मातृत्व दिवस (Mother’s Day 2020) – विशेष लेख

दोस्तों सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में माँ को ईश्वर से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है. और क्यों न दे? वह एक माँ ही होती है, जो बच्चे को धरती पर लेकर आती है. उसके ममता और प्यार की कीमत कोई नहीं लगा सकता. जब बच्चा बोल नहीं पाता, तब माँ ही उस बच्चे की परेशानी को समझती है की वह क्यों रो रहा है, उसे भूख लगी है या नहीं, वगैरा. जब भी बच्चा बीमार होता है तो वह मां ही होती है, जो पूरी रात जागकर उस बच्चे की तबियत का खयाल रखती है. इन सभी चीजों को सिर्फ एक माँ ही समझ सकती है. आइए आज हम जानेंगे मातृत्व दिवस अर्थात मदर्स डे क्यों मनाया जाता है.

मातृत्व दिवस का इतिहास

वैसे तो माँ के प्यार का कर्ज नहीं चुकाया जा सकता, लेकिन फिर भी हम मातृत्व दिवस मनाकर माँ को याद तो कर सकते हैं. हर साल मई के महीने में माँ का आदर सम्मान करने के लिए मातृत्व दिवस मनाते हैं. अगर हम मातृत्व दिवस के इतिहास की बात करें तो इसके बारे में अलग-अलग विद्वानों की अलग अलग अवधारणाएं हैं.

दोस्तों, यह कहना तो मुश्किल है कि मातृत्व दिवस की एक सटीक शुरुआत कब हुई थी लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि ग्रीक देवता को सम्मान देने के लिए यह दिन मनाया जाता है. फिर पूरे विश्व में इसका प्रचार हो गया और अब सारी दुनिया में मातृ दिवस को मनाया जाता है. कई विद्वान कहते हैं कि प्रभु जीसस की माता मेरी को सम्मान देने के लिए इस दिन की शुरुआत हुई थी जो बाद में मदर्स डे के रूप में प्रचलित हुआ. मातृत्व दिवस की तिथि निर्धारित करने का श्रेय जूलिया वार्ड हार्वे को जाता है. वह सामाजिक कार्य करती थी, जो विश्व शांति के प्रयासों के लिए पहचानी जाती है. उन्होंने पूरे विश्व की माताओं को आदर और सम्मान देने के लिए घोषणा पत्र लिखा था, जिसमें 2 जून को मातृत्व दिवस मनाए जाने की बात कही थी. 

साल 1908 में सामाजिक कार्यकर्ता एना जॉयस को आधिकारिक रूप से मातृ दिवस मनाने की प्रेरणा उनके मां से मिली. उन्होंने देखा, कि माँ कितनी मुश्किलों से अपने बच्चों का पालन पोषण करती है. तो पूरे विश्व भर में माँ को सम्मान दिया जाना चाहिए. उन्होंने पहला मातृत्व दिवस मनाया जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया. उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा 1914 में अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने जनता की मांग पर मई के दूसरे सप्ताह के रविवार को मातृत्व दिवस मनाने के लिए आधिकारिक रूप से प्रस्ताव पारित कर दिया. तब से आज तक पूरी दुनिया में मई के दूसरे रविवार को मातृत्व दिवस मनाया जाता है.

Mother’s Day कैसे मनाएं

हमारे भारत देश में भी हर साल मातृत्व दिवस पूरे सम्मान के साथ मनाया जाता है. भारत में पहली बार माता बनी करीब 30% महिलाएं अपने बच्चे की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ देती हैं. जबकि करीब 20% महिलाएं बच्चे की परवरिश के लिए अपना कैरियर पूरी तरह से छोड़ देती हैं.वैसे तो माँ की प्यार के सामने हम जो भी चीज उसे भेंट स्वरूप दें, वह हमेशा बौनी ही होती है, लेकिन मातृत्व दिवस पर आप भी अपनी माँ को कोई अच्छा सा तोहफ़ा लाकर दे सकते हैं. वह चीज छोटे से गुलाब के फूल से लेकर उनकी कोई भी मनचाही बात हो सकती है.दुनियाभर में क्रिसमस के बाद मातृत्व दिवस पर ही सबसे ज्यादा फूल और पौधे खरीदे जाते हैं.

किसी अनजान कवि ने माँ की ममता बयां करने वाली एक बड़ी ही सुंदर कविता की है: 

घुटनों पर रेंगते-रेंगते कब पैरों पर खड़ा हो गया,
तेरी ममता की छांव में माँ, 
मैं ना जाने कब बड़ा हो गया,
काला-टिका, दुध-मलाई,
आज भी सब कुछ वैसा है,
हर जगह माँ, प्यार ये तेरा कैसा है,
सीदा-सादा, भोला-भाला,
माँ मैं सबसे अच्छा हूं,
कितना भी हो जाऊं बड़ा,
मैं आज भी तेरा बच्चा हूं…!
मैं आज भी तेरा बच्चा हूं…!!

आशा है आप भी अपनी मां का अच्छे से ख्याल रखेंगे और उनकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करेंगे.

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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया

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