बात बड़ी हैरत की है, विवेक बुद्धि कहीं खो गई है…

जी हां सही पढ़ा आपने, ज्यादातर बाते हमारी विवेक बुद्धि तक जानेसे पहले ही हमें प्रभावित कर चुकी होती है. चलिए विस्तार से देखते है…

क्या वाकई में विवेक का उपयोग कम होने लगा है?

इसका जवाब देने से पहले पता करते है, क्या होता है विवेक? भले बुरे का ज्ञान होना मतलब विवेक, किसी बात को सही तरीके से समझने की समझ रखना मतलब विवेक. इतना आसान होता है विवेक.

आप कितना विवेक बुद्धि का उपयोग करते हो?

हर वो इंसान जिसकी दिमागी हालत ठीक हो, या हर वो इंसान जो किसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त ना हो, इन सबके पास मौका होता है अपने विवेक बुद्धि का इस्तेमाल करने का. लेकिन अपने अवचेतन मन से सोचना भी आजकल एक कठिन काम हो गया है.

चलिए इस बात को भी समझ लेते है…रोजमर्रा के जिंदगी में हम कितना विवेकपूर्ण होते है. कोई इंसान हमे कुछ दिखा दे या बता दे तो हम उसपे यकीन करने लगते है बजाय उस चीज की सत्यता जाने बिना. जैसे कि आपको WhatsApp पर रोज कितने मेसेजेस आते है, या आप अन्य किसी सोशल साइट्स पर देखते हो, कोई आपको फ़्री में रिचार्ज देने वाला होता है तो कोई अन्य ऑफर. हम ऐसे लुभावने वाले मेसेज / वीडियो की जांच पड़ताल किए बिना अपनी निजी जानकारी साझा करने में बिल्कुल कतराते नहीं.

कुछ ऐसा ही प्रकार आपको ईमेल के स्वरूप में भी प्राप्त होता है. और फिर से हम वही गलती कर बैठते है, क्योकि हम अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करते. अक्सर लुभावनी चीजों के साथ ऐसा ही होता है, जो कि हमारी सोचने की शक्ति को नष्ट कराती है.

लुभावने ईमेल या मैसेज से कैसे बचा जाए

हमे ये सोचना होगा..जी हाँ सोचना ही होगा की लुभावनी चीजें ही हमसे ज्यादातर गलतियां करने पर मजबुर करती है. अगर हम किसी भी परिस्थिति में अपना विवेक नहीं खोते है, तो हमारे साथ कुछ ग़लत होने के आसार कम कर देते है.

“The lure & blind faith has the power to pause your subconscious mind temporarily.”

Sagar Wazarkar

कोई भी लुभावने ईमेल की जांच पड़ताल उसके ईमेल एड्रेस से हो सकती है. अगर कोई कंपनी आपको ईमेल करती है तो उसका ईमेल एड्रेस कंपनी के डोमेन नेम से ही होना चाहिए.

जीवन में संतुलन विवेक से ही आता है

हम इंसान है मशीन नहीं, जो प्रत्येक समय सटीकता बरक़रार रखे. यही बात अपने विवेक के साथ भी होती, कई ऐसे जगह होते है जहां हम अपना विवेक खो बैठते है. इसके विपरीत हमे ये बात समझना चाहिए कि जितना हो सके उतना किसी चीज को समझने के लिए समय ले. बिना सोचे समझे कि गई हरकत हमे परेशानी में डाल सकती है.

विवेक बुद्धि - The balance
Mind full or Mindful?

पछतावे के मौके कम करे

दरअसल पछतावा हमे तब होता है जब हम बिना सोचे समझे किसी भी बात पर तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दे देते है. जो आपके पास है उसका सही समय और सही ढंग से इस्तेमाल करे.

हैरत की बात ये है कि ऐसा हमारे देश के ज्यादातर युवा वर्ग के साथ देखा नहीं जाता. फर्ज कीजिए आपने अपने ९६ seconds किसी भी लुभावने या ठगने वाले मैसेज को समझने मे लगाए, तो हो सकता है की आपके कई मिनिट्स आप सुरक्षित करोगे. ठीक ऐसे ही अगर आप अपने दोस्तों एवं परिजनों को ऐसे ठगने वाले मैसेज फॉरवर्ड ना करके उन्हे समझाते हो, तब तो आप और अच्छा काम कर रहे होते हो.

दिलसे सोचना, निर्णय लेना ऐसी कोई बात नहीं होती..

जी हाँ दोस्तों, ये हमारा भ्रम है की दिल सोच सकता है निर्णय ले सकता है. हालाँकि दिलमे कोई भी ऐसे न्यूरॉन्स नहीं होते, जो सोचने या निर्णय लेने की क्षमता रखते हो. हृदय का काम रक्त प्रवाह प्रदान करके अपने मस्तिष्क को क्रियाशील रखना होता है. लेकिन हृदय से “सोचना / निर्णय लेना” ऐसा कुछ नहीं होता. तदनुसार इस विषय पर हम जल्द ही एक विशेष लेख लेकर आएंगे..

सिर्फ वीडियो देखने से हमारे मस्तिष्क का व्यायाम नहीं होता है, इसीलिए हम आपके लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ अलग एवं महत्वपूर्ण लेख लेकर आते है. कृपया प्रतिदिन कोई भी लेख पढ़े और अपने दोस्तों एवं परिजनों के साथ शेयर करते रहे.

© सागर वझरकर
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया