाबा साहब के महान कार्य

वर्ण व्यवस्था एवं अनिष्ट प्रथाओं की वजह से उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 के दिन नागपुर में अपने समर्थकों के साथ हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया.

हिंदू धर्म का त्याग किया

देश को स्वतंत्रता, समता एवं बंधुता का सच्चा पाठ देनेवाले इस महान सुधारक को अपनी मृत्यु के उपरांत भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा गया था!

Summary

पढाई में मन लगाने का तरीका

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