सज्जनता हर किसी इंसान में होनी ही चाहिए, जिसके कई लाभ है. आइये इस कहानी के माध्यम से इस बात पर फिर एक बार प्रकाश डालते है…
उत्तरप्रदेश का एक सुप्रसिद्ध डाकू था. उसका पुरा जीवन डकैती में ही गया था. उसका लड़का पंद्रह साल का होने के बाद वह उसको भी डकैती का प्रशिक्षण देने लगा. इसके अलावा, उसने अपने बेटे को व्यवसाय के कुछ रहस्य सिखाना शुरू कर दिए.
वह अपने बेटे से कहता था, “तुम्हारी चोरी की शुरुआत अच्छी तरह से होनी चाहिए, अभी तुम बड़ी डकैती ना करो, क्योंकि तुम नए हो इसलिए पुलिस तुम को ढूंढ लेगी और चट्टान तोड़ने भेज देगी. एैसा न हो इसलिए मैं कहता हूं उसी जगह तुम अपने जीवन की पहली डकैती डालना.” एेसा कहकर डाकू अपने बेटे को जंगल में ले गया.
उन्होंने सामने एक भिक्षु की कुटिया देखी. डाकू बेटेसे बोला, “यह है तुम्हारी पहली डकैती की जगह.” जब उसके बेटे ने कुटिया देखी, तो उसने पुँछा, “इस कुटिया में क्या चोरी होगी?” डाकू ने कहा,” अगर तुम उस झोपड़ी में चोरी करते हो, तो पुलिस वहां नहीं आएगी और दूसरी बात, भिक्षु को लोग बहुत सारा सोना, चांदी, फल, पैसा, आदि देते है और वह यह सब लोगों को बाँटता है.
जब वह ये सब चीजें लोगों में बाँट रहा है तो क्या हमें चोरी करनी नहीं चाहिए? मैं पैंतीस साल से वहां चोरी कर रहा हूं, फिर भी भिक्षु ने पुलिस से कभी शिकायत नहीं की, यह सुनके बेटा हैरान रह गया और उसने अपने पिता से कहा, “मतलब आप के पैंतीस साल चोरी करने से भी उस भिक्षु को कुछ कम नहीं पड़ा और आपको इतने साल होते हुए भी अभी भी चोरी करनी पड़ रही है.
इसका अर्थ ऐसा होता है कि सज्जनता से ही जीवन बिताने पर धन की प्राप्ति होती है. तो यह डकैती का व्यवसाय करने की बजाय मै उस भिक्षु के साथ ही रहना पसंद करूंगा.” ऐसा कहकर वह उस भिक्षु की कुटिया की ओर चलने लगा.
तात्पर्य : सज्जनता से जीवन बिताने पर सब कुछ प्राप्त होता है.
? अनुवादक
प्रतीक साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया