Emotional Intelligence क्या होता है? और इसे कैसे बढ़ाया जाए?

Emotional Intelligence : नमस्कार दोस्तों,  हमने बचपन से आज तक यही सुना है कि हमारा IQ अर्थात ‘इंटेलिजन्स कोशंट’ (Intelligence Quotient) तेज होना चाहिए तभी हम लाइफ में आगे बढ़ सकते है. लेकिन ऐसी कुछ बात नहीं है कि अगर आपका सिर्फ IQ तेज होगा तो ही आप जिंदगी में आगे बढ़ पाएंगे, या सफल हो पाएंगे.

जिंदगी में सफलता हासिल करने के लिए IQ के अलावा भी एक और चीज है और वह है EQ अर्थात ‘इमोशनल कोशंट’ (Emotional Quotient) यानी की (Emotional Intelligence) ‘इमोशनल इंटेलिजन्स’! वर्ल्ड इकोनामिक फोरम भी यह कहता है कि आजकल IQ जितना ही EQ भी महत्वपूर्ण है.

आप सोचते होंगे कि यह EQ आखिर है क्या? आज के लेख में हम यही जानेंगे की हमारी जिंदगी में IQ से ज्यादा EQ का महत्व क्यों है?

आखिर इमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) क्या है?

इमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) हमारी वह काबिलियत है, जिसके द्वारा हम खुद की और दूसरों की भावनाओं को समझते हुए उनका सही प्रयोग करके अपनी जिंदगी को और भी बेहतर बना सकते हैं.

Emotional Intelligence

हम एक उदाहरण के द्वारा इसे समझते हैं. अजय और विजय नामक मित्र एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों के मैनेजर भी एक ही थे. एक दिन मैनेजर को काम की रिपोर्ट न मिलने के कारण उन्होंने अजय और विजय को भली-बुरी सुनाई. इसलिए उन दोनों का मूड खराब हो गया. जैसे-तैसे काम निपटा कर दोनों ही अपने घर गए.

जैसे ही अजय ने अपने घर में कदम रखा, उसने देखा कि उसकी छोटी लड़की घर में काफी धूम मचा रही थी. बीवी का उसकी तरफ ध्यान ही नहीं था. घर में आते ही उसने अपना पूरा गुस्सा अपनी बेटी पर निकाला. इस वजह से उसकी बीवी भी काफी दुखी हुई और बच्ची भी रोने लगी और अजय भी घर से बाहर चला गया. दूसरी तरफ विजय जब घर पर आया तो उसने देखा की उसका भी बेटा बॅट लेकर टीवी की तरफ मारने के लिए दौड़ रहा था.

लेकिन तभी उसने बहुत शांति से अपने बच्चे को उठाया, उसे गोद में लिया और बाहर घुमाकर वापस लाया. घर पर आते ही पूरा माहौल शांत हो गया. विजय का मूड भी ठीक हो गया. उसकी बीवी और बच्चा भी खुश था.

इससे आपको क्या सीखना चाहिए. ऑफिस में दोनों को डांट पड़ी थी, गुस्सा तो दोनों को आया था; लेकिन विजय ने परिस्थिति को बड़ी अच्छी तरह से संभाला. ऑफिस का टेंशन ऑफिस में ही रखा. वह तनाव को अपने घर में नहीं लाया. इसलिए वह खुद भी शांत रह सका और उसके घरवाले भी खुश हुए.

इमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) शब्द का प्रयोग कहां से आया?

वैसे तो माना जाता है कि 1964 में एक रिसर्च पेपर में ‘Emotional Intelligence‘ शब्द का प्रयोग हुआ. उसके बाद EQ शब्द सबसे ज्यादा 1995 में प्रसिद्ध हुआ, जब डैनियल गोलमैन की ‘इमोशनल इंटेलिजेंस’ नामक किताब आयी.

डैनियल गोलमैन में अपनी किताब में कहां है कि हमारी जिंदगी की सफलता में IQ का योगदान सिर्फ 20% ही होता है. बाकी बचा 80% योगदान EQ का होता है.

EQ (Emotional Intelligence) से मिलने वाले लाभ

Self Motivation  अर्थात  स्व प्रेरणा
Persistence   अर्थात  सशक्त भूमिका या हठ
Impulse Control  अर्थात  अपने आवेग पर नियंत्रण
Mood Regulation   अर्थात अपनी मनोदशा का विनियमन
Empathy  अर्थात  सहानुभूति

IQ और EQ (Emotional Intelligence) में अंतर

IQ और EQ एक दूसरे का विरोध नहीं करते; अपितु वे दोनों एक साथ ही कार्य करते हैं. कोई इंसान IQ से बुद्धिमान हो सकता है, लेकिन अगर वह EQ से अयोग्य होगा, तो उसके जिंदगी में यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है. हम आज तक यह मानते आए हैं कि जिसके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आए हैं, जिसे सारी चीजों के बारे में पता होता है, उसी का IQ सबसे ऊंचा होता है. लेकिन सिर्फ IQ ज्यादा होने से हमारी जिंदगी में आनंद और समाधान की वृत्ति होगी ही इसकी कोई गारंटी नहीं होती.

अपने Emotional Intelligence को कैसे बेहतर बनाएं?

नीचे दिए हुये कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए आप अपने इमोशनल इंटेलिजेंस को बेहतर बना सकते हैं.

1. पूरे दिन अपनी भावनाओं को नोटिस करें:

अगर आप अपने EQ को और बेहतर बनाना चाहते हैं, तो समय निकालकर अपने दिन भर के अनुभवों से आपने कैसा महसूस किया, यह समझना बेहद जरूरी है. अगर आप अपनी भावनाओं को महत्व नहीं दे रहे हैं, तो आप बेहद जरूरी जानकारी को नजरअंदाज कर रहे हैं. जिसका आपकी मानसिकता और आपके व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.

इसीलिए आप अपनी भावनाओं को अपने अनुभव के साथ मिला लें. साथ ही इस बात पर भी जरूर ध्यान दें कि, दिन के कुछ खास समय पर आपकी भावनाएं कैसी रहती है? जैसे सुबह उठने के बाद आप की मनोदशा कैसी रहती है? रात को सोने से पहले आप कैसा महसूस करते हैं?

2.  अपने शरीर पर ध्यान केंद्रित करें:

आपका शरीर, आपकी भावनाओं को एक खास तरीके से अभिव्यक्त करता है. उसे नजरअंदाज ना करें. उस अभिव्यक्ति को समझना शुरू कर दें. हमारा दिमाग और शरीर अलग-अलग नहीं है. दोनों ही एक दूसरे पर गहरा प्रभाव डालते हैं. अपनी भावनाओं की असल में आपके शरीर पर हो रही प्रतिक्रिया को समझ कर आप अपने EQ को बेहतर बना सकते हैं.

जैसे कि तनाव में आंखों और पेट में जलन सी महसूस होती है, या सीने में जकड़न सी महसूस होती है, या सांसे भी ऊपर नीचे होने लगती है. इसके बजाय खुशी के मारे आपके पेट में गुदगुदी सी होने लगती है, धड़कनें बढ़ जाती है और अचानक से ऊर्जा आ जाती है.

3.  ध्यान दें की आपकी भावनाएं और आपके व्यवहार आपस में कैसे जुड़े हैं: 

आप दिन भर में जिन भी परिस्थितियों का सामना करते हैं, उन्हें सिर्फ प्रतिक्रिया ना दें. उन परिस्थितियों के कारण आपको अंदर से कैसा महसूस होता है, यह जानने की कोशिश करें. आप जितना यह समझने की कोशिश करेंगे उतना ही आपकी प्रतिक्रियाओं का असली कारण क्या है यह आपको पता चलेगा और आपको EQ बेहतर करने में मदद मिलेगी. इन कारकों के पता चलते ही आप अपने व्यवहार में बदलाव ला पाएंगे.

4.  अपनी भावनाओं को खुद ही जज ना करें:

हर भावना एक जायज भावना होती है, भले ही वह नकारात्मक भावना ही क्यों ना हो. अगर आप अपनी भावनाओं को खुद ही जज करेंगे यानी कि अच्छे इमोशन या बुरे इमोशन के तराजू में तौलेंगे तो आप भावनाओं को महसूस करने की क्षमता को कमजोर कर देंगे. इससे आप अपनी भावनाओं का भी सकारात्मक इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. यही कारण है कि भावनाओं को महसूस करना एक तरीके का इंटेलिजेंस ही माना जाता है.

यह कार्य आसान नहीं है, लेकिन आप अपनी नकारात्मक भावनाओं को महसूस करते हुए बाहर आने दीजिए और आपके आसपास जो चीजें घट रही है उनको अपनी भावनाओं को जोड़कर देखने की कोशिश कीजिए. जैसे कि अगर आप ईर्ष्या महसूस कर रहे हैं तो यह ईर्ष्या किन परिस्थितियों के कारण हो रही है, इस बात पर विचार करें.

5.  ध्यान दें कि किस भावनाओं में कैसा व्यवहार करना है :

आप कैसी भावनाओं को महसूस करेंगे, आपके साथ क्या होगा, यह आपके हाथ में नहीं है, लेकिन उन घटनाओं और भावनाओं को क्या प्रतिक्रिया देनी है, यह जरूर आपके हाथ में है. जैसे कि अगर गुस्से में आप खुद पर काबू नहीं पा सकते हैं, तो सोचिए कि अगली बार इस भावना से आप कैसे सामना करेंगे. नकारात्मक भावनाओं को अपने उपर हावी होने देने से बेहतर है कि इसे सकारात्मक भावना से देखें.

हमें आशा है कि इन तरीकों से आप अपने इमोशनल इंटेलिजेंस (Emotional Intelligence) को बढ़ाकर जीवन में सफलता पा सकेंगे.

हमारा ‘क्या आपको अपना Emotional Intelligence स्कोर पता है?’ यह बुद्धिमत्ता पर आधारित विशेष लेख पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! हम आपके लिए रोज ऐसेही अच्छे लेख लेकर आते है. अगर आपको यह लेख पसंद आता है तो फेसबुक और व्हाट्सएप पर अपने दोस्तों को इसे फॉरवर्ड करना ना भूले. साथ ही हमारी वेबसाइट को रोजाना भेंट दे.

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✍🏻
Sagar Wazarkar


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