आज हम एक नई कहानी लालची व्यापारी के बारे में पढ़ेंगे..
एक गांव में एक भिखारी था, वह रोजाना घर घर जाकर भीख मांगता था. जो कुछ भी खाने को मिलता, भिखारी खा लेता था. अगर खाने कुछ भी ना मिला तो वह पानी पी लेता था. ऐसी जिंदगी से भिखारी काफी परेशान था.
गांव के एक भले आदमी ने उसे बताया, ” तू गांव के बाहर नदी के किनारे पर इन्द्र देव की आराधना कर. इन्द्र देव तुम्हें प्रसन्न होंगे और तुम्हें खूब सारी संपत्ति देंगे.” भिखारी उस व्यक्ति की बात से मन ही मन खुश हुआ.
और कहे अनुसार उस भिखारी ने इन्द्र देव को प्रसन्न कर लिया. इन्द्र देव ने उस भिखारी को कहा कि, तुम्हारी झोली आगे करो. मैं उस झोली मैं पैसे डालता रहूंगा. तुम जब मुझे रुकने को बोलोगे, तब मैं रुक जाऊंगा. लेकिन मेरी एक बात ध्यान में रखना.
अगर तुम्हारी झोली फट गई और झोली में रखे पैसे अगर जमीन पर गिर गए, तो उसकी मिट्टी हो जाएगी. वह भिखारी अपनी झोली में समा सकें इतना ही पैसा लेता है और इन्द्र देव को रुकने के लिए कहता है. वह मन ही मन मुस्कुराता हुआ गांव में आता है. उस पैसों का उपयोग वह कपड़े खरीदना, खाना लेना, घर बांधना, मिठाई लेना इसके लिए करता है.
उस भिखारी के रहन सहन में बदलाव देख, गांव का एक व्यापारी उसे कहता है, ” तुम अचानक इतने धनी कैसे हो गए? तब वह भिखारी उस व्यापारी को सारी हकीकत बता देता है. व्यापारी के मन में पैसों का लालच पैदा होता है.
वह भी उस भिखारी कि तरह इन्द्र देव को प्रसन्न कर लेता है.
इन्द्र देव उसकी भी झोली में पैसे डालते रहते है और लालच के कारण वह पैसा मांगता ही रहता है. वह व्यापारी रुकने के लिए कहना भूल जाता है. इस कारण उसकी झोली पैसों से भर कर फट जाती है. झोली में भरे सभी पैसे जमीन पर गिरते है.
और उन सभी पैसों की मिट्टी हो जाती है. इन्द्र देव भी वहां से चले जाते है. व्यापारी के पास रोने के अलावा कुछ नहीं बचता.
तात्पर्य:- लालच कभी ना करें, क्योंकी लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है.
? अनुवादक
योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया