स्मार्टफोन – क्या सचमे कैंसर का कारण नहीं हो सकता?

क्या सचमे स्मार्टफोन कैंसर का कारण नहीं हो सकता?
दोस्तों, आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गहन विषय पर बात करेंगे जो आपकी निजी जिंदगी से काफी मिलता हैं. स्मार्टफोन इस कदर हमारी जरूरत बन गया हैं की हम में से बहुत से लोगों की सुबह स्मार्टफोन को हाथ में लेकर ही होती हैं और रात भी स्मार्टफोन को सिरहाने रखकर ही होती हैं. कई बार स्मार्टफोन हमारी जिंदगी बचता भी हैं और कई बार यह जिंदगी में परेशानियाँ भी खड़ी करता हैं. लेकिन कई बार हम स्मार्टफोन के खतरे से जुड़ी बहस करते रहते हैं. स्मार्टफोन के खतरे पर बहस हर बार किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच पाती हैं.

स्मार्टफोन के खतरे पर वैज्ञानिक रिपोर्ट क्या कहता हैं
स्मार्टफोन पर बहस और उपभोक्ताओं के लिए उनका ख़तरा दुनिया भर में मोबाइल फोन के उपयोग के विकास के साथ बढ़ता गया है. कई देशो में हवाई जहाज में स्मार्टफोन के उपयोग के लिए भी अनुमति नहीं हैं.  
लेकिन इसी संदेह के माहौल में, एफडीए ने वैज्ञानिक रिपोर्ट जारी की है जो अधिक से अधिक उपयोगकर्ताओं को आश्वस्त करती है. सार्वजनिक स्वास्थ्य के संदर्भ में यह जानकारी काफी महत्वपूर्ण है.
हाल ही में, एफडीए (अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन) ने जारी किये एक वैज्ञानिक रिपोर्ट में कहा है कि मोबाइल फोन कार्सिनोजेनिक नहीं हैं. इस संस्थाने 11 वर्षों (2008 और 2019 के बीच) की अवधि में एक वैज्ञानिक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने जानवरों पर विभिन्न प्रकार के 125 प्रयोग किए और मनुष्यों पर भी 75 प्रकार के परीक्षण किए और यह निष्कर्ष निकाला कि रेडियोइलेक्ट्रिक विकिरण और ट्यूमर तथा कैंसर के बीच कारण और प्रभाव का “कोई सुसंगत पैटर्न नहीं है”.

इस अध्ययन की पारदर्शिता के बारे में अनेक वैज्ञानिक संदेह व्यक्त कर रहे हैं। उनके अनुसार, कोई उपभोक्ता उत्पाद का विश्लेषण करते समय चूहों और मनुष्यों की तुलना प्रयोगशाला में नहीं कर सकता है, क्योंकि जाहिर है कि स्मार्टफोन जैसी वस्तू के साथ चूहें बातचीत नहीं कर सकते.
हालाँकि इस परीक्षण में चूहों को मोबाइल फोन के बगल में एक निष्क्रिय स्थिति में रखना और उनके के पूरे शरीर को विकिरणित करना यह बातें चूहा परीक्षणों में शामिल थी.  इस प्रकार की कार्यप्रणाली के साथ समस्या यह थी कि चूहों को मनुष्यों की तुलना में बहुत अधिक स्तर पर विकिरणित किया गया था.
अमेरिकी प्रशासन के अध्ययन में 5G भी देखा गया. 4 जी से अधिक आवृत्तियों पर तरंगों के डर से सामना करते हुए, रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि मानवों को 300 किलोहर्ट्ज़ और 100 गीगाहर्ट्ज़ के बीच विकिरण के लिए सुरक्षित रूप से उजागर किया जा सकता है और 5 जी की तरंगे वर्तमान में 25.250 गीगाहर्ट्ज़ से 100 हर्ट्ज तक है. FDA ने कई बार जोर देकर कहा है कि 5G सुरक्षित है.
उस रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक प्रायोगिक रूप से अध्ययन करने के लिए प्रयोगशाला अनुसंधान आयोजित किया जाता है जो कैंसर पैदा करने वाले ट्यूमर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. लेकिन फिरभी गलत सूचनाओं तथा फर्जी बातों में और सच्ची जानकारी के अंतर को लोगोंको पहचानना सीखना पड़ेगा, तभी लोगों का भय दूर हो सकता हैं.

-संतोष साळवे
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया