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अक्सर आपने किसी मोबाइल या सिम कार्ड में तकनीकी खराबी के कारण मोबाइल या सिम कार्ड प्रदाता कंपनी के कस्टमर केयर सेंटर से कॉल पर जरूर बात की होगी. हम किसी एक लैंडलाइन या टोल फ्री नंबर पर कॉल लगाते हैं, लेकिन हमें अक्सर अलग-अलग कस्टमर अधिकारी से बोलने का मौका मिलता है. आखिर यह सिस्टम कैसे काम करता है. यह कमाल है ‘क्लाउड कॉलिंग सिस्टम‘ का जिसे ‘क्लाउड टेलिफोनी’ भी कहा जाता है!
आजकल बहुत सारी कंपनियां टेलीकॉलिंग, IVR कॉलिंग, टोल फ्री नंबर कॉलिंग जैसी अलग-अलग सुविधाओं से अपने कस्टमर को सेवा प्रदान करने का प्रयत्न करती हैं. टेलीकॉलिंग में किसी लैंडलाइन नंबर पर कस्टमर कॉल लगा सकता है. IVR कॉलिंग में कस्टमर जब भी कॉल लगाता है कंपनियों की ऑटोमेटिक रिकॉर्डिंग चालू हो जाती है. उनमें से हमें जो सुविधा चाहिए होती है, हम वह नंबर दबाकर सेवा ले सकते हैं. यह हर किसी कंपनी का एक अभिन्न अंग है. लेकिन क्लाउड कॉलिंग यह कुछ नई तरह की तकनीक है. आइए जाने कैसे…
क्लाउड कॉलिंग कैसे की जाती है
क्लाउड कॉलिंग भी आम कॉलिंग का ही एक भाग है. यहां पर क्लाउड का मतलब भिन्न तकनीकी सुविधाओं का एक छत के नीचे किया हुआ एकीकरण. यानी कि आसान भाषा में कहां जाए तो क्लाउड कॉलिंग मतलब कस्टमर की कॉल को किसी एक ही आदमी को ना भेजते हुए उपलब्ध अलग-अलग लोगों को भेजना.
अगर तकनीकी शब्दों में कहा जाए तो क्लाउड कॉलिंग एक यूनिफाइड संचार की सर्विस है जो UCaaS के रूप में किसी थर्ड-पार्टी होस्ट या मेजबान के माध्यम से अपनी संचार सेवाएं प्रदान करता है. UCaaS एक ऐसी टेलिफोन सिस्टम है जो हमारी पारंपारिक टेलीफोन सर्विस को Private Branch Exchange अर्थात PBX सिस्टम से रिप्लेस अर्थात प्रतिस्थापित करता है.
क्लाउड टेलीफोनी सर्विसेज वेब आधारित या एप्लीकेशन आधारित हो सकती है.
लेकिन हाल-फिलहाल भारत में क्लाउड कॉलिंग के लिए किसी भी इंटरनेट सर्विस की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है.
जब भी आप किसी कस्टमर केयर सर्विस सेंटर को कॉल करते हैं तो आप किसी मोबाइल नंबर लैंडलाइन या टोल फ्री नंबर को कॉल करते हैं. लेकिन आप यह नहीं जानते हैं कि वह कॉल उसी नंबर को लग रहा है या नहीं.
दरअसल क्लाउड कॉलिंग में की गई कॉल अनेक अलग-अलग कनेक्शन के साथ विभाजित हो जाती है. जब कोई एक कस्टमर अधिकारी किसी दूसरे कस्टमर के साथ बातचीत में व्यस्त हो, तो आपकी कॉल बिना किसी व्यत्यय के, किसी अलग कस्टमर अधिकारी को स्थानांतरित की जाती है, और आपको पता भी नहीं चलता कि आप किस अधिकारी से बात कर रहे है.
इसके एकदम विपरीत जब भी किसी कस्टमर अधिकारी को आपको कॉल करना हो, तो वह अपनी कंप्यूटर स्क्रीन पर आपके नंबर के आगे दिए हुए कॉल बटन पर क्लिक करता है. तब वह कॉल सबसे पहले उसके खुद के रजिस्टर्ड किए हुए मोबाइल पर जाता है. उसके बाद उसे वह कॉल उठा कर फिर आपको डाइवर्ट करना पड़ता है. क्लाउड कॉलिंग की इस तकनीक में किसी भी PBX या अन्य स्टैंड अलोन हार्डवेयर खरीदने या फिर किसी सिस्टम को स्टोर करने की कोई जरूरत नहीं होती.
क्लाउड कॉलिंग के लाभ और जोखिम
- अत्यंत कम खर्च की लागत: क्लाउड संचार प्रदाता के लिए होस्टिंग और मैनेजमेंट जिम्मेदारियों को ऑफलोड करने से उसके सब्सक्रिप्शन और पेपर यूज़ मॉडल का उपयोग करता हैं. इस वजह से उसके उपयोगकर्ताओं के खर्च की लागत अत्यंत कम हो जाती है.
- फ्लैक्सिबलिटी अर्थात सेवा में लचीलापन: क्लाउड आधारित टेलीफोन वाला कर्मचारी इंटरनेट कनेक्शन के साथ या उसके बिना भी कोई भी इनबॉउंड या आउटबाउंड कॉल बिना किसी निर्बंध के और अधिक सहज तरीके से कर सकता है.
- रेसिलियंट या बैकअप के साथ उपलब्ध सुविधा: कोई भी प्राकृतिक आपदा जैसे की आग या धूप से पीबीएक्स सिस्टम डाउन हो सकती है. लेकिन अधिकांश क्लाउड टेलीफोन सेवाओं में बैकअप सुविधा उपलब्ध होती है. इसकी वजह से किसी भी समय क्लाउड सर्विस विश्वसनीय और निरंतर तरीके से चल सकती है.
- सुव्यवस्थित सेवा: क्लाउड कॉलिंग के साथ कंपनियों को साइट सिस्टम को लागू करके उन्हें बनाए रखने, समस्या निवारण तथा अपडेट करने का भार भी नहीं उठाना पड़ता है. यह सब थर्ड पार्टी प्रदाता कंपनी अथवा इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड संभालते हैं.
- स्केलेबल सर्विस: आमतौर पर कंपनियां एक सेल्फ सर्विस पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों को टेलीफोन नंबर ऑन डिमांड के लिए जुड़ने के लिए दे सकते हैं. और साथ ही यह सर्विस कुशल कर्मचारियों को ऑनसाइट और रिमोट कर्मचारियों दोनों के लिए सक्षम बनाती है.
- ट्रांसपेरेंट अर्थात पारदर्शक सेवा: कई कर्मचारियों को क्लाउड कॉलिंग कि यह सेवा प्लेटफॉर्म और डाटा एनालिटिक्स प्रदान करता है, ताकि वे अपने उपयोगकर्ता के व्यवहार के बारे में पारदर्शी रहें.
क्लाउड आधारित वॉइस तकनीक UCaaS एक ऐसी सुविधाओं को जोड़ने के लिए कुछ स्टेटस निर्धारित करती है जैसे की आवाज और कीवर्ड एनालिसिस, कॉल सेंटर क्षमताएं, Interactive voice response अर्थात (IVR) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ जोड़े गए नए ग्राहकों की सहायता करना है.
अगर जोखिम अर्थात रिस्क के बारे में कहा जाए तो विशेषज्ञों का मानना है कि क्लाउड टेलिफोनी प्लेटफॉर्म कुछ सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती. जैसे कि multi-tenant अर्थात बहू उपयोगकर्ता, पब्लिक क्लाउड एनवायरमेंट (PCE) इन अत्यंत कड़े अनुपालन नियमों को पूरा करने में असफल रहती है. किसी कारण वश अत्यधिक संवेदनशील डाटा वाली कंपनियां On Premises या फिर किसी होस्ट किए गए टेलीफोनी विकल्प को चुनते हैं,जहां वे यह सुनिश्चित कर सके कि संसाधन भौतिक रूप से अलग और सुरक्षित रह सकें.
क्लाउड टेलिफोनी Vs VoIP
वस्तुतः सभी क्लाउड टेलिफोनी प्लेटफॉर्म Voice Over Internet Protocol Technology (VoIP) का ही उपयोग करते हैं, लेकिन सभी VoIP System क्लाउड टेक्नोलॉजी का उपयोग नहीं करते. VoIP शब्द केवल इतना बताता है कि कॉलिंग डाटा कैसे यात्रा करता है- या तो इंटरनेट पर या तो आईपी के पैकेट स्विच कनेक्शन के माध्यम से या पारंपारिक पब्लिक स्विच टेलीफोन नेटवर्क (PSTN) के माध्यम से ही यात्रा कर सकता है.
क्लाउड टेलिफोनी प्रोवाइडर्स अर्थात प्रदाता
वर्तमान में क्लाउड कॉलिंग सर्विसेज प्रोवाइड करने वाली बहुत सी कंपनियां वेब कॉन्फ्रेंसिंग, स्क्रीन शेयरिंग, टीम मैसेजिंग और लगातार अपना कार्य बहुत आसानी से आप सभी के सेवा में उपलब्ध कर सकती है.
- Cisco Webex Calling
- Fuze
- Google Voice
- Mitel Networks
- Nextiva
- Ring Central
- Vonage
- 8×8
- DialPad
(आज के क्लाउड टेलिफोनी विक्रेता)
आशा करते हैं कि अब आप समझ ही गए होंगे की क्लाउड टेलिफोनी किस प्रकार काम करता है. अगली बार आप कस्टमर केयर सर्विस सेंटर में कॉल करेंगे तो उस IVR में सही मेनू को चुनकर अपनी सही सेवा लेने का आनंद उठाएंगे.
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© संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया