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nepotism : दोस्तों, भारत में पुराने समय से एक व्यवस्था लागू रही हैं. जिसका नाम है वर्ण व्यवस्था. इस व्यवस्था में जो ब्राह्मण है, उसका बेटा ब्राह्मण ही बनेगा, क्षत्रिय का बेटा क्षत्रिय ही बनेगा. उसी तरह वैश्य का बेटा वैश्य और शुद्र का बेटा शुद्र ही होगा. इस तरह की व्यवस्था भारत में कई सालों से चली आ रही थी.
समय के साथ साथ वर्ण व्यवस्था लगभग समाप्त हो चुकी है. हालांकि इसकी जड़ें अभी भी हमारे समाज में विद्यमान है. लेकिन इसका एक नया रूप आजकल हम देखते हैं. जिसे हम नेपोटिज्म के नाम से जानते हैं. nepotism ko hindi me भाई-भतीजावाद या स्वजन-पक्षपात के नाम से पहचाना जाता है.
nepotism kya hota hai
वर्ण व्यवस्था में एक पिता अपने पुत्र को ही अपना सम्पूर्ण कार्यभार एवं संपत्ति सौंपता था.लेकिन नेपोटिज्म में एक व्यक्ति अपने कार्य को अपने किसी रिश्तेदारों में या फिर परिवार के अन्य सदस्यों में स्थानांतरित करता है. नेपोटिज्म में किसी भी आदमी की योग्यता या अयोग्यता देखे बिना ही अपने सगे संबंधियों को अपने पद और अपने प्रभाव का फायदा उठाते हुए उन्हें लाभ पहुंचाया जाता है.
उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो यदि कोई व्यक्ति किसी कंपनी में manager है, तो वह अपने सगे संबंधियों को उस कंपनी में आसानी से जॉब दिलवा सकता है. चाहे वह उसके काबिल हो या ना हो. इसे ही नेपोटिज़्म अर्थात भाई-भतीजावाद कहा जाता है.
nepotism shabd kaha se aaya
यह शब्द कैथोलिक चर्च से आया हुआ शब्द है. दरअसल 17 वी शताब्दी तक जो कैथोलिक चर्च के पादरी या pope होते थे. वे अपने चर्च की अध्यक्षता का फायदा उठाते हुए, अपने सगे संबंधियों को, अपने भाई के बच्चे हो या फिर परिवार के अन्य सदस्य, उनको मैनेजमेंट के उच्च पदों पर पहुंचा देते थे.
यहीं से नेपोटिज़्म शब्द का जन्म हुआ. नेपोटिज़्म शब्द nepos से बना हुआ है यह यूनानी भाषा का शब्द है. जिसका अर्थ होता है nephew. नेफ्यू यानी कि भतीजा.
नेपोटिज्म और व्यावसायिकता पर इसका प्रभाव
कै-थो-लि-क चर्च के पादरी अपने बच्चों को यह स्थान नहीं दिलवा सकते थे. क्योंकि यदि कोई व्यक्ति चर्च का पादरी या pope बनना चाहता है, तो उसे शादी करने की अनुमति नहीं होती थी. माना जाता है कि शादी करने के बाद वह व्यक्ति अपवित्र हो जाता है. इसलिए यदि कोई व्यक्ति चर्च का पादरी बनना चाहता है, तो उसे शादी नहीं करनी होती थी.
इसलिए वे अपने बच्चों को तो मैनेजमेंट के उच्च पदों पर नहीं बैठा सकते थे. लेकिन अपने भाई या फिर बहन के बच्चों को मैनेजमेंट के उच्च पदों पर बिठा देते थे. और यहीं से नेपोटिस्म यानी कि भाई भतीजावाद प्रथा का जन्म हुआ.
नेपोटिज्म in politics
यदि हम भारत की बात करें, तो भारत में भी नेपॅटिज्म हर जगह विद्यमान है. भारतीय राजनीति की भी बात की जाए, तो देश की बड़ी-बड़ी पार्टियों में भी हम नेपोटिज्म देख सकते हैं. इनमें कई पार्टी ऐसी होती है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी सरकार में शामिल रहते हैं.
nepotism in bollywood
इसके अलावा भारत की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड में भी हम निपटिज़म देख सकते हैं. जहां पर बहुत से अभिनेता, अभिनेत्री होते हैं जो कि आगे चलकर आधुनिक फिल्मों में अभिनय करते हैं. चाहे वे इसके काबिल हो या ना हो. लेकिन उनके लिए स्पेशल फिल्में भी बनाई जाती है.
जबकि भारत का वास्तविक टैलेंट है, उसे नजरअंदाज किया जाता है. बाहरी लोगों को बॉलीवुड में या तो जगह मिलती ही नहीं या बड़ी मुश्किल से मिलती है. इसलिए नेपोटिज्म का अगर किसी व्यावसायिकता पर प्रभाव पड़ा है, तो वह बॉलीवुड इंडस्ट्री ही है.
nepotism in office and workplace
हम अपने आम जिंदगी में भी इस नेपोटिज्म को देख सकते हैं. अपने workplace पर भी, चाहे वह कोई ऑफिस हो, कोई कंपनी हो या फिर कोई फैक्ट्री हो. हर जगह नेपोटिज्म चलता ही है.
खासकर छोटी कंपनियों में जो small scale industries अर्थात छोटी कंपनियां होती है या फिर family business होते हैं.इनमें भी यह एकदम खुलेआम चलता है. बल्कि private sector में तो इसे legal तरीका माना जाता है. लेकिन public sector अर्थात sarkari job में ऐसा नही चलता.
नेपोटिज्म ke nuksan
नेपोटिज्म के बहुत सारे नुकसान होते हैं.- यह प्रतिभावान व्यक्तियों को आगे आने से रोकता है.- यह अयोग्य लीडरशिप को जन्म देता है.- यह समाज को उन्नति के रास्ते पर जाने से और सफल होने से रोकता है.- यह समाज में असमानता पैदा करता है.
कोई व्यक्ति अगर उच्च पद पर पहुंच जाता है, तो वह केवल अपने आसपास के व्यक्तियों को ही नौकरी दिलवाता है.इसके बाद ऊपर मैनेजमेंट में एक ऐसा स्ट्रक्चर बन जाता है, जो अयोग्य होते हुए भी समाज के अन्य लोगों पर होते अन्याय को जन्म देता है.अतः हम आप लोगों से यही अनुरोध करेंगे कि ना तो आप nepotism करें और ना ही किसी को करने दें!
© ✍? संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया