हाल ही में नासा के वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के बाहर पृथ्वी के ही आकार के एक नए एक्सोप्लैनेट की खोज की है. उन्होंने उसे ‘केपलर-1649c’ नाम दिया है. इस ग्रह की खोज उन्होंने केपलर की पुरानी टिप्पणियों को देख कर की है, जो 2018 में ही सेवानिवृत्त हो गई थी. पुरानी जांच में कंप्यूटर एल्गोरिदम ने पिछली खोज को गलत बताया था. इसके बावजूद भी शोधकर्ताओं ने इस पर दोबारा नजर डाली.
Earth-sized exoplanet found in habitable zone
— Future Timeline (@future_timeline) April 16, 2020
NASA reports the discovery of an exoplanet that is closer to Earth in size and temperature than any other world yet found in data from the Kepler space telescope.https://t.co/D46aKF7OrC #exoplanet #exoplanets #Kepler1649c #Kepler pic.twitter.com/Jt5papRrph
तब उन्होंने इसे एक ग्रह के रूप में पाया और इसे ग्रह के रूप में मान्यता दे दी गई. यह नया ग्रह पृथ्वी से लगभग 300 प्रकाश वर्ष दूर है. इसका आकार और इसके पृष्ठभाग का तापमान भी लगभग पृथ्वी के समान ही है. यह ग्रह हमारी पृथ्वी से केवल 1.6 गुना बड़ा है और इसे सूर्य से 75% प्रकाश प्राप्त होता है जो कि हमारे ग्रह से बहुत अलग नहीं है.फिर भी इतनी समानताओं के बावजूद इस ग्रह में और हमारी पृथ्वी में एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि, पृथ्वी के विपरीत, खोजा गया यह नया ग्रह एक लाल बौने ग्रह की परिक्रमा करता है.
नये ग्रह की खोज पर नासा के वैज्ञानिकों का संकेत
इस बात पर नासा के वैज्ञानिक संकेत देते हैं कि, इस तरह के ग्रह-तारे अचानक आग की तरह भड़कने के लिए जाने जाते हैं, जो ऐसे ग्रहों पर जीवन को मुश्किल बना सकते हैं. वॉशिंगटन स्थित नासा के साइंस मिशन निदेशालय के असोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर थॉमस जुर्बुचेन के अनुसार, “बहुत पेचीदगियों से भरी और दूर तक फैली इस दुनिया में इस तरह की नई खोज ने हमें और भी अधिक आशा दी है कोई पृथ्वी जैसा दूसरा ग्रह भी सितारों के बीच स्थित है, जो अभी भी खोज के इंतजार में है.”उन्होंने आगे कहा कि, “केपलर और हमारे ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) जैसे मिशन के द्वारा संग्रहीत किए गए डेटा में आश्चर्यजनक खोजें जारी रहेगी, क्योंकि विज्ञान समुदाय साल दर साल इन ग्रहों की तलाश के लिए अपनी क्षमताओं को निखारने के साथ-साथ अद्भुत खोज करता रहेगा.”इस खोजे गये नए ग्रह के बारे में अब भी बहुत सी चीजें ऐसी है, जो हम नहीं जानते. इसके अलावा हम अब तक यह भी नहीं जानते कि उस ग्रह पर वातावरण उपलब्ध है भी या नहीं. इसके अलावा इस ग्रह के आकार की वर्तमान गणना में भी बहुत सी हद तक त्रुटि है, जो एक आम बात है. क्योंकि वैज्ञानिक ऐसे विषयों का अध्ययन कर रहेे हैं, जो अब भी बहुत दूर है.
नई खोज से वैज्ञानिक खुश
लेकिन फिर भी वैज्ञानिक इस खोज से खुश हैं. ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता, जो इस अध्ययन के प्रमुख लेखक भी है, एंड्रयू वेंडरबर्ग के अनुसार, “जो गलतफहमी निर्माण करने वाले ग्रह निकाले हैं उनमें से यह विशेष रूप से रोमांचक ग्रह है. सिर्फ इसलिए नहीं कि यह रहने योग्य और पृथ्वी की साइज जितना है, बल्कि पड़ोसी ग्रह के साथ हमारी बातचीत किस तरह हो सकती है इस वजह से भी! यदि हम उस एल्गोरिदम का काम फिर से हाथ में ना लेते तो हम इस बड़ी खोज को खो देते थे.” आशा है आपको भी यह लेख पढ़कर रोमांचकारी अनुभव आया होगा जो कि विज्ञान के क्षेत्र में हर रोज होता रहता है.
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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया