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आखिर क्या होती है लाई-फाई टेक्नोलॉजी (Li-Fi)
दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है अगर ऐसा हो कि आपको आपके दोस्त की याद आई और आपने बिना मोबाइल छुए आपके घर का एलईडी लैंप लगाया और उसी लैंप के प्रकाश की मदद से आप अपने दोस्त से बातें करने लगे या फिर मोबाइल का इंटरनेट चलाने लगे और वह भी प्रकाश की गति जितना गतिमान! जी हां दोस्तों, हम आपको कोई पहेली नहीं बुझा रहे या फिर कोई परीकथा नहीं सुना रहे. आज की इस नई टेक्नोलॉजी के युग में यह मुमकिन हो सकता है. हम बात कर रहे हैं वाईफाई से भी 100 गुना तेज चलने वाले ‘लाई-फाई तकनीक’ (टेक्नोलॉजी) के बारे में! तो आइए आज हम इसी लाई-फाई टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तार से जानकारी लें.
लाई-फाई टेक्नोलॉजी की जरूरत
आजकल हमारी मोबाइल टेक्नोलॉजी में हम अधिकतर जो वाईफाई टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं असल में वह IEEE 802.11AC स्टैंडर्ड है जिसकी अधिकतम गति 1.3 जीबीपीएस है. और तो और 5 गीगाहर्टज बैंड वाली सबसे तेज़ वाईफाई स्टैंडर्ड टेक्नोलॉजी है उसकी भी गति लाई-फाई की तुलना में 100 गुना तक कम है. अब आपको लाई-फाई टेक्नोलॉजी की गति का अनुमान हो गया होगा!
लाई-फाई टेक्नोलॉजी का उगम
लाई-फाई मतलब “लाइट फिडेलिटी” और यह एक विजिबल लाइट कम्युनिकेशन सिस्टम (VLC) है जो वायरलेस कम्युनिकेशन यानी संचार पर आधारित है और जो प्रकाश की तेज गति से यात्रा करता है.मतलब आसान शब्दों में कहें तो लाई-फाई तकनीक और कुछ नहीं बल्कि प्रकाश पर आधारित अधिक गतिमान वाईफाई तकनीक का ही एक प्रकार है.लाई-फाई शब्द को एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैराल्ड हास ने टेड टॉक के दौरान 2011 में गढ़ा था. उन्होंने एक प्रकाश की बल्ब की कल्पना की थी जो वायरलेस राउटर के रूप में कार्य कर सकें.इसके बाद 2012 में अपने चार साल के शोध की सहायता से हास ने विजिबल लाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में विश्व में अग्रणी होने के उद्देश्य से ‘PureLi-Fi’ कंपनी की स्थापना की.
लाई-फाई टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है
लाई-फाई टेक्नोलॉजी में डेटा संचारण के लिए एलईडी लैंप की प्रकाश का उपयोग किया जाता है.यदि किसी एलईडी लैंप में करंट या प्रवाह न्यूनतम है या फिर कुछ भी करंट नहीं है, तो उसे डिजिटली शून्य मानकर रिसीवर पर ट्रांसमिट किया जाएगा. इसी तरह जब एलईडी लैंप जगमगाए, तब उसे डिजिटल 1 मानकर रिसीवर पर ट्रांसमिट किया जाएगा.एलईडी लैंप का यह जगमगाना एक सेकंड में लाखों बार होता है, इसलिए हम इसे अपनी आंखो से देख नहीं पाते. वेब सर्वर या इंटरनेट के माध्यम से जो डाटा आता है, वह मॉडेम में पहुंचता है, जहां इसका आवश्यकतानुसार मॉड्यूल एशियन किया जाता है.इसके बाद यह डेटा एलइडी लैंप में ड्राइवर को इनपुट बन के जाता है, जो करंट के अनुसार बदलता है.
रिसीवर एंड पर बिल्कुल इसके विपरीत होता है. यहां ऑप्टिकली प्राप्त डेटा फोटो डायोड कि मदद से इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदला जाता है. सिग्नल कंडीशनिंग के बाद यह डाटा कंप्यूटर या लैपटॉप को दिया जाता है. आने वाली कॉल या डेटा को रिसीव करने के लिए हमें रिसीवर एंड में लाई-फाई डोंगल की आवश्यकता होती है, जिसमें फोटो रिसीवर के साथ-साथ आयआर ट्रांसमीटर भी लगा होता है.इसी रिसीवर की मदद से हम किसी भी कॉल या डेटा को जैसे का तैसा प्राप्त कर सकते है.
लाई-फाई और वाई-फाई में क्या फ़र्क है
वाई-फाई की तुलना में लाई-फाई तकनीक से डेटा ट्रांसमिशन गति प्रति सेकंड 224 गिगाबिट्स तक पोहोंच सकती है. लाई-फाई सिग्नल की कुछ खामियां भी है. ये सिग्नल्स दीवारों के पार नहीं हो सकते. इसलिए संपूर्ण तरीकेसे कनेक्टिविटी का लाभ लेने के लिए हमें सक्षम एलइडी बल्ब पूरे घर में लगाने की आवश्यकता होगी. यहां ये भी उल्लेख करना चाहिए कि लाई-फाई की पूर्णकालिक कनेक्टिविटी के लिए आपको हर समय एलईडी लैंप जलाकर रखने की आवश्यकता होगी. इसका अर्थ है कि आपको दिन के दौरान भी रोशनी की आवश्यकता पड़ेगी.इसके अतिरिक्त भी जहां एलईडी लैंप की कमी है, वहां वाईफाई इंटरनेट की कमी होगी. लेकिन जहां सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क की बात होती है, वहां पर लाई-फाई बहुत अच्छे से काम कर सकता है.
आशा है, कि आपभी इस लाई-फाई तकनीक का आपकी निजी जीवन में उपयोग करके इसका भरपूर आनंद उठायेंगे.
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© संतोष साळवे
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