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लक्ष्य बनाने से ज्यादा सिस्टम का पालन करना महत्वपूर्ण है – Part 2

दोस्तों, लक्ष्य बनाने से ज्यादा सिस्टम का पालन करना महत्वपूर्ण है, इस विषय के लेख की श्रृंखला का दूसरा भाग इस लेख में पढ़ेंगे.

हमारी आदतों के अनुसार 4 चरण कौनसे है?

हमारी आदतें 4 चरणों से निकलती है:
1. Cue   2. Craving   3. Response   4. Reward 

Cue वह चीज है जो आपको Reward याद दिलाती है. Craving आपको Reward पाने के लिए मजबूर करता है. हमारा Response हमें Reward दिलाता है और हम Reward इसलिए चाहते हैं कि या तो हमें उससे संतुष्टि मिलेगी या तो कुछ नया सीखने को मिलेगा.

हमारी आदत एक व्यवहार है जो ज्यादा दोहराने पर ऑटोमेटिक बन जाता है और आदत बनाने का मकसद बहुत ही कम ऊर्जा और प्रयासों से करना होता है.इन चारों चरणों में से किसी एक चरण में भी अगर आप कम पड़ गए तो वह व्यवहार आपकी आदत नहीं बन पाएगा.अगर आप अच्छी आदतें बनाना चाहते हो तो आपको Cue को दर्शनीय, Craving को मोह लेने वाला, Response को आसान और Reward को संतोषजनक बनाना पड़ेगा. उदाहरण के तौर पर अगर आप किताब पढ़ने की आदत डालना चाहते हो तो आपको इन 4 चरणों पर ध्यान देना पड़ेगा.

1. आपको अपने Cue को यानी अपनी किताबों को विजिबल बनाना पड़ेगा. मतलब आप उन किताबों को ऐसी किसी जगह रख देंगे, जहां हर बार आप उसे आसानी से देख सके.

2. आपको अपनी Craving को आकर्षक बनाना पड़ेगा. मतलब अपनी किताबों में बुकमार्क लगाओ, इससे आपको पता चलेगा कि आपने कितनी किताब पढ़ ली है.

3.आपकी किताब को आप अपने हाथ के अंतराल पर भी रख सकते हैं. यानी की जहां पर भी आप बैठते हो, वहीं से तुरंत आपके हाथ में वो किताब आ जाए. जिससे किताब के प्रति आपका Response बढ़ जाए और आप आसानी से किताब पढ़ने के लिए उदयुक्त हो सकें.किताब को कभी भी ऐसी जगह मत रखो जहां से आप को उसे लेने के लिए थोड़ा बहुत भी कष्ट लेना पड़े. आप उसे आसानी से ले सके, ऐसी जगह ही रखें.

4. आखिर में आपको अपने Reward को संतोषजनक बनना पड़ेगा. इसके लिए किस वक्त कौन सी किताब पढ़नी चाहिए आपको यह ध्यान रखना पड़ेगा. इस तरह सही किताबों को चुनकर आप अपनी संतुष्टि के स्तर को बढ़ा सकते हैं.

अगर आप अपनी बुरी आदतों को छोड़ना चाहते हो तो इसी प्रक्रिया को उल्टी दिशा में दोहराएं.उदाहरण के तौर पर यह आप अपने मोबाइल फोन की लगी हुई लत पर आजमा कर देख सकते हैं.इसके लिए सबसे पहला चरण है Cue को Invisible बनाना, यानी कि आप अपने मोबाइल को कहीं ऐसी जगह पर रख दो जहां आप उसे आसानी से ना देख सके.

दूसरा चरण यह है कि Craving अनाकर्षक बनाने के लिए आप ऐसे सोच सकते हैं कि बार-बार अपने मोबाइल की एक ही ऐप देखने से आपको आज तक कुछ नहीं मिला. तो इस तरह धीरे-धीरे आप अपनी मोबाइल Craving को कम कर सकते हैं.इसी तरह Response को बहुत कठिन बनाने के लिए आप अपने मोबाइल के फेस और फिंगरप्रिंट लॉक को हटाकर 12 डिजिट का पासवर्ड लगा सकते हैं. उसमें कैपिटल लेटर्स, स्मॉल लेटर्स, नंबर्स और अलग-अलग कैरेक्टर लेकर पासवर्ड बना सकते हैं.

इस तरह बनाए गए कठिन पासवर्ड को टाइप करने में ही आपको 10 से 15 सेकंड लग जाएंगे, तो बार-बार फोन को अनलॉक करके देखने की आदत से थोड़ी-बहुत राहत मिल सकती है.आखिर में Reward को असंतोषजनक बनाने के लिए आप अपने मोबाइल में डाले हुए ऐसे ऐप्स निकाल दो जिससे आपका समय बर्बाद होता है.

हमारी आदतों से संबंधित मज़ेदार तथ्य

हमारी ज्यादातर आदतें The Close, The Many और The Powerful इन तीनों ग्रुप में ही बनती है.हम उन आदतों का जल्दी पालन करते है, जिन आदतों का हमारे नजदीकी लोग भी पालन करते हैं (The Close), जिनका कई सारे लोग पालन करते हैं (The Many),और जिनका पावरफुल लोग पालन करते हैं (The Powerful).

कई लोगों को लगता है कि उनमें मोटिवेशन अर्थात प्रेरणा की कमी है, इसलिए ही वे काम चालू नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन हकीकत तो यह होती है कि उनमें प्रेरणा की नहीं अपितु स्पष्टता की कमी होती है. यानी कि वे इसके बारे में जानते ही नहीं कि क्या, कब और किस तरीके से कोई काम चालू करना है. भारतीय लोगों का किसी बाहरी चीज से प्रेरणा लेने पर बहुत गहरा विश्वास है, जबकि उन्हें यह याद रखने की जरूरत है कि प्रेरणा से ज्यादा उस काम को करने के लिए आसपास का वातावरण ज्यादा मायने रखता है.

हम अक्सर किसी उत्पाद या चीज के लाभ के बजाय वह चीज कहां रखी गई है, इस हिसाब से उसका उपयोग करते हैं जैसे कि आपके किचन में कोई चीज पैक करके अंदर रख दी गयी है तो उसकी तरफ आपका ध्यान नहीं जाता, लेकिन अगर वही चीज फ्रीज में या किचन के प्लेटफार्म पर रखी हुई हो तो आप उसे चलते-चलते खाते हैं. क्योंकि वातावरण के पास अदृश्य हाथ होते हैं जो इंसान के व्यवहार को आसानी से बदल सकते हैं.

हमें लगता है कि सेल्फ डिसीप्लिन अर्थात आत्म अनुशासन के लिए बहुत ज्यादा इच्छा शक्ति और आत्म – संयम की जरूरत होगी लेकिन ऐसा नहीं है. अनुशासन प्रिय लोगों को अपने जीवन में किसी भी तरह के आत्मसंयम की जरूरत नहीं होती. अगर आप अनुशासन को सटीक तरीके से उपयोग में लाएंगे, तो उससे जीवन में बहुत लाभ होता है.

आशा है आपको ‘क्यों लक्ष्य से ज्यादा सिस्टम का पालन करना महत्वपूर्ण है?’ इस लेख का दूसरा भाग बहुत पसंद आया होगा. इस लेख का अगला और आखरी भाग हम बहुत जल्द प्रसारित करेंगे, तो हमारे साथ जुड़े रहें और अपने दोस्तों के साथ इसे जरूर शेयर करें.

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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया

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