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यह सत्य है कि जब आप खुद की सहायता करते हैं, तभी आप सब कुछ पा सकते हैं, आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो चीजें या बातें आप सोचते हैं वह एक प्रकार से सत्य ही होता है, बस जरूरत है उसे एक साकार रूप देने की! जो हम अपनी आत्मनिर्भर और आत्म विश्वास से दे सकते हैं.

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आखिर हमें आत्मनिर्भरता कैसे पानी है?

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यदि आप खुद को निर्धन, तुच्छ जीव मानते हैं, तो आप ऐसा ही हो जाते हैं. इसके विपरीत यदि आप आत्मसम्मान की भावना से परिपूर्ण है, Atmanirbharta है तो आपको सम्मान, स्नेह और सफलता प्राप्त होगी.स्वयं को दीनहीन, दुर्बल, भाग्यहीन कभी ना समझे, क्योंकि आप जैसा सोचते है, वैसे ही बन जाएंगे.

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कभी भी खुद को तुच्छ ना समझें

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हमेशा ध्यान में रखें कि निसंदेह हम सब का शरीर, रूप रंग, अलग अलग होता है, लेकिन एक अमूल्य चीज हम सबके पास होती है, जिसे हम 'मस्तिष्क' कहते हैं. सबके के पास अपना खुद का मस्तिष्क, अपना खुद का ज्ञान होता है.

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कभी भी खुद को तुच्छ ना समझें

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जो इस ज्ञान का जितना सदुपयोग करता है, उसे उतनीही उसकी प्राप्ति और वृद्धि होती रहेगी. ज्ञान बांटने से बढ़ता है, तो आप भी ज्ञान बांटना शुरू कीजिए. लेकिन यह भी ध्यान रखें कि आप उस ज्ञान को स्वयं अपने अंदर भी समाहित करें.

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कभी भी खुद को तुच्छ ना समझें

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हम सब जानते हैं कि शेर की अपेक्षा हाथी बहुत बड़ा, बलवान और भारी होता है. फिर भी अकेला शेर,  दर्जनों हाथियों को भगाने में समर्थ होता है. क्या आपने कभी सोचा है, आखिर ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हाथी अपने शरीर पर, अपनी शक्ति पर भरोसा नहीं करता, जबकि शेर अपनी शक्ति पर पूर्ण विश्वास रखता है. हाथीयों के झुंड बनाकर चलने से ही उनका डर झलकता हैं; लेकिन अकेले शेर का भी सबको भय लगता है.

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हाथी और शेर आत्मनिर्भरता की कहानी

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शेर के अकेले चलने के पीछे उसका निडर और आत्मनिर्भरता पूर्ण स्वभाव होता है, जो उसे सभी जानवरों से अलग और शक्तिशाली बनाता है और इसीलिए शेर जंगल का राजा कहलाता है. इस बात से हमें यह समझ में आता है कि जिस व्यक्ति के अंदर भय होता है, वह कभी भी, कही भी अकेले नहीं जा सकता और ना ही अकेले कोई काम कर पाता है.

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हाथी और शेर आत्मनिर्भरता की कहानी

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जब हाथी विश्राम करते हैं तो किसी एक हाथी को पहरेदारी करनी पड़ती है. उन्हें हमेशा शेर के आक्रमण का डर सताता रहता है. यदि हाथी अपनी ताकत पर भरोसा करें, तो वे कई शेरों को भी अपनी सुंड से उठाकर पटक सकते हैं. परंतु बेचारे हाथी को खुद पर इतना विश्वास नहीं होता, इसलिए उसमें साहस का अभाव बना रहता है.

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हाथी और शेर आत्मनिर्भरता की कहानी

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हमें स्वयं को नीच, अधम, दुखी, पापी या अभागा कभी भी नहीं मानना चाहिए. आप अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानिए और उस पर विश्वास करें. सदा सकारात्मक ही सोचें, क्योंकि कहा गया है कि जो जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है.

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हाथी और शेर आत्मनिर्भरता की कहानी

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