पाणी का नियोजन कैसे करें?

हमारा देश समृद्ध है. एवं संसाधनों से पर्याप्त है. आवश्यक सभी प्रकार के संसाधनों में से पाणी एक बेहद एवं जरुरी संसाधन माना जाता है. और इसका हमें वास्तव में स्विकार भी करना चाहिए.

“पाणी ही जिवन है”

“जल के बिना जिना अकाल है” इसका भी हमें ध्यान रखना होगा. लातूर जैसे शहर में रेल से पाणी की व्यवस्था करनी पड़ी. बुलडाणा जिले के संग्रामपूर, जलगांव (जामोद), शेगांव तालुके में पाणी में क्षार का प्रमाण बेहद बढ़ा हूआ है. महाराष्ट्र में कई ऐसे इलाके है जहा पाणी की समस्या है.

पिने योग्य पाणी नहीं है. या दूर दराज के क्षेत्र से पाणी की व्यवस्था करनी पड़ती है. सभी प्रकार के सजिवों के लिए पाणी की आवश्यकता होती है. पाणी के बिना सजिवों की जीने की कल्पना करना आसान नहीं है.

शहर, गांव में पाणी की दिक्कत सहनी पडती है. उसी प्रकार वनक्षेत्र में जानवरों को भी उसी प्रकार से पाणी की समस्या से जुझना पडता है. क्या यह इसी प्रकार चलता रहेगा? क्या हम इस में कभी बदलाव नहीं लाना चाहते? तो हमें क्या करना होगा?

कैसे पानी की समस्या को दूर करे?

पेड, पौधे जितनी अधिक मात्रा में हो उतना ही उस क्षेत्र के लिए लाभदायक होते है. जिससे उसी क्षेत्र में बारीश जादा होती है. वातावरण स्वच्छ रहता है. इसीके माध्यम से पाणी की व्यवस्था जिसे नैसर्गिक व्यवस्था करना भी कहा जा सकता है.

बारीश के मौसम में बाढ़ से कुछ इलाके प्रभावित होते है. बाढ़ में खेती के लिए उपयोगी एवं बेहतर मिट्टी मिलती है. साथ ही साथ रेत नामक पर्याप्त एवं उपयोगी संसाधन.

लेकीन मनुष्य नदीयों में से जादा मात्रा में अवैध रुप से रेत निकालते है. इसके चलते जल की जगह तहस-महस हो जाती है. और बहता हुआ जल अपनी जगह नहीं बना पाता.

जल की समस्या से निपटने के लिए हमें बेहतर एवं आधुनिक तकनिक अपनानी होगी ताकी आनेवाला कल लाभदायी हो.

एक अच्छा नियोजन ही पानी समस्या का हल है

स्वच्छ एवं सुरक्षित जल हमें नदी, तालाब, कुंआ , नहर से प्राप्त हो सकता है. बेहतर है की इसी माध्यम से हमें पिने योग्य पाणी मिले.

पाणी के बिना कोई भी काम नहीं किये जा सकते. जादातर काम जल के साथ ही किए जाते है. जल का बेहतर नियोजन करने हेतू कुछ बातें उसी प्रकार से नियोजन में लानी होगी. जिससे जल का नियोजन हो.

सभी शहरों एवं गावों में जल का वितरण नल कनेक्शन के माध्यम से या पाईप लाईन की माध्यम से किया जाता है. खराबी की वजह से कुछ जगह पर पाईप लाईन में लिकेज आता है. सही समय पर इसे ठिक करने की आवश्यकता है. या वह लिकेज संबंधित कर्मचारी को बता देना भी उतना ही आवश्यक है.

बेहद जरुरी है नियोजन

जरुरत नहीं है उस समय नल को बंद कर दे. जल की जितनी जरुरत है उतना ही जल उपयोग में लाए. ७ दिनों के लिए पाणी का उपयोग हो सके उतना जल, टंकी, बर्तन, आवश्यक साधनों में भरकर रखें. छोटे बच्चे नहाते, या कपडे धोने के समय पर जल का उपयोग खेलने के लिए करते है. ऐसी स्थिती में जल का नुकसान होता है. वह ना होने दे.

हफ्ते भर के लिए एक समय सारणी निश्चित करें और उसी समय जल भरकर रखें. और सही मात्रा में उसका उपयोग करें. पाणी छोड़ने वाले सभी पंचायत के कर्मचारी से संपर्क करें की पाणी कब? किस समय? कितनी देर तक? आपके लिए देना है.

नल कनेक्शन, पाईप लाईन के लिए कुछ वाॅल्व भी रहते है. जिससे जल का सही दबाव बना रहता है. सभी वाॅल्व से जल निरंतर रुप से बहता है. जरुरत है की वहां एक रबर पाईप की व्यवस्था हो. और एक काॅक भी हो. जिससे बहता पाणी नियंत्रित किया जा सके. साफ एवं स्वच्छ पाणी मिलने के लिए पाणी फिल्टर करने की आवश्यकता होती है. ताकी पिने योग्य पाणी मिल सके.

पानी के साथ लापरवाही नुकसानदेह साबित होगी

मनुष्य एक जीव है और जल के बिना उसके जिवन की कल्पना नहीं कि जा सकती. उसी प्रकार जंगल के जानवरों के जिवन की कल्पना नहीं कि जा सकती. जंगल में जानवरों को पिने योग्य जल की व्यवस्था तालाब के रुप में कि जा सकती है.

साथ ही साथ खेती के लिए भी पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है. जल के बिना खेती महज एक बंजर जमीन होती है. खेत में कुआं,नहर, के माध्यम से पाणी की व्यवस्था की जा सकती है.

बारीश के मौसम में हमें बारीश से भरपूर मात्रा में जल मिलता है. वह पाणी हम विशिष्ट रुप से नियोजन कर. जमा कर सकते है, या बचाकर रख सकते है. जिसका उपयोग बहोतसे कार्य के लिए किया जा सकता है. जल का नुकसान ना हो इसके लिए स्कुल, काॅलेज, सरकारी कार्यालय में कार्यक्रम के जरिये जरुरी सुचना दे सकते है. ताकी आनेवाले कल के लिए लातूर जैसी समस्या ना आए. और जल की समस्या कभी उत्पन्न ना हो.

– योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया