एक व्यापारी कैसे अपने गधे को सबक सिखाता है, ये हम इस कहानी के माध्यम से देखेंग
एक दिन वह नाला पार करते समय अचानक गधे का पैर फिसला और गधा पानी में गिर गया. उस वजह से गधे के पीठ पर रखी नमक की बोरियां पानी में गिर गई. नमक पानी में घुलने के कारण बोरियां पहले से ज्यादा हलकी हो गई. गधे कि पीठ पर रखा वजन अब पहले से कम हो गया.
गधे को उस रोज काफी आराम मिला. दूसरे दिन गधे ने पानी में गिरने का नाटक किया. नमक पानी में घुलने के कारण उस रोज भी गधे को आराम मिला. पीठ पर वजन कम होने के कारण गधा हरबार ऐसे ही करने लगा.
लेकिन एक दिन गधे कि यह हरकत तुकाराम के ध्यान में आ गई.
गधे को सबक सिखाने के लिए एक दिन तुकाराम ने गधे कि पीठ पर कपास की बोरियां रख दी. और गधे के साथ चल पड़ा. नाला लगते ही गधे ने गिरने का नाटक किया. लेकिन इस बार नमक कि जगह कपास होने के कारण गधे को उठने में परेशानी हो रही थी.
उस रोज उसे ज्यादा भार सहना पड़ा. गधे को व्यापारी कि तरफ से सबक भी मिला.उस रोज से गधे ने पानी में गिरने का कभी नाटक नहीं किया और काम में भी कभी लापरवाही नहीं की.
तात्पर्य :- काम छोड़कर भाग जाना, या फिर आधा काम करके निकल जाना, हमेशा बुरा साबित होता है.
? अनुवादक
योगेश बेलोकार
एस सॉफ्ट ग्रुप इंडिया