दोस्तों, छींक को लेकर बहुत से लोग मन में अंधविश्वास पालते हैं. छींक आने पर बहुत से लोग बुरा मानते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है, अगर किसी की बात के बीच में ही छींक दिया जाए, तो उनका काम शायद पूरा ना हो सके. यह सरासर अंधविश्वास होता है. आइए अब हम जानते हैं कि हमें छींक क्यों आती है.
अगर हम विज्ञान की बात माने तो इनका आना हमारे शरीर की प्रतिक्षिप्त क्रिया माना जाता है.हमारी मस्तूल कोशिकाएं आमतौर पर नाक के श्लेष्म के भीतर पाई जाती हैं.
कई पदार्थ ईसिनोफिल्स जैसी दाहक कोशिकाओं द्वारा निर्मित होते हैं. रासायनिक रिलीज वायरल श्वसन संक्रमण और फ़िल्टर्ड कणों और एलर्जी पदार्थों के कारण होता है जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं या शारीरिक परेशानियों जैसे कि धूम्रपान, प्रदूषण, इत्र या ठंडी हवा के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं.
हम क्यों छींकते हैं?
नाक के श्लेष्म के साथ एलर्जी प्रतिक्रियाओं को IGI (एलर्जी के लिए विशिष्ट एलर्जी एंटीबॉडी) की उपस्थिति की आवश्यकता होती है. इससे नाक में वाहिकाओं से तरल पदार्थ का रिसाव होता है, जिससे कंजेशन और नाक मे खूजली के लक्षण दिखाई देते हैं.
तंत्रिका अंत में उत्तेजित होती हैं, जिससे हमारे नाक में खुजली की अनुभूति होती है.अंततः, तंत्रिका अंत की उत्तेजना मस्तिष्क के अंदर एक पटल को सक्रिय करती है.
तंत्रिका आवेग ही हमारी संवेदी तंत्रिकाओं तथा सिर और गर्दन में मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली नसों को नीचे की ओर ले जाता है, और इससे वायु का तेजी से निष्कासन होता है.
एयरफ्लो का उच्च वेग छाती के अंदर दबाव के बिल्डअप द्वारा मुंह के chords के साथ हासिल किया जाता है.आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि छींक के दौरान हमारे फेफड़ों से बाहर निकलने वाली हवा का वेग तकरीबन 160 किमी प्रति घंटा तक हो सकता है. आपने शायद कभी महसूस भी किया होगा कि छींक आने पर आपके शरीर में कंपन होने लगते है.साथ ही शरीर में ताजगी और सिर में हल्का पन आ जाता है.
छींक के बाकी अंगों पर पडने वाले प्रभाव
Chords के खुलने से दबाव वाली हवा सांस की नली को बाहर निकालने की अनुमति देती है जिससे जलन पैदा हो सकती है. यह नाक में बंद कणों को हटाने में मदद करता है.
छींक के कारण हमारे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं. इसका प्रभाव आंखों पर भी पड़ता है और गर्दन में भी कभी-कभी मोच आ सकती है. बार-बार छींक आने पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है और दिमाग को क्षति भी पहुंच सकती है. इसलिए अब से आप को रोकें नहीं और न किसी शुभ-अशुभ घटना से जोड़े. बल्कि यह एक सार्वजनिक क्रिया है.
बीमार होने पर छींकने से हमारे शरीर में मौजूदइन्फेक्शन के किटाणू और वायरस बाहर फैल सकते हैं और किसी अन्य इंसान को भी बीमार कर सकते हैं. अभी हाल ही में दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा कोविड-19 अर्थात कोरोनावायरस ऐसी ही छींक और खांसी के कारण फैल रहा है. ऐसी अवस्था में इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि मुंह पर रुमाल या टिश्यू पेपर रखकर ही छींकना चाहिए. इससे दूसरों को भी इन्फेक्शन की संभावना कम होगी.
यदि बहुत महत्वपूर्ण कार्य जैसे इंटरव्यू चल रहा हो तो छींक को रोका जा सकता है.इसके लिए आपको बस आपके नाक के नीचे अपनी उंगली आड़ी लगानी है. इससे दिमाग की तरफ जाने वाले संदेश गड़बड़ा जाते हैं और छींक रुक जाती है. साथ ही छींक के समय मुंह से सांस लेने पर भी नाक की सरसराहट कम होकर छींक नहीं आती.
नोट: वाचक कृपया ध्यान दें कि लेख में दिये गये उपायों से कुछ दुष्परिणाम भी हो सकते है. किसी भी उपाय को लागू करने से पहले इस विषय में विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह लेना लाभप्रद और सार्थक होगा.
हमारा आरोग्य से जुडा ‘बार-बार छींक आने के ये कारण जानकर आप चौंक जायेंगे…’ यह विशेष लेख पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! हम आपके लिए रोज ऐसेही अच्छे लेख लेकर आते है. अगर आपको यह लेख पसंद आता है तो फेसबुक और व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों को इसे फॉरवर्ड करना ना भूले. साथ ही हमारी वेबसाइट को रोजाना भेंट दे.
✍? संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया