Independence of mind and thoughts | स्वतंत्रता : मन और विचार

Independence of mind and Independence of mind and thoughts | स्वतंत्रता : मन और विचार thoughts   :- दोस्तों आज हम एक गहन मुद्दे पर चर्चा करने वाले हैं जो स्वतंत्रता : मन और विचार इस विषय से जुड़ा हुआ है.

१५ अगस्त १९४७ से पहले भारत पर अंग्रेजो का शासन था. भारत देश गुलामी में था. महात्मा गांधी, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, इन सभी महत्वपूर्ण लोगों ने मिलकर १५ अगस्त १९४७ को भारत देश को स्वतंत्रता दिलायी. मतलब की देश के स्वतंत्रता के विकास की डोर अब सिर्फ भारत के लोगों के हाथ में आ गई.

भगतसिंग, राजगुरू, चंद्रशेखर आझाद, सुखदेव इन सभी के प्राणों के बलिदान के चलते ही देश को स्वतंत्रता मिली. और आज हम सभी देशवासी बड़े ही धुमधाम से १५ अगस्त एवं २६ जनवरी दिवस मनाते है. और आगे भी पूरे तन मन से मनाते रहेंगे.

१)  Independence of mind का अर्थ

देश को स्वतंत्रता मिली है, यह बात आज हम स्विकार करते है. स्वतंत्रता मतलब की आप अपने नियमों के तहत अपना देश चला सकते है. आप किसी के गुलामी में काम नहीं करेंगे. इसे ही स्वतंत्रता कहते है. वैसे ही मन की स्वतंत्रता हर किसी को जन्मतः मिलती है. म

न की स्वतंत्रता का मतलब यह है की आप आपके मन के मुताबिक जिंदगी बिता सकते है. आपको आपके लिए क्या सही एवं क्या गलत है यह जानकर, समझकर जीवन बिता सकते है. मन की स्वतंत्रता बड़ी ही महत्वपुर्ण होती है, जिस के चलते आपकी जिंदगी आसान एवं सरल होती है.

२) मन की स्वतंत्रता को कैसे अर्जित करें?

मन की स्वतंत्रता एक महत्वपुर्ण विषय है. जिसकी अधिक मात्रा में एवं हर एक पहलू पर विस्तृत चर्चा की जा सकती है. यह जानना इतना ही महत्वपुर्ण है की, मन की स्वतंत्रता कैसे अर्जित करें?

Mind की स्वतंत्रता अर्जित करने के लिए मन को स्वतंत्र रखना बेहद जरुरी होता है. और इसके लिए आपको सही तरीके से शिक्षित होना उतना ही महत्वपुर्ण होता है. क्यों की इन सभी के चलते ही आप मन की स्वतंत्रता को अर्जित कर सकते है. दो बातों में भेद इसीके चलते स्पष्ट कर सकते हो.

मन की Freedom को अर्जित करने के लिए आपको पहले तो शिक्षित होना होगा. ताकी आप किसी भी चीज में फर्क कर सकें. उसके बाद आपके लिए क्या सही है और क्या गलत है इसकी निश्चिती कर सकेंगे. जब हम किसी द्विधा मनःस्थिती में होते है, तब हमें मन के स्वतंत्रता की सहायता मिलती है. उससे ही हम कोई भी निर्णय आसानी से ले सकते है.

देश को तो स्वतंत्रता मिल गयी है, क्या मन को मिली है?

देश को स्वतंत्रता १९४७ को मिली. देश आजाद हुआ. लेकीन क्या हम सभी के मन को स्वतंत्रता मिली है. अगर आप यह स्विकार करते है की मन को भी स्वतंत्रता मिली है, तो फिर आज पुरे देश में ऐसा क्यों हो रहा है. २५-३० की उम्र में युवा प्राण क्यो त्याग रहें है. सामाजिक स्वास्थ्य और समाज में व्यवस्था क्यों बिगड़ रही है?

मोबाईल गेम्स के चलते अपने जीवन को त्याग देना एवं गलत बर्ताव करना क्यों बढ़ रहा है?  क्यों की जो मन से सही तरीके से स्वतंत्र नहीं हुए उनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. अगर आप सही और गलत समझ नहीं सकते, तो आप भी मानसिक गुलामी के शिकार है.

मन की स्वतंत्रता के लिए आपको अधिक शिक्षित होना बेहद जरुरी है. क्यों की शिक्षा के माध्यम से ही आप अपने मन को स्वतंत्र कर सकतें है. शिक्षा यही वो रास्ता है, जो आपके मन को स्वतंत्र कर सकता है.

४) Independence of mind के लाभ

किसी भी विषय के लाभ एवं हानी होती ही है.अगर आपके मन को स्वतंत्रता मिली है. और उसके चलते आप सही या गलत की पहचान रखते है, तो आपकी मन की स्वतंत्रता और भी प्रतिभाशाली निर्माण होने में मदद मिलती है. मन की स्वतंत्रता से आपका विश्वास और भी जादा मात्रा में बढता है.

आपका हर कार्य आसानी से पुरा होता है. आपकी शैली प्रतिभाशाली एवं बेहतर होती है. मन की स्वतंत्रता से जो आपके लिए उपयोगी है, उसकी मात्रा बढती है. आप अपने निजी लोगों पर अपने कार्य से प्रभावी असर छोड़ सकते है. कोई भी आपके कार्य पर संदेह निर्माण नहीं करेगा. इससे आपका मन और भी प्रभावी तरिके से कार्य करेगा.

आप हमेशा उत्साहपूर्ण तरिके से कार्य कर सकेंगे. जिस से लोग आपसे प्रेरणा लेकर और भी अच्छा कार्य कर सकते है. मन की स्वतंत्रता से आप एक अलग जोश के साथ कार्य कर सकते है. कार्य की बारीकियाँ सही तरीके से दुर की जा सकती है. यह सभी लाभ मन की स्वतंत्रता से ही हम सभी को मिलते है.

५) मन की freedom से होनेवाले विपरीत परिणाम

मन की स्वतंत्रता से हमें जैसे लाभ मिलते है, वैसेही उस के विपरीत परिणाम भी निर्माण होते है.

१) सही और गलत की पहचान ना होना.
२) कोई भी काम विश्वास पुर्ण तरीके से ना होना.
३) किसी भी कार्य पर संदेह निर्माण होना.
४) किसी भी व्यक्ती पर विश्वास ना बैठना.
५) दुसरों के कार्य में हमेशा गलतियाँ निकालना.
६) दुसरों को हमेशा निछा दिखाना.
७) मैं ही सही बाकी सब गलत इस बात पर जोर देना. 

यह सभी उपर्युक्त कारण सिर्फ मन की स्वतंत्रता न होने के चलते दिखाई देते है.

लेखक का मनोगत

मन की स्वतंत्रता बेहद जरुरी होती है. इसके लिए शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.जिसके चलते आप चाहे जो पा सकते है.मन की स्वतंत्रता से आपका जीवन खुशहाल एवं आसानी से चल सकता है.इस बात पर हर किसी को ध्यान देना आवश्यक है.

– Yogesh Belokar
Ssoft Group INDIA


इस तरह के विविध लेखों के अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज ssoftgroup लाइक करे.


WhatsApp पर दैनिक अपडेट मिलने के लिए यहाँ Join WhatsApp पर क्लिक करे

Worth-to-Share

Leave a Comment