स्वतंत्रता मतलब लापरवाही नहीं हो सकती!

स्वतंत्रता मतलब क्या है?

हमारा देश दुनिया में एक सांस्कृतिक विरासत और स्थायी देश के रूप में जाना जाता है. प्रत्येक नागरिक को यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए कि पहचान स्थायी रहे.
तो इसके लिए सभी को क्या करना चाहिए? यह सवाल सामने आता है. स्वतंत्रता के लिए, कई लोग शहिद हुए,अनेक क्रांती विरोंने प्राण त्याग दिए.

स्वतंत्रता कोई नैतिकता नहीं है, लेकिन यह क्या है? आइए जानते हैं..

क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं है कि हम अपने माता-पिता की देखभाल करें क्योंकि हमें पता है कि हमें कई नई चीजें दी गई हैं? जैसे वह चींजे हम संभालते है उसी तरह अपने माता-पिता को भी संभाले.
क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम मेहमान की मेजबानी करें, जब उन्हें घर पर देखना हमारे लिए नया नहीं है? हर कार्य आपके लिए महत्वपूर्ण है, आप जिस भूमिका से सीखना चाहते हैं, वह भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

क्यों हमारे स्वतंत्रता की मायने बदल चुके है..

इंटरनेट का सही उपयोग करना, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर या जो भी हो, उस पर आपत्तिजनक एवं निजी सामग्री साझा करने से बचें. लोगों के प्रती व्यवहार यह लोक व्यवहारका महत्वपूर्ण हिस्सा है, कोनसे व्यक्ति के साथ कैसे वार्तालाप करे, यहातक की किसके साथ अपनी तस्वीर खीचे ये बात भी खासकर लडकियो ने समझना चाहिये. दुर्भाग्यवश से लडकिया ये बात को समझ नही पाती है. लेकिन इसके परिणाम आगे चलके उनको ही भुगतने पड़ते है जो की किसीके लिए भी अच्छी बात नहीं.

ज्यादातर अपराधिक घटना मे पहचान वाले ही होते है..

यह बात सुनने मे अजीब लगती हो लेकिन सच्चाई यही है. ज्यादातर अपराधिक घटनाओं मे ऐसेही लोग होते है जिनको हम किसी न किसी प्रकार से जानते है. ये बात समझकर हमें जितना हो सके ख़ुदको उतना सुरक्षित करना चाहिए. स्वतंत्रता के नाम पर बिना कुछ समझे यह सोच रखना की आपको सामने वाला व्यक्ति कैसा है यह पता है तो सावधान, यह आपकी गलती हो सकती है. ऐसा सोचने से काफी नुकसान हो सकता है.

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“दुर्भाग्य से अपने देश में स्वतंत्रता खासकर लड़कियों/औरतों को जैसे चाहिए वैसे नहीं मिल पाती, लेकिन उनको भी समझना चाहिए कि स्वतंत्रता मतलब मुक्तसंचार नहीं होता. कोई भी माता, पिता, शुभचिंतक उनकी लड़की के विकास में रोड़े नहीं डालता. अपने क्षणिक सुख को ही आमतौर पर लड़कियां स्वतंत्रता समझ लेती है. कुछ चीजें करने से रोकना मतलब आजादी न देना ऐसा लग सकता है लेकिन हो सकता है कि उनका उद्देश् आपके सोच से आगे की अच्छाई के लिए हो और आपकी हर संभव विकास के लिए हो जो कायमस्वरूपी हो, उनको पूरा हक है कि आपको बेहतर जिंदगी से नवाजे..
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..प्रकृति के भी अपने नियम (टर्म्स अंड कंडीशन) होते है, अगर हम उन्हें अनदेखा करे तो हमे ही भुगतान करना पड़ता है. हर एक क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है, इसलिए हम अपने आप को इन सब से अलग नहीं कर सकते, सिर्फ मृत चीज ही सारे बंधनो से मुक्त हो सकती है. इन सब बातो को ध्यान में रखते हुए अपना आचरण रहे तो ही हम अपना शाश्वत विकास करने में सक्षम हो पाते है”

– सागर वझरकर
Worth 2 Share

जिम्मेदारी वाला आचरण ही हमे सही मायने मे स्वतंत्र बनाता है.

हम इंसान हैं, बेशक हमारे पास इच्छाएं, आकांक्षाएं, जुनून और पसंद हैं, लेकिन हर वो चीज हम करते है उसके परिणाम होते है.  खासकर लड़कियों को जितना हो सके उतना अपने आप को हर संभव परिस्थिति मे खुदकों अलग रखना चाहिए जिसके परिणाम आगे जाके ठीक नहीं हो. 

हो सकता है इन सब बातों से आपको कुछ खोना पड़े लेकिन कुछ अच्छा हासिल होगा. तो अपने आप मे अवश्य ऐसा बदलाव लाए जो आपने आजतक नहीं किए हो.

संक्षेप में, इसे स्वतंत्रता कहा जाता है और हम इस स्वतंत्रता को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित करना चाहते हैं.  इसलिए उठो, जागो और जितना हो सके लुभाती चीजों से अपने आप को दूर रखके खुदकी पहचान बनाओ. एक नया शिखर आपका इंतजार कर रहा है.

-योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया