23 मार्च 1931- शहीद दिवस (भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजू-ए-क़ातिल में है!
ऐसी दहाड़ लगाने वाले भारतमाता के वीरपुत्रों के नाम से ही अंग्रेजों के पसीने छूट जाते थे. वे थे शहीद-ए-आज़म भगत सिंह, महाराष्ट्र के वीर सुपुत्र शिवराम हरि राजगुरु और पंजाब के वीर सपूत सुखदेव थापर. हम इन क्रांतिकारियों के बारे में बचपन से किताबों में पढ़ते आ रहे हैं, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिनका किताबों में जिक्र नहीं है.

शहीद भगत सिंह: 

क्रांति का दूसरा नाम भगत सिंह है. 28 सितम्बर 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा गांव में (जो अब पाकिस्तान का भाग है) उनका जन्म हुआ था.
1. छोटा भगत जब अपने पिता के साथ खेतों में जाता, तो उनसे पूछता, ‘हम जमीन में बंदूक क्यों नहीं उगा सकते?’
2. जलियांवाला बाग हत्याकांड में वे केवल तीन साल के थे. इस घटना ने भगत सिंह को स्थायी रूप से क्रांतिकारी बना दिया.
3. भगत सिंह ने अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान ‘राष्ट्रीय युवा संघ’ की स्थापना की.
4. वे शादी नहीं करना चाहते थे. जब उनके माता-पिता उनकी शादी की बात सोच रहे थे, तो वे घर छोड़कर कानपुर चले गए.उन्होंने कहा, “अब सिर्फ आजादी ही मेरी दुल्हन होगी.”
5. वे अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान एक अच्छे अभिनेता भी थे. उन्होंने कई नाटकों में भाग लिया. भगत सिंह को कुश्ती से भी लगाव था.
6. कई उर्दू और पंजाबी अखबारों के लिए नियमित रूप से लिखनेवाले भगत सिंह बहुत अच्छे लेखक भी थे.
7. भगत सिंह ने अपने बाल कांटे और अपनी दाढ़ी भी साफ की. अंग्रेजों को चकमा देने के लिए यह आवश्यक था.
8. भगत सिंह और उनके साथियों द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ स्थल पर जो बम फेंके गए, उन्हें निम्न-स्तरीय विस्फोटकों से बनाया गया था, क्योंकि उनका उद्देश्य किसी को मारना नहीं था, बल्कि अंग्रेजों तक अपना संदेश पहुँचाना था.

9. भगत सिंह ने हिंदू-मुस्लिम दंगों से दुखी होकर यह घोषणा कर दी थी कि वह नास्तिक है. इस बात को उन्होंने अपनी किताब ‘मैं नास्तिक क्यों हुँ’ में साफ तरीके से बताया है.
10. भगत सिंह महात्मा गांधी की अहिंसा की नीतियों से सहमत नहीं थे. भगत सिंह को लगा कि बिना हथियारों के आजादी हासिल नहीं की जा सकती.
11. उनको को फिल्में देखना और रसगुल्ला खाना बहुत पसंद था. जब भी अवसर मिलता, वह राजगुरु और यशपाल के साथ फिल्म देखने चले जाते. उन्हें चार्ली चैपलिन की फिल्मों का बहुत शौक था.  इस वजह से चंद्रशेखर आजाद उनपर बहुत क्रोधित होते थे.

12. भगत सिंह ने ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘साम्राज्यवाद मुर्दाबाद’ जैसी घोषणाएं शुरू कीं.
13. भगत सिंह के जूते, घड़ी और शर्ट आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं.
14. उनकी को हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के अलावा बंगाली भाषा भी अवगत थी. उन्हें यह बटुकेश्वर दत्त ने सिखाई थी.
15. फांसी के समय भगत सिंह और सुखदेव की आयु मात्र 23 साल थी.
16. उनके और उनके साथियों पर नेशनल असेंबली (सेंट्रल असेंबली) में बम गिराने की वजह से मुकदमा नहीं चला, बल्कि ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर देने की वजह से केस चली.

17. आदेश के अनुसार, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च, 1931 को फांसी दी जानी थी. लेकिन भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों की बढ़ती लोकप्रियता और 24 मार्च को संभावित विद्रोह के कारण 23 मार्च, 1931 को शाम करीब 7.33 बजे तीनों को फांसी दे दी गई और उनके शव को किसी रिश्तेदार के हवाले किये बिना नदी के किनारे रात में जला दिया गया.
18. लोगों को जब ये सब पता चला तो उन्होंने उनके शवों की ओर दौड़ लगाई और दोबारा अंतिम संस्कार किया.
19. भगत सिंह की अंतिम इच्छा थी कि उनकी गोली मारकर हत्या कर दी जाए. हालाँकि, ब्रिटिश सरकार ने उनकी इच्छाओं को अनदेखा कर दिया.

20. फांसी पर जाते समय तीनों वीर भारत माँ का गुणगान गा रहे थे – मेरा रंग दे बसन्ती चोला, मेरा रंग दे बसन्ती चोला, माये रंग दे बसन्ती चोला…
21. फांसी के दो दिन पहले, वकील प्राणनाथ मेहता ने पूछा कि क्या वह कुछ चाहते हैं, तब भगत सिंह ने उनसे एक किताब लाने का अनुरोध किया और उन्हें किताब दे दी गई. जब जेल के कर्मचारी फांसी के वक्त उन्हें बुलाने के लिए गये, तो भगत सिंह किताब पढ़ रहे थे. भगत सिंह ने कहा- “ठहरिये! पहले एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल तो ले.” फिर कुछ देर बाद किताब छत की ओर उछाल कर बोले – “ठीक है अब चलो।”वह किताब ‘रशियन क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन’ का चरित्र थी.

सुखदेव:

सुखदेव का जन्म 15 मे 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था. 

1. हालाँकि उनका पूरा नाम सुखदेव थापर था, लेकिन वह खुद अपना नाम सुखदेव इतना ही बताते.
2. सुखदेव ने एक बार “ओम” के टैटू को हटाने के लिए अपने बाएं हाथ पर नाइट्रिक एसिड डाला था. वह बस इसके साथ अपने धीरज का परीक्षण करना चाहते थे. 
3. प्रारंभ में, सेंट्रल असेंबली में बम गिराने की योजना में भगत सिंह शामिल नहीं थे क्योंकि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन की केंद्रीय समिति ने उन्हें नौकरी पर भेजने का फैसला किया था. सुखदेव ने बाद में भगत सिंह को यह करने के लिए मना लिया.

शिवराम राजगुरु:

शिवराम हरि राजगुरुका जन्म 24 अगस्त 1908 को पुणे के खेड़ गाँव में हुआ था.
1. जब वे केवल छह साल के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था. उन्होंने खेड में ही प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और आगे की पढ़ाई पुणे के न्यू इंग्लिश हाईस्कूल में पूरी की.
2. जब वे काशी में संस्कृत और धर्मशास्त्र का अध्ययन करते थे, तब क्रांतिकारियों का उनसे संपर्क हुआ और वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य बन गए. 
3. उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, यतिन दास के साथ पंजाब, कानपुर, आगरा और लाहौर जैसे कई स्थानों पर अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष फैलाया और अपने विचारों से लोगों को प्रेरित किया.

4. साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन में 30 अक्टूबर,1928 को ब्रिटिशों ने किये हमले में लाला लाजपतराय गंभीर रूप से घायल हो गए. गंभीर घाव के कारण 17 नवंबर, 1928 को उनकी मृत्यु हो गई.
5. उनकी मृत्यु के बाद सभी क्रांतिकारियों ने उनकी मौत का बदला लेने का फैसला किया.
6.  17 दिसंबर, 1928 को जूनियर पुलिस अफसर जॉन सॉन्डर्स लाहौर में अपने कार्यालय से निकल रहा था. राजगुरु ने उसे पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट समझकर उसपर गोलीबारी की. 
7. इसके बाद, 20 दिसंबर को तीनों लाहौर छोड़कर भूमिगत हो गए. राजगुरु को 30 दिसंबर, 1929 को पुणे में गिरफ्तार किया गया और 23 मार्च को अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ फांसी दे दी.

जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया ऐसे महान क्रांतिवीर, शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को हम सच्ची श्रद्धांजलि तभी अर्पित कर सकेंगे जब उनके द्वारा सपनों में देखा हुआ हमारा  भारत देश गरीबी, जातिवाद और भ्रष्टाचार से आज़ाद होगा. आईये आप और हम मिलकर इन शहीदों के द्वारा देखा आज़ाद भारत का सपना साकार करें. जय हिंद!

– Sagar Wazarkar