importance of gender education | लैंगिक शिक्षा का महत्व

importance of gender education :  आज हम इस आधुनिक विज्ञान के युग में जिवन का सफर कर रहे है. इस पृथ्वीपर एडम और इव से मनुष्य का निर्माण हुआ है. मनुष्य का निर्माण इस का अर्थ यह है की स्त्री एवं पुरुष जाती का निर्माण हुआ. आज के इस आधुनिक विज्ञान के युग में हम सभी अच्छी शिक्षा एवं अच्छा जीवन बिताने का कार्य कर रहे है. लेकीन क्या हमारी सभी संकल्पना स्पष्ट हुई है? अगर इस का जवाब नहीं है, तो हमें इस बात पर सोचना होगा की क्या लैंगिक शिक्षा (gender education) हमारी शिक्षा में होनी चाहिए?


पुराने समय से लैंगिक शिक्षा (gender education) का महत्व अपने स्थान पर बना हुआ है. आवश्यकता यह है की हमें उस शिक्षा पर सोच विचार करना चाहिए. जैसा कि हमें ये बात ज्ञात है कि लड़का हो या लड़की उम्र के अनुसार दोनों में काफी बदलाव होते है. ये बदलाव हर बच्चे के माता-पिता को समय पर ध्यान में आते है. उसी दौरान माता एवं पिता अपने बच्चों के साथ अलग अंदाज में बर्ताव करते है.


लेकीन क्या बच्चों को ये बातें समझ में आती है? 

क्या हर लड़की के कठिन समय की संकल्पना उसके माता पिता द्वारा बतायी जाती है? क्या हर लड़के के साथ माता पिता लैंगिक समानता की बात करते हैं? लड़को में भी उम्र के हिसाब से बदलाव होते है. उस समय लड़का लड़कीयों से नजदिकीयाँ रखना चाहता है. ये एक प्रकार से आकर्षण ही होता है. यह सब हम सभी शुरु से देखते आ रहे है.

लेकीन सवाल यह है की क्या लैंगिक शिक्षा (gender education) का उपयोग हमारी पाठ्यक्रम की शिक्षा में करना उपयुक्त साबित होगा. इस बात पर हम सभी को गंभीरता से सोचना चाहिये. अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म अगर आपने देखी है, तो आप इस बात को बड़ी ही सहजता से इस बात को समझ जायेंगे. विद्या बालन ने भी अपनी और से काफी प्रयास किए है की महिलाएं खुद को संभाले एवं सामने आने का प्रयास करें.

कई लोगों को यह लगता है कि जबतक आप किसीसे अपनी ओर से कुछ कहेंगे नहीं, तो किसीको भला आपकी बातें एवं परेशानी कैसे समझ आयेगी? हमारा ऐसा मानना है कि इस परेशानी के चलते लैंगिक शिक्षा (gender education) देना ही समाज के लिए उपयुक्त होगा. सभी महिलाओं एवं लड़कीयों को भी इस बात पर विचार करना चाहिए.


लैंगिक शिक्षा (gender education) को लेकर सामान्य बच्चों के कुछ सवाल

इस शिक्षा के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराना सरकार का कार्य है यह स्वीकार करते है. लेकीन लैंगिक शिक्षा का हमारी शिक्षा में होना जरुरी है. इस बात पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना हमारी ही जिम्मेदारी है. लैंगिक शिक्षा (gender education) का जब हम शिक्षा में उपयोग करें, तो बहोत सी समस्याओं का निदान महिला एवं लड़कीयां खुद कर सकेंगी.

साथ ही साथ लड़को को भी यह बात समझ आएगी की किसके साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए. कुछ सवालों के जवाब हमें खुद ढूंढने चाहिये की लड़का और लड़की दोनों अलग क्यों होते है? दोनों के शरिर की रचना अलग क्यों है? सिर्फ लड़कीयों को ही कठिन दिवस की समस्या क्यों होती है? 

इन सारे सवालों के या इस के अलावा निर्माण होने वाले सभी सवालों के जवाब देने की बात उनके माता पिता के लिए आसान हो सकती है. अगर हम लैंगिक शिक्षा का स्विकार हमारी शिक्षा में करते है तो भी हमें ये बातें सीखने में आसानी हो सकती है. लैंगिक शिक्षा (gender education) का सभी साहित्य उपलब्ध कराना एवं बच्चों या फिर बड़ो को समझ आए, समाज को समझ आए ऐसा निर्माण लैंगिक शिक्षा में कराना होगा ताकी सभी को अच्छी शिक्षा एवं लैंगिक शिक्षा मुहैय्या करा सकें.

सरकार कोई भी हो, कर्मचारी कोई भी हो वह तो अपनी जगह ठिक से कार्य कर रहे है. आगे भी वह करते रहेंगे. लेकीन इस बात का एक आम इंसान के रुप में हमें ही ध्यान देना होगा. एक अच्छी शिक्षा की जरुरत हमें ही है. किसी और को नहीं इस बात का ध्यान हमें ही रखना होगा. किसी भी चीज को अगर आप सिखने के लिए लेंगे, तो इस वातावरण में आपको सभी चीजें सिखने योग्य ही मिलेंगी. इस बात पर हम आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता है. जरुरत है तो सिर्फ खुद को पहचानने की! आप कौन है, ऐसे बदलाव क्यों होते है. यह समझने की आवश्यकता होती है.

उस विषय पर चर्चा करने की, अपनी राह खुद चुनने की ताकी आनेवाली परिस्थितीयों से आप लड़ सकें. इस विषय को लेकर आपसे चर्चा करना इसलिए महत्वपूर्ण है की जब आप मेहनत कर रहे हो, तो ऐसी समस्या निर्माण हो सकती है. सभी बातों को आप महिला एवं लड़की होने के कारण आप चर्चा नहीं कर पाते हो. इसलिए लैंगिक शिक्षा (gender education) का हमारी शिक्षा में आवश्यक है.


लेखक का मनोगत


लैंगिक शिक्षा (gender education) उतनी ही आवश्यक है जितनी कि हम कोई नई बात सीखते हैं. बच्चों को हमेशा अच्छी शिक्षा प्रदान करें. उनकी हर संकल्पना का समाधान करें ताकी आनेवाले दिनों में उनके सामने कोई संदिग्ध समस्या ना हो. यह बात सभी के लिए लागू होती है. बड़ो को भी इस बात का स्विकार करना होगा की बच्चों के सवालों के सही जवाब बिल्कुल सही समय पर दें. ताकी उनकी समस्या का हल उन्हें मिल सकें. उनके मन में जो कुछ सवाल है, वो खुद होकर भी सुलझाने की कोशिश कर पाएं.

– Yogesh Belokar
Ssoft Group INDIA


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