By Malvika Kashyap
March 19, 2022
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अनुलोम विलोम प्राणायाम को ही नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं. इसके नियमित अभ्यास से हमारे शरीर की सभी नाडिया स्वच्छ एवं निरोगी बनी रहती है.
अनुलोम विलोम में जब हम सांस लेते हैं तो एक नथुने को बंद रखना होता है. सांस छोड़ते हुए दूसरे नथुने को बंद किया जाता है. यही प्रक्रिया 10-15 मिनट के लिए बार-बार दोहराई जाती है.
माना जाता है कि इस तरह से सांस लेने और छोड़ने से हमें कई सारे शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं. इससे सांस के सरकुलेशन में सुधार होता है.
अनुलोम विलोम के नियमित अभ्यास से बंद नाडिया खुल जाती हैं एवं हमारे दिमाग को शांति मिलती है. साथ ही इसके नियमित अभ्यास से हमारे मन का स्ट्रेस भी कम होता है.
अनुलोम विलोम की मदद से हमारे शरीर में तैयार होने वाले टॉक्सिंस भी बाहर निकालें जाते हैं. साथ ही शरीर को नई ऊर्जा भी प्रदान होती है.
शरीर को आई हुई थकान, स्ट्रेस एवं आलस भी अनुलोम विलोम क्रिया से दूर होता है. आप अपनी सांस पर अपना कंट्रोल रख पाते हैं. इससे आपके मन और शरीर को शांति मिलती है.
अनुलोम विलोम क्रिया से अगर आप अपने दिन की शुरुआत करते हैं तो दिन भर आप चुस्ती और फुर्ती का अनुभव कर सकते हैं. साथ ही रात में बेहतर नींद आने में भी यह सहायक साबित होता है.
अनुलोम विलोम क्रिया की मदद से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे हाई बीपी एवं हार्ट के दुरुस्ती में भी मदद मिलती है.
अनुलोम विलोम करने से हमारे फेफड़ों में ऑक्सीजन भरने के साथ-साथ सांस संबंधी परेशानी भी दूर हो सकती है. इससे हमारे फेफड़े मजबूत बनते हैं.
इस प्राणायाम की मदद से हमें चिड़चिड़ापन, घबराहट, डिप्रेशन जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इसी के साथ हमारा मूड भी हमेशा फ्रेश रहता है.
अनुलोम विलोम प्राणायाम की मदद से हमारे दिमाग के दोनों हिस्से संतुलित रहते हैं. इससे हमारी सोचने-समझने की शक्ति और कार्यकुशलता बढ़ती है.
किसी फिटनेस ट्रेनर या योगा ट्रेनर की सलाह से ठीक तरह से अनुलोम विलोम करने की विधि ज्ञात करते हुए इस प्राणायाम को हर रोज जरूर अपनाएं!
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